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वैश्विक महामारी के दौरान वकीलों को पांच लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण के लिये अदालत में याचिका

दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैश्विक महामारी के दौरान बार काउंसिल ऑफ़ दिल्ली (बीसीडी) के वकीलों को पांच लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने के अनुरोध वाली याचिका पर बुधवार को केन्द्र और दिल्ली सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया.

दिल्ली उच्च न्यायालय
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Published : Jun 2, 2021, 4:45 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैश्विक महामारी के दौरान बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) के वकीलों को पांच लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने के अनुरोध वाली याचिका पर बुधवार को केन्द्र और दिल्ली सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने 14 वकीलों की याचिका पर वित्त मंत्रालय, दिल्ली सरकार, बीसीडी और भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किए हैं.

वकीलों ने अदालत से यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि जब तक वे दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत हैं, उन्हें आवासीय पता या अधिवक्ताओं के मतदाता पहचान पत्र के इतर ही ब्याज मुक्त ऋण के रूप में पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाए. अदालत में याचिका वकील सुनील कुमार तिवारी के माध्यम से दायर की गयी है जो खुद भी याचिकाकर्ताओं में से एक हैं. इसमें तर्क दिया है कि वित्तीय सहायता वकीलों को उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और सम्मान के साथ जीने और स्कूल की फीस अदा करने, उनके विभिन्न ऋणों / क्रेडिट कार्ड भुगतान आदि के खिलाफ उनकी लंबित ईएमआई का भुगतान करने में मदद करेगी.

पढ़ें :कालाबाजारियों से जब्त ऑक्सीजन जल्द रिलीज करें अधिकारी : दिल्ली हाईकोर्ट

याचिका में अनुरोध किया गया है कि प्रत्येक वकील को पांच साल की अवधि के लिए पांच लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया जाए.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैश्विक महामारी के दौरान बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) के वकीलों को पांच लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने के अनुरोध वाली याचिका पर बुधवार को केन्द्र और दिल्ली सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने 14 वकीलों की याचिका पर वित्त मंत्रालय, दिल्ली सरकार, बीसीडी और भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किए हैं.

वकीलों ने अदालत से यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि जब तक वे दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत हैं, उन्हें आवासीय पता या अधिवक्ताओं के मतदाता पहचान पत्र के इतर ही ब्याज मुक्त ऋण के रूप में पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाए. अदालत में याचिका वकील सुनील कुमार तिवारी के माध्यम से दायर की गयी है जो खुद भी याचिकाकर्ताओं में से एक हैं. इसमें तर्क दिया है कि वित्तीय सहायता वकीलों को उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और सम्मान के साथ जीने और स्कूल की फीस अदा करने, उनके विभिन्न ऋणों / क्रेडिट कार्ड भुगतान आदि के खिलाफ उनकी लंबित ईएमआई का भुगतान करने में मदद करेगी.

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याचिका में अनुरोध किया गया है कि प्रत्येक वकील को पांच साल की अवधि के लिए पांच लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया जाए.

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