प्रयागराज : यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (UP Sunni Central Waqf Board) द्वारा गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट (Islamic Cultural Foundation Trust) के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है. इस याचिका में ट्रस्ट की वैधता को चुनौती दी गई है.
आपको बता दें कि, अयोध्या के धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद के निर्माण की देख-रेख का काम इसी ट्रस्ट को सौंपा गया है. याचिका में कोर्ट से ट्रस्ट के गठन के दस्तावेजों को रद्द करने की मांग की गई है.
इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिन दस्तावेजों को रद्द करने की मांग की गई है, वे याचिका के साथ दाखिल नहीं है किए गए हैं. ऐसे में जो दस्तावेज कोर्ट में हैं ही नहीं उन्हें रद्द करने पर विचार नहीं किया जा सकता. साथ ही कोर्ट ने दस्तावेज तलब करने की मांग को अस्वीकार कर दिया.
हालांकि न्यायहित में याची को चार हफ्ते में दस्तावेज दाखिल करने का समय दिया है. साथ ही अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि दस्तावेज दाखिल नहीं किए गए तो याचिका स्वतः खारिज हो जाएगी. याचिका की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी.
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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने नदीम अहमद व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका में 1 जुलाई 2020 को जारी अधिसूचना को भी रद्द किए जाने की मांग की गई है. इसपर कोर्ट ने कहा कि अन्य जनहित याचिका में इसे वैध करार दिया जा चुका है.
मस्जिद निर्माण की देखरेख के लिए ट्रस्ट का गठन
अयोध्या के बहुचर्चित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. वक्फ बोर्ड द्वाार इस जमीन पर मस्जिद और अस्पताल बनाने के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया है. ट्रस्ट का नाम इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) रखा गया है, जो अयोध्या के धुन्नीपुर में मस्जिद निर्माण की देखरेख करेगा.