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सुप्रीम कोर्ट से गंगा नदी में बहते मिले शवों को हटाने के निर्देश देने का अनुरोध - Corona Virus

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में एक याचिका दायर कर केंद्र और उत्तर प्रदेश तथा बिहार समेत चार राज्यों को कोविड-19 (covid 19) की मौजूदा लहर के बीच गंगा नदी में बहते मिले शवों को हटाने के लिए फौरन कदम उठाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Jun 2, 2021, 4:19 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में एक याचिका दायर कर केंद्र और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) तथा बिहार (Bihar) समेत चार राज्यों को कोविड-19 की मौजूदा लहर के बीच गंगा नदी (Ganga River) में बहते मिले शवों को हटाने के लिए फौरन कदम उठाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में उत्तर प्रदेश तथा बिहार में गंगा नदी में बहते पाए गए शवों की खबरों का हवाला दिया गया है. याचिका में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से कोरोना वायरस (Corona Virus) के मृतकों का उचित तथा सम्मानित तरीके से अंतिम संस्कार करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तय करने के दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है.

यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दायर की याचिका

यह याचिका 'यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया' ने दायर की है. इसमें मुख्य सचिवों तथा जिला मजिस्ट्रेटों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि किसी भी नदी में शव फेंकने नहीं दिया जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

वकील मंजू जेटली के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, 'मृतकों के अधिकारों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है, जिसमें सम्मानित तरीके से अंतिम संस्कार करने का अधिकार भी शामिल है.'

पर्यावरण को नुकसान

इसमें कहा गया है कि गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड (Uttrakhand) है और यह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), बिहार (Bihar) तथा पश्चिम बंगाल (West Bengal) की ओर बहती है तथा नदी में शवों के बहने से पर्यावरण (Environment) को नुकसान होगा और साथ ही यह स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय अभियान के दिशा निर्देशों का उल्लंघन भी है.

याचिका में कहा गया है कि प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया जाए कि गंगा तथा अन्य नदियों से शवों को हटाया जाए. इसमें कहा गया है कि संबंधित प्राधिकारियों को हर जिले में चौबीसों घंटे के लिए एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर तय करने के निर्देश दिए जाए ताकि परिवार के सदस्यों के अनुरोध पर मृतकों को शवदाहगृह ले जाया जा सके.

याचिका में शवों के निपटारे समेत अन्य मुद्दों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की पिछले महीने जारी सिफारिशों का पालन करने के केंद्र तथा अन्यों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

मृतक को मिले उचित सम्मान

इसमें उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के पहले दिए आदेशों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी मृत व्यक्ति की प्रतिष्ठा बनायी रखी जाए और उसका सम्मान किया जाए.

ये भी पढे़ं : भारत सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देशों में शुमार, फिर टीके की कमी का कौन है जिम्मेदार : प्रियंका गांधी

इसमें कहा गया है, 'प्राकृतिक और अप्राकृतिक मौत के मामलों जैसे कि आत्महत्या, दुर्घटना, हत्या आदि में मृतकों के अधिकारों की रक्षा करना और शवों के साथ अपराध होने से रोकना राज्य का कर्तव्य है.'

याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्राधिकारी जनता को शिक्षित करने के लिए प्रयास करने तथा अधजले या बिना जले शवों को गंगा नदी में बहाने से रोकने में नाकाम रहे.

ये भी पढे़ं : कोरोना अपडेट: 24 घंटे में 1.32 लाख नए मामले, 3,207 मौत

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में एक याचिका दायर कर केंद्र और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) तथा बिहार (Bihar) समेत चार राज्यों को कोविड-19 की मौजूदा लहर के बीच गंगा नदी (Ganga River) में बहते मिले शवों को हटाने के लिए फौरन कदम उठाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में उत्तर प्रदेश तथा बिहार में गंगा नदी में बहते पाए गए शवों की खबरों का हवाला दिया गया है. याचिका में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से कोरोना वायरस (Corona Virus) के मृतकों का उचित तथा सम्मानित तरीके से अंतिम संस्कार करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तय करने के दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है.

यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दायर की याचिका

यह याचिका 'यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया' ने दायर की है. इसमें मुख्य सचिवों तथा जिला मजिस्ट्रेटों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि किसी भी नदी में शव फेंकने नहीं दिया जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

वकील मंजू जेटली के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, 'मृतकों के अधिकारों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है, जिसमें सम्मानित तरीके से अंतिम संस्कार करने का अधिकार भी शामिल है.'

पर्यावरण को नुकसान

इसमें कहा गया है कि गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड (Uttrakhand) है और यह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), बिहार (Bihar) तथा पश्चिम बंगाल (West Bengal) की ओर बहती है तथा नदी में शवों के बहने से पर्यावरण (Environment) को नुकसान होगा और साथ ही यह स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय अभियान के दिशा निर्देशों का उल्लंघन भी है.

याचिका में कहा गया है कि प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया जाए कि गंगा तथा अन्य नदियों से शवों को हटाया जाए. इसमें कहा गया है कि संबंधित प्राधिकारियों को हर जिले में चौबीसों घंटे के लिए एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर तय करने के निर्देश दिए जाए ताकि परिवार के सदस्यों के अनुरोध पर मृतकों को शवदाहगृह ले जाया जा सके.

याचिका में शवों के निपटारे समेत अन्य मुद्दों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की पिछले महीने जारी सिफारिशों का पालन करने के केंद्र तथा अन्यों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

मृतक को मिले उचित सम्मान

इसमें उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के पहले दिए आदेशों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी मृत व्यक्ति की प्रतिष्ठा बनायी रखी जाए और उसका सम्मान किया जाए.

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इसमें कहा गया है, 'प्राकृतिक और अप्राकृतिक मौत के मामलों जैसे कि आत्महत्या, दुर्घटना, हत्या आदि में मृतकों के अधिकारों की रक्षा करना और शवों के साथ अपराध होने से रोकना राज्य का कर्तव्य है.'

याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्राधिकारी जनता को शिक्षित करने के लिए प्रयास करने तथा अधजले या बिना जले शवों को गंगा नदी में बहाने से रोकने में नाकाम रहे.

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