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आतंकी संगठनों को PFI का समर्थन, स्लीपर सेल का किया रिक्रूटमेंट

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) के आका भारत के खिलाफ माहौल बनाने के लिये PFI का कुनबा बढ़ाने के साथ ही आतंकी संगठनों के लिए रिक्रूटमेंट (PFI Sleeper cell recruitment) भी करते थे.

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PFI का समर्थन
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Published : Oct 4, 2022, 4:48 PM IST

लखनऊ: पीएफआई (Popular Front of India) की ट्रेनिंग में सफल होने वालों को जिहाद करने के लिए आतंकी संगठन में शामिल किया जाता था. इसका खुलासा सहारनपुर से गिरफ्तार हुए पीएफआई सदस्य लुकमान ने एटीएस की पूछताछ (PFI Sleeper cell recruitment) में किया. इससे पहले लखनऊ से गिरफ्तार हुए पीएफआई के बदरुद्दीन ने एटीएस की पूछताछ में आतंकी संगठनों के संपर्क होने की बात स्वीकार की थी.

सूत्रों के मुताबिक, यूपी एटीएस की पूछताछ में लुकमान ने बताया कि पश्चिमी यूपी में मुस्लिम युवाओं को भड़काऊ और कट्टरपंथियों के वीडियो दिखाकर बरगलाया (PFI support to terrorist organizations) जाता था. उसके बाद युवा आतंकी संगठनों से जुड़ने के लिए तैयार हो जाते थे तो उनका साइकोलॉजिकल टेस्ट लिया जाता था. इस टेस्ट में उनसे सवाल पूछे जाते थे कि भारत में इस्लाम की हुकूमत कायम करने के लिए वो कौन सा रास्ता चुनेंगे. यह टेस्टे टेलीग्राम के जरिए लिया जाता था. टेस्ट के बाद युवाओं को हमले की ट्रेनिंग (PFI Sleeper cell recruitment) भी दी जाती थी. लुकमान ने बताया कि इसके बाद एक बार फिर से टेलीग्राम के जरिए उनसे संपर्क किया जाता है. जिसमें उन्हें पीएफआई (Popular Front of India) और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish e Mohammed terrorist organization) किसी एक को चुनने के लिए कहा जाता है. युवकों को सार्वजनिक रूप से उत्पात करने के लिए बोला जाता.


पढ़ें- लखनऊ में प्रापर्टी डीलर को किडनैप कर मांगी थी 12 लाख की फ‍िरौती, तीन गिरफ्तार

एटीएस के सूत्रों के मुताबिक, लुकमान ने बीते साल लखनऊ से गिरफ्तार हुए पीएफआई (Popular Front of India) के सदस्य बदरुद्दीन और फिरोज से भी उसका संबंध (PFI Contact with terrorist organizations) होना बताया है. उसके अनुसार उनकी ट्रेनिंग भी पीएफआई ने ही करवाई थी. बदरुद्दीन और फिरोज विस्फोटक बनाने में माहिर थे. पीएफआई (PFI support to terrorist organizations) ने इन दोनों की मुलाकात आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के सदस्यों से करवाई थी, लेकिन बाद में बदरुद्दीन और फिरोज जैश-ए-मोहम्मद के करीब आ गये थे.

यूपी एटीएस ने इसस पहले जैश आतंकी नदीम और हबिबुल को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में उसने पीएफआई (Popular Front of India) के कई लोगों के नाम उगले थे. जो लोग इन दोनों की अर्थिक मदद कर रहे थे. एटीएस सूत्रों के मुताबिक, पीएफआई सदस्यों के पास से मोबाइल और हार्डड्राइव बरामद हुई थी.

पीएफआई (PFI support to terrorist organizations) जिन वीडियो को दिखाकर मुस्लिम युवाओं को अपने मिशन गजवा-ए-हिंद (Muslim youth Mission Ghazwa e Hind) से जोड़त थे. वह वीडियो जैश आतंकी ही (PFI Contact with terrorist organizations) बनाते थे. सूत्रों के मुताबिक, बीते दिनों कानपुर से गिरफ्तार हुए हबिबुल (19) के कई जिहादी वीडियो पीएफआई सदस्यों के मोबाइल से बरामद हुए थे. ये वीडियो हबिबुल सीमा पार बैठे जैश कमांडर के इशारों पर बनाता था. वीडियो बनाने के बाद जैश उसे अप्रूव करता था और उसके बाद वीडियो को पीएफआई को भेज देता था. फिलहाल यूपी एटीएस, एसटीएफ और पुलिस अलग-अलग पीएफआई (Popular Front of India) सदस्यों से पूछताछ में जुटी है. लखनऊ से गिरफ्तार हुए अहमद बेग से लखनऊ पुलिस पूछताछ में जुटी है. वहीं, पीएफआई प्रदेश अध्यक्ष वसीम और उसके साथी नदीम से भी पूछताछ की गई.

पढ़ें- ललितपुर में किशोरी से गैंगरेप, हालत गंभीर होने पर झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर

लखनऊ: पीएफआई (Popular Front of India) की ट्रेनिंग में सफल होने वालों को जिहाद करने के लिए आतंकी संगठन में शामिल किया जाता था. इसका खुलासा सहारनपुर से गिरफ्तार हुए पीएफआई सदस्य लुकमान ने एटीएस की पूछताछ (PFI Sleeper cell recruitment) में किया. इससे पहले लखनऊ से गिरफ्तार हुए पीएफआई के बदरुद्दीन ने एटीएस की पूछताछ में आतंकी संगठनों के संपर्क होने की बात स्वीकार की थी.

सूत्रों के मुताबिक, यूपी एटीएस की पूछताछ में लुकमान ने बताया कि पश्चिमी यूपी में मुस्लिम युवाओं को भड़काऊ और कट्टरपंथियों के वीडियो दिखाकर बरगलाया (PFI support to terrorist organizations) जाता था. उसके बाद युवा आतंकी संगठनों से जुड़ने के लिए तैयार हो जाते थे तो उनका साइकोलॉजिकल टेस्ट लिया जाता था. इस टेस्ट में उनसे सवाल पूछे जाते थे कि भारत में इस्लाम की हुकूमत कायम करने के लिए वो कौन सा रास्ता चुनेंगे. यह टेस्टे टेलीग्राम के जरिए लिया जाता था. टेस्ट के बाद युवाओं को हमले की ट्रेनिंग (PFI Sleeper cell recruitment) भी दी जाती थी. लुकमान ने बताया कि इसके बाद एक बार फिर से टेलीग्राम के जरिए उनसे संपर्क किया जाता है. जिसमें उन्हें पीएफआई (Popular Front of India) और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish e Mohammed terrorist organization) किसी एक को चुनने के लिए कहा जाता है. युवकों को सार्वजनिक रूप से उत्पात करने के लिए बोला जाता.


पढ़ें- लखनऊ में प्रापर्टी डीलर को किडनैप कर मांगी थी 12 लाख की फ‍िरौती, तीन गिरफ्तार

एटीएस के सूत्रों के मुताबिक, लुकमान ने बीते साल लखनऊ से गिरफ्तार हुए पीएफआई (Popular Front of India) के सदस्य बदरुद्दीन और फिरोज से भी उसका संबंध (PFI Contact with terrorist organizations) होना बताया है. उसके अनुसार उनकी ट्रेनिंग भी पीएफआई ने ही करवाई थी. बदरुद्दीन और फिरोज विस्फोटक बनाने में माहिर थे. पीएफआई (PFI support to terrorist organizations) ने इन दोनों की मुलाकात आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के सदस्यों से करवाई थी, लेकिन बाद में बदरुद्दीन और फिरोज जैश-ए-मोहम्मद के करीब आ गये थे.

यूपी एटीएस ने इसस पहले जैश आतंकी नदीम और हबिबुल को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में उसने पीएफआई (Popular Front of India) के कई लोगों के नाम उगले थे. जो लोग इन दोनों की अर्थिक मदद कर रहे थे. एटीएस सूत्रों के मुताबिक, पीएफआई सदस्यों के पास से मोबाइल और हार्डड्राइव बरामद हुई थी.

पीएफआई (PFI support to terrorist organizations) जिन वीडियो को दिखाकर मुस्लिम युवाओं को अपने मिशन गजवा-ए-हिंद (Muslim youth Mission Ghazwa e Hind) से जोड़त थे. वह वीडियो जैश आतंकी ही (PFI Contact with terrorist organizations) बनाते थे. सूत्रों के मुताबिक, बीते दिनों कानपुर से गिरफ्तार हुए हबिबुल (19) के कई जिहादी वीडियो पीएफआई सदस्यों के मोबाइल से बरामद हुए थे. ये वीडियो हबिबुल सीमा पार बैठे जैश कमांडर के इशारों पर बनाता था. वीडियो बनाने के बाद जैश उसे अप्रूव करता था और उसके बाद वीडियो को पीएफआई को भेज देता था. फिलहाल यूपी एटीएस, एसटीएफ और पुलिस अलग-अलग पीएफआई (Popular Front of India) सदस्यों से पूछताछ में जुटी है. लखनऊ से गिरफ्तार हुए अहमद बेग से लखनऊ पुलिस पूछताछ में जुटी है. वहीं, पीएफआई प्रदेश अध्यक्ष वसीम और उसके साथी नदीम से भी पूछताछ की गई.

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