श्योपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ने के बाद महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में भाग लिया, इसके साथ ही पीएम ने विकास केंद्रो का उद्घाटन भी किया. इस दौरान मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, "आज पूरे राज्य में उत्सव का माहौल है, रक्तदान के शिविर हो रहे हैं. रोजगार की अपार संभावनाएं लेकर PM हमारे बीच पधारे हैं. आजीविका मिशन की बहने पहले मजदूरी करती थी आज मालिक बन गई हैं, पहले यहां 1000 बेटो पर 912 बेटियां पैदा होती थी अब 976 हो रही हैं." PM Modi 72nd birthday
देश की सभी माताएं बहनें पीएम की प्रेरणा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "अगर मेरे जन्मदिन पर कोई कार्यक्रम नहीं रहता तो मैं अपनी मां का पास जाता, उनके चरण छू करके आशीर्वाद लेता. आज मैं अपनी मां के पास नहीं जा सका, लेकिन आज जब मेरी मां देखेगी कि मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल की लाखों माताएं मुझे आशीर्वाद दे रही हैं, तो उनको जरूर संतोष होगा. विश्वकर्मा जयंती पर स्वयं सहायता समूहों का इतना बड़ा सम्मेलन अपने आप में बहुत विशेष है, मैं आप सभी को सभी देशवासियों को विश्वकर्मा पूजा की भी शुभकामनाएं देता हूं. मेरे लिए देश की माताएं, बहनें, बेटियां मेरा सबसे बड़ा रक्षा कवच हैं. शक्ति का श्रोत हैं, मेरी प्रेरणा हैं"
भारत में लहरा रहा नारी शक्ति का परचम: पीएम ने आगे कहा कि, "मुझे आज इस बात की भी खुशी है कि भारत की धरती पर अब 75 साल बाद चीता फिर से लौट आया है, अब से कुछ देर पहले मुझे कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ने का सौभाग्य मिला. पिछली शताब्दी के भारत और इस शताब्दी के नए भारत में एक बहुत बड़ा अंतर हमारी नारी शक्ति के प्रतिनिधित्व के रूप में आया है. आज के नए भारत में पंचायत भवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक नारीशक्ति का परचम लहरा रहा है"
हर घर से एक महिला का स्व सहायता समूहों का लक्ष्य: मोदी ने कहा कि, "आजादी की लड़ाई में देश की बेटियां किसी से पीछे नहीं रही हैं, जिस भी सेक्टर में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है. उस क्षेत्र में उस कार्य में सफलता अपने आप तय हो जाती है, स्वच्छ भारत अभियान की सफलता इसका बेहतरीन उदाहरण है, जिसको महिलाओं ने नेतृत्व दिया है. पिछले 8 वर्षों में स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने में हमने हर प्रकार से मदद की है, देश में 8 करोड़ से अधिक बहनें इस अभियान से जुड़ी हैं. हमारा लक्ष्य है कि हर ग्रामीण परिवार से कम से कम एक बहन इस अभियान से जुड़े.