नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले निकाय से प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को हटाने पर राजनीतिक विवाद के बीच एक वकील ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर उस नए कानून को रद्द करने का आग्रह किया है जो केंद्र सरकार को चुनाव आयोग में नियुक्तियां करने की व्यापक शक्तियां प्रदान करता है. वकील गोपाल सिंह द्वारा दायर याचिका में शीर्ष अदालत से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक तटस्थ एवं स्वतंत्र चयन समिति का गठन कर स्वतंत्र एवं पारदर्शी प्रणाली लागू करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है.
प्रधान न्यायाधीश को चयन समिति से हटाते हुए नए कानून में कहा गया, 'मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाएगी जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री; सदस्य के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक सदस्य के रूप में एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे.' विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने चयन समिति से प्रधान न्यायाधीश को हटाकर उच्चतम न्यायालय का अनादर किया है.
सिंह ने अपनी जनहित याचिका में शीर्ष अदालत से मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की (नियुक्ति, सेवा शर्त और कार्यकाल) से संबंधित 28 दिसंबर, 2023 की राजपत्र अधिसूचना के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का आदेश देने का आग्रह किया है. याचिका में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन समिति में प्रधान न्यायाधीश को शामिल किया जाना चाहिए.
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