नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षक भर्ती में कथित अनियमितताओं के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा तृणमूल कांग्रेस विधायक माणिक भट्टाचार्य की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने ईडी की गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के साथ ही भट्टाचार्य द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने कहा कि आवेदन खारिज किया जाता है.
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से इनकार करने का फैसला लिया. सुनवाई के दौरान भट्टाचार्य के वकील ने दलील दी थी कि अदालत ने उन्हें सीबीआई मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है. वकील ने आगे तर्क दिया कि भट्टाचार्य हर मौके पर ईडी के सामने पेश हुए, लेकिन उनका दावा है कि वह सहयोग नहीं कर रहे थे. ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा स्वतंत्र जांच है. 10 अक्टूबर को ईडी ने शिक्षक नियुक्ति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में माणिक भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया था.
प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितता के मामले में ईडी ने भट्टाचार्य को 11 अक्टूबर को रातभर चली पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भट्टाचार्य को कथित तौर पर जांच में सहयोग नहीं करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. वह नादिया जिले के पलाशीपारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. इससे पहले कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस नेता माणिक भट्टाचार्य की याचिका पर मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने माणिक भट्टाचार्य की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था.
माणिक भट्टाचार्य ने अपनी याचिका में ईडी के जांच अधिकारी को बताया कि विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) न्यायालय, सिटी सत्र न्यायालय कलकत्ता के समक्ष एक रिमांड आवेदन दायर कर 11 अक्टूबर को याचिकाकर्ता की 14 दिनों की हिरासत रिमांड की मांग की थी. उन्होंने कहा कि यह न केवल सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेशों का खुलेआम उल्लंघन है, बल्कि जांच एजेंसी ने याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को उसकी गिरफ्तारी की सूचना भी नहीं दी है, जो कि सीआरपीसी की धारा 41बी के प्रावधानों का उल्लंघन है.
याचिकाकर्ता माणिक भट्टाचार्य ने शीर्ष अदालत से ईसीआईआर के आधार पर शुरू की गई कार्यवाही के संबंध में अपनी गिरफ्तारी और प्रवर्तन निदेशालय कोलकाता द्वारा जारी 14 अक्टूबर, 2022 के समन को अवैध घोषित करने का आग्रह किया है. प्रवर्तन निदेशालय ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माणिक भट्टाचार्य प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक प्रमुख आरोपी हैं. ईडी ने बताया कि पीएमएलए के तहत जांच में माणिक भट्टाचार्य की डब्ल्यूबीबीपीई के पूर्व अध्यक्ष और टीएमसी के पलाशीपारा विधायक द्वारा पैसे के बदले नौकरी की पेशकश को लेकर इस घोटाले में प्रमुख व्यक्ति के रूप में सामने आई है.
ईडी ने अपने हलफनामे में यह भी कहा कि माणिक ने 2011 से शुरू होकर 10 साल से अधिक की अवधि के लिए पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड का नेतृत्व किया, जिसके दौरान बोर्ड के माध्यम से 58000 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली माणिक भट्टाचार्य की याचिका का विरोध किया था क्योंकि जांच एजेंसी ने बताया कि माणिक भट्टाचार्य पीएमएलए, 2002 की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों के दौरान असहयोगी रहे हैं और उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमा किए गए धन के स्रोत को छिपाकर जांच को गुमराह करने की लगातार कोशिश की।