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मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द, बिहार से सुशील मोदी, आरसीपी सिंह, पशुपति पारस बन सकते हैं मंत्री - bihar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के होने वाले संभावित केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में लगभग 30 फीसदी चेहरे में बदलाव किया जा सकता है और यह मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाएगा कि किन मंत्रालयों से मंत्रियों की छुट्टी की जाएगी. वहीं बिहार से बीजेपी के सुशील मोदी व जदयू से आरसीपी सिंह को कैबिनेट मंत्री तथा लोजपा से पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया जा सकता है. वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है.

मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार
मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार
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Published : Jul 5, 2021, 6:16 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरों को शामिल किए जाने को लेकर कयास का सिलसिला अभी जारी है. सूत्रों के मुताबिक मौजूदा कैबिनेट में से लगभग 30 फीसदी चेहरे में बदलाव किया जा सकता है और यह मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाएगा कि किन मंत्रालयों से मंत्रियों की छुट्टी की जाएगी. वहीं बिहार से बीजेपी से सुशील मोदी व जदयू से आरसीपी सिंह को कैबिनेट मंत्री तथा लोजपा से पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया जा सकता है.

बिहार से इन तीन नेताओं को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. हालांकि इसकी अटकलें काफी दिनों से लगायी जा रही थी कि मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. सूत्रों के अनुसार पिछले दो दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ कैबिनेट विस्तार को लेकर बैठक की है. यह बैठकें बेहद गोपनीय रहीं और बहुत लंबे समय तक चली. पूरे कैबिनेट विस्तार की बात करें तो 18-20 मंत्री शपथ ले सकते हैं.

ये भी पढ़ें - Modi Cabinet Expension: बिहार के इन सांसदों को मिल सकती है केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह

बिहार से भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का नाम सामने आ रहा है. वे बिहार सरकार में वित्त से लेकर कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं. इसके अलावा वह लंबे समय तक उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस बार उनको बिहार में डिप्टी सीएम नहीं बनाकर राज्यसभा भेज दिया गया था.

वहीं जदयू कोटे से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं. वे नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेता हैं और पार्टी में नीतीश के बाद नंबर दो पर उनका स्थान है. वे आईएएस, आईआरएस अधिकारी रह चुके हैं. इसके अलावा लोजपा कोटे से पशुपति पारस को केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है. उनको स्वतंत्र प्रभार के तौर पर जिम्मेदारी दी जा सकती है. वे बिहार से करीब छह बार विधायक रहने के साथ कई बार मंत्री रह चुके हैं.

इसके अलावा सरकार 'लीडर्स मेकिंग इन प्रोसेस' के फार्मूले के तहत पार्टी के उन चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करेगी, जो अगले 5 से 10 साल तक पार्टी का चेहरा बन सकते हैं और अलग-अलग राज्यों में पार्टी के लिए प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं. सूत्रों की मानें तो पिछले सप्ताह हुई एक बैठक में प्रधानमंत्री ने कड़े फैसले लेने के संकेत दिए थे और उसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि अच्छे प्रदर्शन न करने वाले मंत्रियों कि मंत्रालय से छुट्टी की जाएगी.

वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार में 21 कैबिनेट स्तर के 9 स्वतंत्र प्रभार और 23 राज्य मंत्री हैं. इनमें से 10 राज्य सभा से हैं और बाकी मंत्री लोकसभा से हैं जो 24 राज्यों को प्रतिनिधित्व करते हैं. संवैधानिक व्यवस्था के तहत सरकार में 81 मंत्री बनाए जा सकते हैं और इस हिसाब से देखा जाए तो काफी रिक्तियां खाली हैं और कई मंत्री ऐसे हैं जिनके पास कई कई विभागों का प्रभार भी है, जिससे कहीं ना कहीं उन मंत्रियों के परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें - मोदी कैबिनेट विस्तार : मंत्री पद की रेस में कर्नाटक के कई सांसद

फिलहाल मोदी कैबिनेट में जिन राज्यों को प्रतिनिधित्व मिला हुआ है. उनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से आठ, महाराष्ट्र से छह, बिहार से पांच, मध्यप्रदेश और गुजरात से 4-4 राजस्थान से तीन उड़ीसा हरियाणा और पश्चिम बंगाल से दो-दो मंत्री तथा इसके अलावा झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, गोवा, आसाम, तेलंगाना, कर्नाटका, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ पंजाब और अरुणाचल प्रदेश से 11 मंत्री सरकार में शामिल हैं.

जहां बिहार से पार्टी के प्रमुख नेता भूपेंद्र यादव के कैबिनेट में आने की चर्चा है. वही सूत्रों का कहना है कि सरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी केंद्र में लाना चाहती है और मध्य प्रदेश में सेकंड लाइन के नेताओं को मौका देना चाहती है, ताकि शिवराज के बाद राज्य में पार्टी के दूसरे चेहरों को भी स्थापित किया जा सके. साथी मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल करने पर काफी चर्चा हो रही है.

इसके अलावा पश्चिम बंगाल से भी मौजूदा मंत्री बाबुल सुप्रियो को मंत्रिमंडल से संगठन में लाने और पश्चिम बंगाल से नितेश प्रमाणिक शांतनु ठाकुर और डॉक्टर सुभाष सरकार के नाम पर चर्चा चल रही है, जिन्हें ने मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा एक खास वर्ग की तरफ से दिल्ली के सांसद प्रवेश सिंह वर्मा को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर दबाव डाला जा रहा है. इस पर चर्चा है कि पार्टी यह नाम भी आगे बढ़ा सकती है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में सरोज पांडे, रमन सिंह के भी मंत्रिमंडल में आने की संभावना है.

ये भी पढ़ें - युवा चेहरों को दी जा सकती है केंद्रीय मंत्रिमंडल में तरजीह

वहीं चुनावी राज्य उत्तराखंड से अनिल बलूनी और अजय टमटा के नाम पर भी विचार किया जा रहा है. उत्तराखंड में पार्टी ब्राह्मण चेहरे को आगे करना चाहती है, क्योंकि कहीं ना कहीं विपक्षी पार्टियों की तरफ से यूपी के बाद उत्तराखंड में भी यह माहौल बनाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी ब्राह्मण विरोधी पार्टी है. इसके अलावा सहयोगी कोटेशन मंत्रिमंडल में तीन पद खाली हैं, जिसमें रामविलास पासवान, अरविंद सावंत और हरसिमरत कौर के मंत्रालय हैं, लेकिन खाली जगहों पर आने वाले दिनों में होने वाले चुनावी राज्यों से प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. हालांकि चर्चा यह भी है कि उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय सहयोगी दलों से एक या दो राज्यमंत्री बनाए जा सकते हैं.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरों को शामिल किए जाने को लेकर कयास का सिलसिला अभी जारी है. सूत्रों के मुताबिक मौजूदा कैबिनेट में से लगभग 30 फीसदी चेहरे में बदलाव किया जा सकता है और यह मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाएगा कि किन मंत्रालयों से मंत्रियों की छुट्टी की जाएगी. वहीं बिहार से बीजेपी से सुशील मोदी व जदयू से आरसीपी सिंह को कैबिनेट मंत्री तथा लोजपा से पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया जा सकता है.

बिहार से इन तीन नेताओं को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. हालांकि इसकी अटकलें काफी दिनों से लगायी जा रही थी कि मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. सूत्रों के अनुसार पिछले दो दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ कैबिनेट विस्तार को लेकर बैठक की है. यह बैठकें बेहद गोपनीय रहीं और बहुत लंबे समय तक चली. पूरे कैबिनेट विस्तार की बात करें तो 18-20 मंत्री शपथ ले सकते हैं.

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बिहार से भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का नाम सामने आ रहा है. वे बिहार सरकार में वित्त से लेकर कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं. इसके अलावा वह लंबे समय तक उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस बार उनको बिहार में डिप्टी सीएम नहीं बनाकर राज्यसभा भेज दिया गया था.

वहीं जदयू कोटे से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं. वे नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेता हैं और पार्टी में नीतीश के बाद नंबर दो पर उनका स्थान है. वे आईएएस, आईआरएस अधिकारी रह चुके हैं. इसके अलावा लोजपा कोटे से पशुपति पारस को केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है. उनको स्वतंत्र प्रभार के तौर पर जिम्मेदारी दी जा सकती है. वे बिहार से करीब छह बार विधायक रहने के साथ कई बार मंत्री रह चुके हैं.

इसके अलावा सरकार 'लीडर्स मेकिंग इन प्रोसेस' के फार्मूले के तहत पार्टी के उन चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करेगी, जो अगले 5 से 10 साल तक पार्टी का चेहरा बन सकते हैं और अलग-अलग राज्यों में पार्टी के लिए प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं. सूत्रों की मानें तो पिछले सप्ताह हुई एक बैठक में प्रधानमंत्री ने कड़े फैसले लेने के संकेत दिए थे और उसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि अच्छे प्रदर्शन न करने वाले मंत्रियों कि मंत्रालय से छुट्टी की जाएगी.

वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार में 21 कैबिनेट स्तर के 9 स्वतंत्र प्रभार और 23 राज्य मंत्री हैं. इनमें से 10 राज्य सभा से हैं और बाकी मंत्री लोकसभा से हैं जो 24 राज्यों को प्रतिनिधित्व करते हैं. संवैधानिक व्यवस्था के तहत सरकार में 81 मंत्री बनाए जा सकते हैं और इस हिसाब से देखा जाए तो काफी रिक्तियां खाली हैं और कई मंत्री ऐसे हैं जिनके पास कई कई विभागों का प्रभार भी है, जिससे कहीं ना कहीं उन मंत्रियों के परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें - मोदी कैबिनेट विस्तार : मंत्री पद की रेस में कर्नाटक के कई सांसद

फिलहाल मोदी कैबिनेट में जिन राज्यों को प्रतिनिधित्व मिला हुआ है. उनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से आठ, महाराष्ट्र से छह, बिहार से पांच, मध्यप्रदेश और गुजरात से 4-4 राजस्थान से तीन उड़ीसा हरियाणा और पश्चिम बंगाल से दो-दो मंत्री तथा इसके अलावा झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, गोवा, आसाम, तेलंगाना, कर्नाटका, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ पंजाब और अरुणाचल प्रदेश से 11 मंत्री सरकार में शामिल हैं.

जहां बिहार से पार्टी के प्रमुख नेता भूपेंद्र यादव के कैबिनेट में आने की चर्चा है. वही सूत्रों का कहना है कि सरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी केंद्र में लाना चाहती है और मध्य प्रदेश में सेकंड लाइन के नेताओं को मौका देना चाहती है, ताकि शिवराज के बाद राज्य में पार्टी के दूसरे चेहरों को भी स्थापित किया जा सके. साथी मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल करने पर काफी चर्चा हो रही है.

इसके अलावा पश्चिम बंगाल से भी मौजूदा मंत्री बाबुल सुप्रियो को मंत्रिमंडल से संगठन में लाने और पश्चिम बंगाल से नितेश प्रमाणिक शांतनु ठाकुर और डॉक्टर सुभाष सरकार के नाम पर चर्चा चल रही है, जिन्हें ने मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा एक खास वर्ग की तरफ से दिल्ली के सांसद प्रवेश सिंह वर्मा को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर दबाव डाला जा रहा है. इस पर चर्चा है कि पार्टी यह नाम भी आगे बढ़ा सकती है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में सरोज पांडे, रमन सिंह के भी मंत्रिमंडल में आने की संभावना है.

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वहीं चुनावी राज्य उत्तराखंड से अनिल बलूनी और अजय टमटा के नाम पर भी विचार किया जा रहा है. उत्तराखंड में पार्टी ब्राह्मण चेहरे को आगे करना चाहती है, क्योंकि कहीं ना कहीं विपक्षी पार्टियों की तरफ से यूपी के बाद उत्तराखंड में भी यह माहौल बनाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी ब्राह्मण विरोधी पार्टी है. इसके अलावा सहयोगी कोटेशन मंत्रिमंडल में तीन पद खाली हैं, जिसमें रामविलास पासवान, अरविंद सावंत और हरसिमरत कौर के मंत्रालय हैं, लेकिन खाली जगहों पर आने वाले दिनों में होने वाले चुनावी राज्यों से प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. हालांकि चर्चा यह भी है कि उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय सहयोगी दलों से एक या दो राज्यमंत्री बनाए जा सकते हैं.

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