जयपुर. बर्थ सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और जन आधार पाने वाली राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर नूर शेखावत ने हाल ही में राजस्थान विश्वविद्यालय के संगठक कॉलेज महारानी महाविद्यालय में एडमिशन लिया था. नूर को महारानी कॉलेज मे दाखिले के बाद फ्रेशर्स पार्टी में नूर को स्पेशल ट्रीटमेंट मिला. उनके लिए फ्रंट लाइन में सीट रिजर्व की गई. नूर को इस दिशा में प्रेरित करने वाले राजस्थान विश्वविद्यालय के ही शोध छात्र शोराज सिंह थे. जिन्होंने पहली बार विश्वविद्यालय में शोध के लिए ट्रांसजेंडर सब्जेक्ट को चुना है.
किन्नर समुदाय पर PHD : राजस्थान विश्वविद्यालय में पहली बार ट्रांसजेंडर पर पीएचडी कर रहे शोध छात्र शोराज सिंह गुर्जर ने बताया कि 2019 में उनका पीएचडी में सिलेक्शन हुआ था. उन्होंने सिर्फ डॉक्टर लगाने के लिए पीएचडी नहीं चुनी, बल्कि वो समाज के ऐसे तबके के लिए पीएचडी करना चाहते थे, जो पिछड़ा हुआ है और उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है. शोराज की सोच थी कि उनके रिसर्च से सरकार को पॉलिसी बनाने में सहयोग मिले, इसलिए शुरुआत में वो अपने टॉपिक को लेकर असमंजस में थे. वो एक ऐसे टॉपिक पर रिसर्च करना चाहते थे, जिस पर आज तक रिसर्च नहीं हुआ. आखिर में उन्होंने राजस्थान के किन्नर समुदाय पर पीएचडी करने का फैसला लिया. झिझक के साथ इस टॉपिक को डिपार्टमेंट के सामने रखा, लेकिन फिर सभी ने इसे अच्छा टॉपिक बताते हुए, पूरा सपोर्ट करने की बात कही.
नूर शेखावत रिसर्च का हिस्सा : उन्होंने बताया कि उनका मकसद है, ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है. अभी ये समुदाय समाज से बिल्कुल कटा हुआ है. शुरुआत में उन्होंने जब अपना रिसर्च वर्क शुरू किया तो पहले कम्युनिटी के लोगों से जुड़ते हुए उन्हें अवेयर किया कि वो खुद समाज से जुड़ने की कोशिश करें. अपनी एजुकेशन को बढ़ाएं, जॉब्स के लिए अप्लाई करें. सरकार की पॉलिसी के बारे में पढ़ें, ताकि उन्हें पता लगे कि सरकार और समाज उन्हें आगे बढ़ाने के लिए क्या कर रहा है? उन्होंने बताया कि बर्थ सर्टिफिकेट और राजस्थान का पहली जन आधार कार्ड बनवाने वाली नूर शेखावत उन्हीं के रिसर्च का हिस्सा है.
बीए में लिया एडमिशन : शोराज ने बताया कि पहली बार वो अपने एक परिचित के माध्यम से लालसोट में तीन किन्नर से मिले. उनसे बात करके झिझक खत्म हुई और फिर उन्हें कॉन्फिडेंस पर लिया. इसी दौरान उनकी मुलाकात नूर से हुई. नूर से बातचीत की तो पता लगा कि वो एजुकेटेड हैं. नूर ने खुद आगे बढ़कर कहा कि वो ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए कुछ करना चाहती हैं. शुरुआत में उन्होंने नूर को एनजीओ के लिए सुझाव दिया. इसी के जरिए उनका यूनिवर्सिटी में आना-जाना शुरू हुआ और तभी उनमें पढ़ने की लालसा जगी. हालांकि, एडमिशन डेट निकल चुकी थी, लेकिन काफी प्रयास के बाद उन्हें महारानी कॉलेज बीए फर्स्ट ईयर में एडमिशन मिल गया. वहीं, नूर ने बताया कि ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए बहुत बड़ा रास्ता बनाना है. पॉलिटिक्स में जाना जरूर चाहती हूं, लेकिन अभी नहीं. अभी पहली चुनौती फूड सिक्योरिटी एक्ट, चुनावी मेनिफेस्टो और मेनस्ट्रीम में शामिल होने की है.
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एजुकेशन लेते हुए जागरूक बनेंः शोराज सिंह ने बताया कि उनके रिसर्च का मतलब अकेली नूर नहीं, बल्कि राजस्थान के ज्यादा से ज्यादा किन्नर के लोगों को अवेयर कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है. जिस तरह नूर को जोड़ने की कोशिश की है, आगे भी यही मकसद रहेगा कि अलग-अलग क्षेत्र से ऐसे लोगों को लेकर आएं. उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ सकें और फिर वो इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करें. शोराज सिंह गुर्जर की इस पहल से एक ट्रांसजेंडर को समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का मौका मिला है. नूर शेखावत को इस पहल के एक उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है. उनका प्रयास है कि ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के अन्य लोग भी एजुकेशन लेते हुए जागरूक हो सकें.