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पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की राज्यसभा में सदस्यता को चुनौती, जानें पूरा मामला

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की राज्यसभा में सदस्यता को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका करने की खबर है.

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Published : Aug 25, 2021, 5:37 PM IST

नई दिल्ली : भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की राज्यसभा में सदस्यता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.

दायर याचिका में पूर्व सीजेआई से राज्यसभा में मनोनीत होने के लिए अपना अधिकार, सदस्यता के लिए योग्यता आदि स्पष्ट करने काे कहा गया है.

आपकाे बता दें कि CJI रंजन गोगोई ने 2018 और 2019 के बीच 13 महीने तक सुप्रीम कोर्ट में CJI के रूप में कार्य किया था. उस अवधि में अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई हुई और उन्हाेंने राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया था.

अपनी सेवानिवृत्ति के कुछ समय बाद ही उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया, जिसने नए विवाद को जन्म दिया था. यह अनुमान लगाया जाने लगा कि उन्हें हिंदुओं के पक्ष में निर्णय देने के लिए पुरस्कृत किया गया था.

बता दें कि 2019 में न्यायमूर्ति गोगोई पर शीर्ष अदालत के कर्मचारियों में से एक द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे. सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी.

इसे भी पढ़ें : अयोध्या विवाद : CJI गोगोई के रिटायरमेंट से पहले फैसले की उम्मीद

उसके बाद उन्होंने अयोध्या मामले की सुनवाई की थी और हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था.

नई दिल्ली : भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की राज्यसभा में सदस्यता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.

दायर याचिका में पूर्व सीजेआई से राज्यसभा में मनोनीत होने के लिए अपना अधिकार, सदस्यता के लिए योग्यता आदि स्पष्ट करने काे कहा गया है.

आपकाे बता दें कि CJI रंजन गोगोई ने 2018 और 2019 के बीच 13 महीने तक सुप्रीम कोर्ट में CJI के रूप में कार्य किया था. उस अवधि में अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई हुई और उन्हाेंने राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया था.

अपनी सेवानिवृत्ति के कुछ समय बाद ही उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया, जिसने नए विवाद को जन्म दिया था. यह अनुमान लगाया जाने लगा कि उन्हें हिंदुओं के पक्ष में निर्णय देने के लिए पुरस्कृत किया गया था.

बता दें कि 2019 में न्यायमूर्ति गोगोई पर शीर्ष अदालत के कर्मचारियों में से एक द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे. सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी.

इसे भी पढ़ें : अयोध्या विवाद : CJI गोगोई के रिटायरमेंट से पहले फैसले की उम्मीद

उसके बाद उन्होंने अयोध्या मामले की सुनवाई की थी और हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था.

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