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संसद भवन पर हमले की 22वीं बरसी आज, पीएम मोदी समेत गणमान्यों ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले में मारे गए शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की. संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी,मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई केंद्रीय मंत्री भी संसद परिसर पहुंचे. PM Modi in Parliament, Parliament attack 2001 tributes to fallen Jawans, Narendra Modi tributes to fallen Jawans, JP Nadda tributes to fallen Jawans

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प्रधानमंत्री मोदी, उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और गृह मंत्री अमित शाह ने 2001 में संसद पर हुए हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 13, 2023, 11:45 AM IST

PM मोदी, उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और गृह मंत्री अमित शाह ने 2001 में संसद पर हुए हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के कई अन्य शीर्ष राजनीतिक नेता और मंत्री बुधवार को पुराने संसद भवन पहुंचे. सभी नेताओं ने संसद पर हमले के 22 साल पूरे होने पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने भी शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2001 को संसद हमले में अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों के परिवार के सदस्यों से भी बातचीत की.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी पुष्पांजलि अर्पित की. इस अवसर पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और अन्य नेता भी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद थे. बता दें कि 13 दिसंबर 2001 को, जगदीश, मातबर, कमलेश कुमारी; नानक चंद और रामपाल, सहायक उप-निरीक्षक, दिल्ली पुलिस; दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश, बिजेंदर सिंह और घनश्याम; और सीपीडब्ल्यूडी के माली देशराज ने आतंकवादी हमले के खिलाफ संसद की रक्षा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया था.

अपराधी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से संबंधित थे जिन्होंने 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला किया, जिसमें पांच दिल्ली पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी. 13 दिसंबर, 2001 के हमले में गृह मंत्रालय और संसद लेबल वाली कार में संसद में घुसपैठ करने वाले कुल पांच आतंकवादी मारे गए थे. उस समय प्रमुख राजनेताओं सहित 100 से अधिक लोग संसद भवन के अंदर थे. बंदूकधारियों ने अपनी कार पर एक नकली पहचान स्टिकर का इस्तेमाल किया और इस तरह संसदीय परिसर के आसपास तैनात सुरक्षा को आसानी से तोड़ दिया. आतंकियों के पास एके47 राइफलें, ग्रेनेड लॉन्चर और पिस्तौलें थीं.

बंदूकधारियों ने अपना वाहन भारतीय उपराष्ट्रपति कृष्ण कांत (जो उस समय इमारत में थे) की कार में घुसा दिया, बाहर निकले और गोलीबारी शुरू कर दी. उपराष्ट्रपति के गार्ड और सुरक्षाकर्मियों ने आतंकवादियों पर जवाबी गोलीबारी की और फिर परिसर के द्वार बंद करना शुरू कर दिया.भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि बंदूकधारियों को पाकिस्तान से निर्देश मिले थे और ऑपरेशन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) एजेंसी के मार्गदर्शन में किया गया था.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के कई अन्य शीर्ष राजनीतिक नेता और मंत्री बुधवार को पुराने संसद भवन पहुंचे. सभी नेताओं ने संसद पर हमले के 22 साल पूरे होने पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने भी शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2001 को संसद हमले में अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों के परिवार के सदस्यों से भी बातचीत की.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी पुष्पांजलि अर्पित की. इस अवसर पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और अन्य नेता भी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद थे. बता दें कि 13 दिसंबर 2001 को, जगदीश, मातबर, कमलेश कुमारी; नानक चंद और रामपाल, सहायक उप-निरीक्षक, दिल्ली पुलिस; दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश, बिजेंदर सिंह और घनश्याम; और सीपीडब्ल्यूडी के माली देशराज ने आतंकवादी हमले के खिलाफ संसद की रक्षा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया था.

अपराधी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से संबंधित थे जिन्होंने 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला किया, जिसमें पांच दिल्ली पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी. 13 दिसंबर, 2001 के हमले में गृह मंत्रालय और संसद लेबल वाली कार में संसद में घुसपैठ करने वाले कुल पांच आतंकवादी मारे गए थे. उस समय प्रमुख राजनेताओं सहित 100 से अधिक लोग संसद भवन के अंदर थे. बंदूकधारियों ने अपनी कार पर एक नकली पहचान स्टिकर का इस्तेमाल किया और इस तरह संसदीय परिसर के आसपास तैनात सुरक्षा को आसानी से तोड़ दिया. आतंकियों के पास एके47 राइफलें, ग्रेनेड लॉन्चर और पिस्तौलें थीं.

बंदूकधारियों ने अपना वाहन भारतीय उपराष्ट्रपति कृष्ण कांत (जो उस समय इमारत में थे) की कार में घुसा दिया, बाहर निकले और गोलीबारी शुरू कर दी. उपराष्ट्रपति के गार्ड और सुरक्षाकर्मियों ने आतंकवादियों पर जवाबी गोलीबारी की और फिर परिसर के द्वार बंद करना शुरू कर दिया.भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि बंदूकधारियों को पाकिस्तान से निर्देश मिले थे और ऑपरेशन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) एजेंसी के मार्गदर्शन में किया गया था.

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