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आस्था या अंधविश्वास : डायरिया से 3 बच्चों की मौत, गांव वाले करने लगे पूजा-पाठ

बिहार के भागलपुर जिले के एक गांव में बीते कुछ दिन पहले डायरिया से तीन बच्चे की मौत हो थी. जिसके बाद इस बीमारी के प्रकोप से बचने के लिए लोग दैवीय आपदा मानकर पूजा-पाठ कर रहे हैं. मामला जिले के सनहौला प्रखंड के अरार पंचायत के भंडारीडीह महादलित टोला का है. पढ़ें पूरी खबर...

आस्था या अंधविश्वास
आस्था या अंधविश्वास
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Published : Aug 4, 2021, 2:21 PM IST

भागलपुर : बिहार के भागलपुर ( Bhagalpur ) जिले के एक गांव में डायरिया ( Diarrhea ) का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. यहां एक ही घर में तीन बच्चों की डायरिया से मौत हो गई. वहीं, अभी भी कई घरों में बच्च इस बीमारी से पीड़ित हैं. लेकिन यहां लोग इलाज ( Treatment ) के बजाए आस्था पर विश्वास कर रहे हैं और बीमारी को दैवीय आपदा मानकर पूजा पाठ शुरू कर दिया हैं.

'देवी पूजन से डायरिया होगा खत्म'

ईटीवी भारत ने खबर की पड़ताल की तो पूरा खेल अंधविश्वास ( Superstition ) से जुड़ा मिला. यहां गांव में ढोल और बाजे के साथ देवी गीत गाकर देवी की पूजा की जा रही है. इसके पीछे यहां के लोग तर्क दे रहे हैं कि देवी की पूजा से डायरिया बीमारी से निजात मिलेगी. यहां लोग चावल, चावल के बने लड्डू, धूप, अगरबत्ती, पान और सुपारी से शिव पूजा-पाठ कर रहे हैं.

देखें वीडियो

लोगों का मानना है कि पूजा-पाठ करने से देवी खुश हो जाएंगी और वह प्रार्थना स्वीकार कर डायरिया से गांव को मुक्ति दिला देंगी. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस पूजा-पाठ से भविष्य में होने वाली बीमारी से भी बचेंगे. पूजा पाठ से गांव में सुख समृद्धि आएगी. इसलिए पूजा की जा रही है.

2 दिन पहले 3 बच्चो की मौत

मामला भागलपुर के सनहौला प्रखंड के अरार पंचायत के भंडारीडीह महादलित टोला का है. यहां बीते 2 दिन पहले एक ही घर में 3 बच्चे की मौत होने के बाद इलाके में दहशत फैल गया. सरकारी तंत्र और स्वास्थ्य व्यवस्था विफल होने के बाद यहां के लोगों ने आस्था पर विश्वास किया. जिसको लेकर पूजा-पाठ शुरू कर दिया है. लोगों को विश्वास है कि उन्हें बीमारी से सरकारी तंत्र नहीं, देवी पूजा ही बचा सकती है. यहां के लोग एक तांत्रिक के कहने पर पूजा-पाठ शुरू किया है.

आस्था या अंधविश्वास
आस्था या अंधविश्वास

'3 वर्ष से देवी पूजन नहीं इसलिए 3 मौतें'

पूजा का संचालन कर रहे पुजारी प्रकाश पासवान ने बताया कि बीते 2 दिन पहले गांव में 3 बच्चों की मौत एक ही घर में किसी बीमारी से हो गई. उन्होंने कहा कि 3 वर्ष से यहां देवी की पूजा आयोजित नहीं की गई थी. इसलिए तीन बच्चों की मौत हुई है. बच्चों की मौत होने के बाद पंडित और तांत्रिक को यहां के बारे में बताया, जिसके बाद तांत्रिक और पंडित ने गांव में देवी का प्रकोप होने की बात बताई.

आस्था या अंधविश्वास
आस्था या अंधविश्वास

'पूजा नहीं होने के कारण देवी नाराज'

पूजारी ने बताया कि इसी प्रकोप को हटाने के लिए यह पूजा आयोजन किया गया है. क्योंकि इन तीन बच्चों के मरने के बाद भी गांव के कई घरों में बच्चे बीमार हैं. उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि आज की पूजा के बाद बीमारी का प्रकोप कम होगा. उन्होंने कहा कि गांव में पूजा नहीं होने के कारण देवी नाराज हैं. पूजा के बाद देवी खुश होकर हम लोगों को बीमारी से मुक्ति दिलाएंगी.

आस्था या अंधविश्वास
आस्था या अंधविश्वास

पढ़ें : सुशिक्षित दंपती ने अंधविश्वास में की दो बेटियों की हत्या

बता दें कि अरार पंचायत के भंडारीडीह गांव पिछड़े इलाकों में आता है. जहां अशिक्षा और गरीबी दोनों ने अपनी जड़े जमा रखी है. अशिक्षित लोग अक्सर अंधविश्वास के चक्कर में पहले पड़ते हैं. सरकार द्वारा जागरुकता को लेकर भी यहां किसी तरह का कोई कदम नहीं उठाया जाता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा खानापूर्ति किया जाता है. ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर इतिश्री कर दिया जाता है. लोगों को डायरिया बचाव के उपाय नहीं बताए जाते हैं. प्रशासनिक लापरवाही को ही यह तस्वीर प्रमाणित करता है, जहां महिला हो या पुरुष, सभी देवी के सामने खड़े होकर पूजा कर रहे हैं.

भागलपुर : बिहार के भागलपुर ( Bhagalpur ) जिले के एक गांव में डायरिया ( Diarrhea ) का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. यहां एक ही घर में तीन बच्चों की डायरिया से मौत हो गई. वहीं, अभी भी कई घरों में बच्च इस बीमारी से पीड़ित हैं. लेकिन यहां लोग इलाज ( Treatment ) के बजाए आस्था पर विश्वास कर रहे हैं और बीमारी को दैवीय आपदा मानकर पूजा पाठ शुरू कर दिया हैं.

'देवी पूजन से डायरिया होगा खत्म'

ईटीवी भारत ने खबर की पड़ताल की तो पूरा खेल अंधविश्वास ( Superstition ) से जुड़ा मिला. यहां गांव में ढोल और बाजे के साथ देवी गीत गाकर देवी की पूजा की जा रही है. इसके पीछे यहां के लोग तर्क दे रहे हैं कि देवी की पूजा से डायरिया बीमारी से निजात मिलेगी. यहां लोग चावल, चावल के बने लड्डू, धूप, अगरबत्ती, पान और सुपारी से शिव पूजा-पाठ कर रहे हैं.

देखें वीडियो

लोगों का मानना है कि पूजा-पाठ करने से देवी खुश हो जाएंगी और वह प्रार्थना स्वीकार कर डायरिया से गांव को मुक्ति दिला देंगी. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस पूजा-पाठ से भविष्य में होने वाली बीमारी से भी बचेंगे. पूजा पाठ से गांव में सुख समृद्धि आएगी. इसलिए पूजा की जा रही है.

2 दिन पहले 3 बच्चो की मौत

मामला भागलपुर के सनहौला प्रखंड के अरार पंचायत के भंडारीडीह महादलित टोला का है. यहां बीते 2 दिन पहले एक ही घर में 3 बच्चे की मौत होने के बाद इलाके में दहशत फैल गया. सरकारी तंत्र और स्वास्थ्य व्यवस्था विफल होने के बाद यहां के लोगों ने आस्था पर विश्वास किया. जिसको लेकर पूजा-पाठ शुरू कर दिया है. लोगों को विश्वास है कि उन्हें बीमारी से सरकारी तंत्र नहीं, देवी पूजा ही बचा सकती है. यहां के लोग एक तांत्रिक के कहने पर पूजा-पाठ शुरू किया है.

आस्था या अंधविश्वास
आस्था या अंधविश्वास

'3 वर्ष से देवी पूजन नहीं इसलिए 3 मौतें'

पूजा का संचालन कर रहे पुजारी प्रकाश पासवान ने बताया कि बीते 2 दिन पहले गांव में 3 बच्चों की मौत एक ही घर में किसी बीमारी से हो गई. उन्होंने कहा कि 3 वर्ष से यहां देवी की पूजा आयोजित नहीं की गई थी. इसलिए तीन बच्चों की मौत हुई है. बच्चों की मौत होने के बाद पंडित और तांत्रिक को यहां के बारे में बताया, जिसके बाद तांत्रिक और पंडित ने गांव में देवी का प्रकोप होने की बात बताई.

आस्था या अंधविश्वास
आस्था या अंधविश्वास

'पूजा नहीं होने के कारण देवी नाराज'

पूजारी ने बताया कि इसी प्रकोप को हटाने के लिए यह पूजा आयोजन किया गया है. क्योंकि इन तीन बच्चों के मरने के बाद भी गांव के कई घरों में बच्चे बीमार हैं. उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि आज की पूजा के बाद बीमारी का प्रकोप कम होगा. उन्होंने कहा कि गांव में पूजा नहीं होने के कारण देवी नाराज हैं. पूजा के बाद देवी खुश होकर हम लोगों को बीमारी से मुक्ति दिलाएंगी.

आस्था या अंधविश्वास
आस्था या अंधविश्वास

पढ़ें : सुशिक्षित दंपती ने अंधविश्वास में की दो बेटियों की हत्या

बता दें कि अरार पंचायत के भंडारीडीह गांव पिछड़े इलाकों में आता है. जहां अशिक्षा और गरीबी दोनों ने अपनी जड़े जमा रखी है. अशिक्षित लोग अक्सर अंधविश्वास के चक्कर में पहले पड़ते हैं. सरकार द्वारा जागरुकता को लेकर भी यहां किसी तरह का कोई कदम नहीं उठाया जाता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा खानापूर्ति किया जाता है. ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर इतिश्री कर दिया जाता है. लोगों को डायरिया बचाव के उपाय नहीं बताए जाते हैं. प्रशासनिक लापरवाही को ही यह तस्वीर प्रमाणित करता है, जहां महिला हो या पुरुष, सभी देवी के सामने खड़े होकर पूजा कर रहे हैं.

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