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Musharrafs journey: परवेज मुशर्रफ का एक सैनिक से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

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Published : Feb 5, 2023, 8:38 PM IST

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का जन्म दिल्ली में हुआ था. मुशर्रफ 1964 में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे. वर्ष 1999 में सैन्य तख्तापलट के बाद वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने थे.

Etv BharatPervez Musharraf's journey from a soldier to President (file photo)
Etv Bharatपरवेज मुशर्रफ का एक सैनिक से राष्ट्रपति बनने तक का सफर (फाइल फोटो)

हैदराबाद: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का देश के सैन्य क्षेत्र में लंबा इतिहास रहा है. उनका जन्म भारत की राजधानी दिल्ली में हुआ था, लेकिन पढ़ाई-लिखाई पाकिस्तान में हुई. उन्होंने बतौर सैनिक अपने करियर की शुरुआत की और आखिर में सैन्य तख्तापलट कर राष्ट्रपति के पद पर काबिज हुए.

जनरल परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को हुआ था. ब्रिटिश राज के दौरान दिल्ली में जन्मे मुशर्रफ का पालन-पोषण पाकिस्तान और तुर्की में हुआ. उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में गणित विषय से पढ़ाई की. उसके बाद यूनाइटेड किंगडम में रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज में शिक्षा प्राप्त की. मुशर्रफ ने 1961 में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में प्रवेश किया. 1964 में वह पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए.

मुशर्रफ 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लेफ्टिनेंट थे. उन्होंने भारत के खिलाफ 1965 और 1971 के युद्धों को देखा. 1980 के दशक तक, वह तोपखाना ब्रिगेड की कमान संभाल रहे थे. 1990 के दशक में मुशर्रफ को प्रमुख जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया. बाद में उन्हें पैदल सेना प्रभाग सौंपा गया. इसके बाद उन्हें उप सैन्य सचिव और सैन्य अभियानों के महानिदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया.

कैसे बने राष्ट्रपति: पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उन्हें अक्टूबर 1998 में सशस्त्र बलों का प्रमुख (chief of army) नियुक्त किया. कुछ समय के बाद नवाज शरीफ मुशर्रफ और मुशर्रफ के बीच दूरी बढ़ गई. इस बीच 12 अक्टूबर, 1999 को जब मुशर्रफ देश से बाहर थे, तो नवाज शरीफ ने उन्हें पद से हटा दिया. मुशर्रफ को घर ले जाने वाले विमान को कराची हवाई अड्डे पर उतरने से रोकने की कोशिश की गई.

इस बीच सशस्त्र बलों ने हवाई अड्डे और अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों पर नियंत्रण कर लिया और नवाज शरीफ को ही अपदस्थ कर दिया. इसके बाद मुशर्रफ ने संविधान को निलंबित कर दिया और संसद को भंग कर दिया. उन्होंने अंतरिम रूप से पाकिस्तान को चलाने के लिए नागरिक और सैन्य नियुक्तियों से बनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का गठन किया. वर्ष 2001 की शुरुआत में उन्होंने राष्ट्रपति पद ग्रहण किया.

ये भी पढ़ें- Pervez Musharraf Passes Away : किस बीमारी से ग्रसित थे मुशर्रफ, जानें

उन्होंने तालिबान के लिए पाकिस्तानी समर्थन को प्रोत्साहित करते हुए अफगान गृहयुद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई. 1998 में मुशर्रफ को राष्ट्रीय प्रमुखता तब मिली जब उन्हें प्रधान मंत्री नवाज शरीफ द्वारा जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया. इसके बाद मुशर्रफ सशस्त्र बलों के प्रमुख बन गए. 1999 में संघीय सरकार का सफल सैन्य अधिग्रहण किया और वह पाकिस्तान के दसवें राष्ट्रपति बने. मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन किया था. उन्होंने 1998 से 2001 तक स्टाफ कमेटी के 10वें अध्यक्ष और 1998 से 2007 तक सेना के 7वें प्रमुख के रूप में भी काम किया.

ये भी पढ़ें- Pervez Musharraf passes away : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का निधन

मुशर्रफ को फांसी की सजा: परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई गई थी. पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में मुशर्रफ के खिलाफ सजा सुनाई गई. देश में 2007 में आपातकाल लगाने और संविधान को निलंबित करने के आरोप में यह सजा सुनाई गई थी. परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले की सुनवाई के बाद 31 मार्च 2014 को मुशर्रफ दोषी ठहराया गया था. बाद में एक समझौते के तहत मुशर्रफ पाकिस्तान से दूर दुबई में रहने को तैयार हुए. वहीं पर निधन भी हुआ.

हैदराबाद: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का देश के सैन्य क्षेत्र में लंबा इतिहास रहा है. उनका जन्म भारत की राजधानी दिल्ली में हुआ था, लेकिन पढ़ाई-लिखाई पाकिस्तान में हुई. उन्होंने बतौर सैनिक अपने करियर की शुरुआत की और आखिर में सैन्य तख्तापलट कर राष्ट्रपति के पद पर काबिज हुए.

जनरल परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को हुआ था. ब्रिटिश राज के दौरान दिल्ली में जन्मे मुशर्रफ का पालन-पोषण पाकिस्तान और तुर्की में हुआ. उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में गणित विषय से पढ़ाई की. उसके बाद यूनाइटेड किंगडम में रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज में शिक्षा प्राप्त की. मुशर्रफ ने 1961 में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में प्रवेश किया. 1964 में वह पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए.

मुशर्रफ 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लेफ्टिनेंट थे. उन्होंने भारत के खिलाफ 1965 और 1971 के युद्धों को देखा. 1980 के दशक तक, वह तोपखाना ब्रिगेड की कमान संभाल रहे थे. 1990 के दशक में मुशर्रफ को प्रमुख जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया. बाद में उन्हें पैदल सेना प्रभाग सौंपा गया. इसके बाद उन्हें उप सैन्य सचिव और सैन्य अभियानों के महानिदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया.

कैसे बने राष्ट्रपति: पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उन्हें अक्टूबर 1998 में सशस्त्र बलों का प्रमुख (chief of army) नियुक्त किया. कुछ समय के बाद नवाज शरीफ मुशर्रफ और मुशर्रफ के बीच दूरी बढ़ गई. इस बीच 12 अक्टूबर, 1999 को जब मुशर्रफ देश से बाहर थे, तो नवाज शरीफ ने उन्हें पद से हटा दिया. मुशर्रफ को घर ले जाने वाले विमान को कराची हवाई अड्डे पर उतरने से रोकने की कोशिश की गई.

इस बीच सशस्त्र बलों ने हवाई अड्डे और अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों पर नियंत्रण कर लिया और नवाज शरीफ को ही अपदस्थ कर दिया. इसके बाद मुशर्रफ ने संविधान को निलंबित कर दिया और संसद को भंग कर दिया. उन्होंने अंतरिम रूप से पाकिस्तान को चलाने के लिए नागरिक और सैन्य नियुक्तियों से बनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का गठन किया. वर्ष 2001 की शुरुआत में उन्होंने राष्ट्रपति पद ग्रहण किया.

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उन्होंने तालिबान के लिए पाकिस्तानी समर्थन को प्रोत्साहित करते हुए अफगान गृहयुद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई. 1998 में मुशर्रफ को राष्ट्रीय प्रमुखता तब मिली जब उन्हें प्रधान मंत्री नवाज शरीफ द्वारा जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया. इसके बाद मुशर्रफ सशस्त्र बलों के प्रमुख बन गए. 1999 में संघीय सरकार का सफल सैन्य अधिग्रहण किया और वह पाकिस्तान के दसवें राष्ट्रपति बने. मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन किया था. उन्होंने 1998 से 2001 तक स्टाफ कमेटी के 10वें अध्यक्ष और 1998 से 2007 तक सेना के 7वें प्रमुख के रूप में भी काम किया.

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मुशर्रफ को फांसी की सजा: परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई गई थी. पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में मुशर्रफ के खिलाफ सजा सुनाई गई. देश में 2007 में आपातकाल लगाने और संविधान को निलंबित करने के आरोप में यह सजा सुनाई गई थी. परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले की सुनवाई के बाद 31 मार्च 2014 को मुशर्रफ दोषी ठहराया गया था. बाद में एक समझौते के तहत मुशर्रफ पाकिस्तान से दूर दुबई में रहने को तैयार हुए. वहीं पर निधन भी हुआ.

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