हैदराबाद: सोमवार 7 जून की शाम 5 बजे एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने देशवासियों को संबोधित किया. 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे पीएम मोदी का नोटबंदी वाले संबोधन के बाद कई लोगों के दिल में उनके संबोधन से पहले कई सवाल उठ जाते हैं. प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले सोशल मीडिया पर कई मीम तैरने लगे. लेकिन 5 बजे पीएम ने जो संबोधन दिया तो बात महामारी और टीकाकरण की हुई. 18 साल से अधिक की उम्र के हर नागरिक के लिए मुफ्त टीकाकरण (free vaccination) और 80 करोड़ गरीबों को दिवाली तक मुफ्त अनाज का ऐलान कर दिया.
'टीका', 'टिप्पणी' और मोदी का मास्टरस्ट्रोक
दरअसल प्रधानमंत्री का ये ऐलान टीके पर टिप्पणी यानि वैक्सीनेशन को लेकर हर मोर्चे पर केंद्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उठने वाले सवालों के खिलाफ एक मास्टरस्ट्रोक था. जिसके जरिये पीएम मोदी ने कई मोर्चे मारने की कोशिश तो की है लेकिन इस ऐलान के साथ कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं.
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एक तीर से कई शिकार
देश में पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स और फिर 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण के बाद 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण का खर्च भी केंद्र सरकार उठाएगी. इस ऐलान के हिसाब से केंद्र सरकार फिलहाल देश में मौजूद हर पात्र (eligible) शख्स को मुफ्त में टीका देगी. इस एक ऐलान से पीएम मोदी ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है.
1) टीके पर टिप्पणी करने वालों की बोलती बंद- पीएम मोदी के इस ऐलान से वैक्सीन की कमी, कीमत और सप्लाई पर सवाल उठाने वालों को बैकफुट पर धकेल दिया है. सोशल मीडिया पर भी सरकार वैक्सीनेशन के मोर्चे पर घिर रही थी. कई लोग वैक्सीन उपलब्ध ना होने के कारण सरकार पर सवाल उठा रहे थे.
2) सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीनेशन पर मांगा था जवाब- देश में चल रहे टीकाकरण अभियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने 18-44 साल के समूह के लिए केंद्र की टीकाकरण नीति को 'मनमाना और तर्कहीन' करार दिया. कोर्ट ने टीकाकरण से जुड़ा हर डेटा सरकार से मांगा था. उससे पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने मुफ्त टीकाकरण का ऐलान कर दिया है.
3) राज्यों की घेराबंदी तोड़ दी- पीएम मोदी के ताजा ऐलान के मुताबिक राज्यों को अब एक भी वैक्सीन नहीं खरीदनी पड़ेगी. केंद्र मुफ्त में राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी. अब तक राज्य वैक्सीन की कमी से लेकर, उसकी आपूर्ति, खरीद और ग्लोबल टेंडर को लेकर केंद्र सरकार को घेर रहे थे. लेकिन पीएम मोदी के इस एक मास्टरस्ट्रोक ने राज्यों की घेराबंदी को तहस-नहस कर दिया है.
4) इमेज बिल्डिंग- कोरोना संक्रमण के दौर में खासकर कोरोना की दूसरी लहर में केंद्र सरकार और खासकर नरेंद्र मोदी की इमेज को नुकसान पहुंचा है. सोशल मीडिया से लेकर विदेशी मीडिया तक पर प्रधानमंत्री सवालों के कटघरे में खड़े दिखाई दिए. कोरोना काल में चुनाव प्रचार को लेकर भी प्रधानमंत्री की खूब आलोचना हुई और आखिरकार बंगाल चुनाव में भी बीजेपी को हार मिली.
5) अगले साल 5 राज्यों में चुनाव- कोरोना काल में सरकार और प्रधानमंत्री की इमेज को जो नुकसान हुआ है, उसका असर अगले साल होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता था. खासकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर, जहां बीजेपी लगातार दूसरी बार कमल खिलाने का दावा कर रही है. अगले साल यूपी के अलावा उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं. खास बात ये ही कि इनमें से 4 राज्यों में बीजेपी की सरकार है.
6) 35 हजार करोड़ का टीकाकरण बजट - इस साल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब साल 2021-22 का बजट पेश किया तो उसमें कोरोना टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ का प्रावधान रखा था. भारत सरकार ने 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी जिसके बाद से ही सियासी विरोधियों से लेकर सोशल मीडिया और सुप्रीम कोर्ट तक ने इस 35 हजार करोड़ के बजट को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछे हैं. केंद्र सरकार ने जब वैक्सीनेशन करवाने की जिम्मेदारी राज्यों को दी तो इस वैक्सीनेशन बजट को लेकर केंद्र सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया. लेकिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के हर नागरिक को मुफ्त वैक्सीन देने का ऐलान किया तो 35 हजार करोड़ का सवाल उठाने वालों को जवाब भी खुद-ब-खुद मिल गया होगा.
7) विश्व बाजार और ग्लोबल इमेज- कुछ राज्यों ने वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर डाले थे लेकिन विदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने केंद्र सरकार की सहमति मांगी थी. जिसके कारण राज्यों को वैक्सीन नहीं मिली. अब केंद्र सरकार वैक्सीन की खरीद करेगी, इस फैसले से उन विदेशी कंपनियों की बांछे खिल गई हैं जो वैक्सीन सप्लाई करने को लेकर भारत के बाजार पर नजरें गढ़ाए बैठी थी. अब ग्लोबल टेंडर खुद केंद्र सरकार देगी. दूसरे देशों को वैक्सीन देने के बाद इतनी बड़ी आबादी का मुफ्त टीकाकरण करवाने का फैसला सरकार और प्रधानमंत्री की इमेज को बेहतर करने में मददगार हो सकता है.
कई सवाल भी उठ रहे हैं
प्रधानमंत्री ने वैक्सीनेशन को लेकर जो ऐलान किए हैं उसके सहारे भले कई मैदान मार लिए हों लेकिन कई सवाल भी हैं जो फिर से सरकार के सामने खड़े होंगे.
1) बड़ी देर कर दी मेहरबां... पीएम मोदी ने सबको मुफ्त टीका देने का ऐलान तो कर दिया लेकिन सवाल है कि ये फैसला लेने में इतनी देर क्यों लग गई. 16 जनवरी को टीकाकरण की शुरुआत हुई थी और 1 मई से 18 से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण शुरु हुआ. जनवरी से देखें तो करीब 5 महीने और 1 मई से देखें तो करीब 5 हफ्तों के बाद ये ऐलान किया गया है. विरोधी टीकाकरण में देरी को लेकर पहले से सरकार की नीति पर सवाल उठाते रहे हैं.
2) वैक्सीन भरपूर है ? या सिर्फ चुनाव और इमेज के लिए ऐलान- ये वो सवाल है जो सरकार की नीति और नीयत दोनों पर सवाल उठाता है. पीएम मोदी के मुताबिक 21 जून (योग दिवस) से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का मुफ्त टीकाकरण शुरू हो जाएगा. सवाल है कि क्या देश की इतनी आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध हैं. या फिर सिर्फ माइलेज पाने और इमेज बनाने के लिए ही ऐलान कर दिया गया है.
3) फ्री वैक्सीनेशन और निजी अस्पताल- पीएम मोदी ने फ्री वैक्सीनेशन के साथ निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगवाने पर 150 रुपये सर्विस चार्ज भी तय कर दिया. लेकिन सवाल है कि अगर सरकार मुफ्त वैक्सीनेशन का ऐलान कर अपनी पीठ थपथपा रही है और भरपूर मात्रा में वैक्सीन है तो फिर निजी अस्पतालों में टीकाकरण और उन्हें सर्विस टैक्स देने की बात क्यों की गई.