हैदराबाद: आज के वक्त में बचत से ज्यादा निवेश की पूछ है. शेयर बाजार से लेकर रियल एस्टेट तक आज कई विकल्प हैं जहां आप निवेश कर सकते हैं. जानकार मानते हैं कि मौजूदा दौर में सरकार की नीतियां भी निवेश के पक्ष में बनती हैं, सरकार का मकसद भी लोगों को बचत की बजाय निवेश के लिए प्रेरित करना है. जिससे बाजार में पैसे का फ्लो बना रहे. लेकिन आज भी देश की आबादी का अधिकांश हिस्सा निवेश की बजाय बचत के फॉर्मूले पर ही भरोसा करते हैं. इसकी कई वजहें हैं, लेकिन इन दिनों कई ऐसी स्कीम हैं जिनमें आप निवेश करके अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं.
निवेश की बजाय बचत क्यों चुनते हैं ज्यादातर लोग?
1) रिस्क कम- आज भी अधिकांश लोग निवेश की बजाय बचत के फॉर्मूले पर विश्वास रखते हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह है रिस्क का कम होना. शेयर बाजार से लेकर रिएल एस्टेट या अन्य निवेश विकल्पों को लेकर आम लोगों की धारणा है कि निवेश में जोखिम का तत्व होता है. शेयर बाजार में पैसा डूबने की कहानियां और ख़बरें आए दिन अखबारों की सुर्खयां बनती हैं. जो आम लोगों खासकर नौकरी पेशा मिडिल क्लास को निवेश के विकल्प से दूर ले जाती है.
2) जानकारी का अभाव- दूसरी मुख्य वजह है कि शेयर बाजार में निवेश की पर्याप्त जानकारी का अभाव भी लोगों को इससे दूर करता है. बैंक में बचत जमा करना और शेयर बाजार में निवेश करने में जमीन आसमान का अंतर है. शेयर बाजार में निवेश करना एक जटिल प्रक्रिया है, जो कई लोगों के लिए बहुत ही नई चीज है.
3) एक निश्चित रिटर्न- शेयर बाजार जैसे निवेश के विकल्प में जहां छप्पर फाड़ मुनाफा हो सकता है तो रातों रात कमाई लुट भी सकती है. आम लोगों और खासकर मिडिल क्लास इस पंगे से खुद को दूर रखना चाहता है. मध्यवर्ग की कोशिश होती है कि उसकी बचत के बदले एक निश्चित रिटर्न मिल जाए भले ही वो शेयर बाजार के मुकाबले कई गुना कम हो, लेकिन मिडिल क्लास के लिए एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में बचत निवेश पर भारी पड़ती है.
4) परंपरागत फॉर्मूला- डाकखाने या बैंक खाते में पैसे जमा करना या बैंक से जुड़ी योजनाओं में ही बचत की पूंजी लगाना एक परंपरागत फॉर्मूला है. अधिकांश लोग इस अपने पैसे को बैंक में जमा करके एक निश्चित ब्याज कमाने में विश्वास रखते हैं. रिस्क कम होने के साथ-साथ इसके लिए शेयर बाजार की तरह किसी विशेषज्ञता की जरूरत नहीं पड़ती. इसलिये आज भी ज्यादातर लोग निवेश की बजाय पैसा कमाने के लिए परंपरागत बचत के फॉर्मूले पर विश्वास करते हैं.
इसी तरह का रिस्क कई लोगों को रियल एस्टेट में निवेश करने पर भी लगता है. बिल्डर द्वारा वक्त पर घर ना देना, जमीन या प्रोजेक्ट का कानूनी पचड़े में पड़ना, कब्जा होने जैसी तमाम दिक्कतों को देखते हुए कई लोग रियल एस्टेट में भी निवेश करने में हिचकिचाते हैं. इसके बजाय वो अपने बचत खाते पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
ऐसे लोगों के लिए क्या है निवेश के विकल्प ?
शेयर बाजार से लेकर रियल एस्टेट की पेचीदगियों और जोखिम से दूर कुछ ऐसे विकल्प भी हैं जिनमें आप निवेश कर सकते हैं.
1) बीमा पॉलिसी (Insurance Policy)- बैंक खाते या डाकखाने में पैसे जमा करने से अलग जीवन बीमा पॉलिसी निवेश का अच्छा विकल्प है. यहां एक निश्चित समय के साथ-साथ जीवन बीमा का विकल्प भी मिलता है. एक निश्चित समय तक एक निश्चित रकम का निवेश आपको एक निश्चित लाभ दिला सकता है. शुरुआत में बीमा के लिए सिर्फ भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ही एकमात्र विकल्प था लेकिन आज के दौर में कई बैंक और बीमा कंपनियां इस क्षेत्र में हैं. बीमा के क्षेत्र में अधिक विकल्प ग्राहकों के लिए फायदेमंद है. बीमा में किया गया निवेश आपको टैक्स में छूट भी दिलाता है.
2) म्यूचअल फंड (Mutual Fund)- ये मौजूदा दौर का सबसे प्रचलित विकल्प है जो आपको रिटर्न की गारंटी देता है. म्यूचअल फंड में भी कई विकल्प है जो आपको निश्चित रिटर्न से लेकर अधिकतम रिटर्न तक दिलाते हैं. म्यूचअल फंड के जरिये भी कंपनियां शेयर बाजार में ही पैसा लगाती हैं लेकिन आपको एक निश्चित रिटर्न का वादा देते हैं और आपको शेयर बाजार की माथापच्ची भी नहीं करनी पड़ती है.
3) पीपीएफ (PPF)- पब्लिक प्रॉविडेंट फंड सरकार सरकार सबसे पॉपुलर स्कीम में से एक है. इस तहत सालाना न्यूनतम 500 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकता है, इस अधिकतम राशि पर टैक्स में छूट मिलती है. फिलहाल 7.1% की दर से इसपर ब्याज मिलता है. पीपीएफ खाते के मैच्योरिटी का समय 15 साल का होता है, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है.
4) नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)- अगर आप सरकारी नौकरी में हैं तो पेंशन की कोई चिंता नहीं लेकिन याद रखें कि देश के अधिकांश कर्मचारी निजी सेक्टर से जुड़े हैं. जिन्हें बुढापे में पेंशन की टेंशन हमेशा बनी रहती है. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की कई योजनाएं हैं, जिनमें से एक है NPS. इस पेंशन स्कीम में निवेश करने वाले को टैक्स की बचत के साथ-साथ रिटायरमेंट प्लानिंग भी मिलती है. सालाना 1,50,000 रुपये तक टैक्स की बचत देने वाली इस स्कीम में सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी निवेश कर सकते हैं. इसपर मिलने वाले ब्याज की दर बदलती रहती है.
5) सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)- देश के युवाओं ही नहीं बल्कि बुजुर्गों के लिए भी बचत की योजना है. डाकखाने यानि पोस्ट ऑफिस की सीनियर सिटीजन्स सेविंग्स स्कीम में आपको 7.4 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है. इसके लिए उम्र कम से कम 60 वर्ष होनी चाहिए. VRS यानि स्वैच्छिक रूप से रिटायरमेंट लेने वाले लोग भी इस योजना के तहत डाकखाने में खाता खुलवा सकते हैं. यहां ब्याज की राशि एक तय रकम से अधिक (फिलहाल 10 हजार) से ज्यादा होने पर टीडीएस कटता है लेकिन इनकम टैक्स की छूट 80सी के तहत मिलती है.
6) रिजर्व बैंक के टैक्सेबल बॉन्डस- गवर्नमेंट ऑफ इंडिया सेविंग्स बॉन्ड को ही आरबीआइ बॉन्ड कहते हैं. जिसमें कोई भी भारतीय नागरिक निवेश कर सकता है. आप अभिभावक के तौर पर नाबालिग के नाम से भी इस बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. आप संयुक्त तौर पर भी इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसमें लॉक-इन पीरियड 7 साल का है, यानी आप इस अवधि में पैसा नहीं निकाल सकते. वरिष्ठ नागरिकों के लिए चार साल बाद पैसा निकालने का विकल्प है, लेकिन वक्त से पहले ऐसा करने पर कुछ कटौती की जाती है. मौजूदा वक्त में इस पर 7.15 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है जो बदलता रहता है. इसपर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है.
7) सोना- निवेश का ये विकल्प सदियों से भारतीयों की पहली पसंद रहा है. पहनने के लिए खरीदी जाने वाले आभूषण से लेकर सोने के सिक्के, ईंट, बिस्कुट तक निवेश के लिए खरीदे जाते हैं. मौजूदा वक्त में डिजिटल गोल्ड या पेपर गोल्ड में भी निवेश कर सकते हैं. आज तो कई ई-वॉलेट तक सोने में निवेश का विकल्प प्रदान करते हैं.
8) डाकघरों में अन्य बचत योजनाएं- पोस्ट ऑफिस में भी कई बचत योजनाएं हैं. जिनमें बिना झंझट के निवेश किया जा सकता है. बैंक के साथ-साथ बचत खाता या पीपीएफ में निवेश का विकल्प डाकघर भी देता है.
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट यानि NSC में निवेश के लिए मैच्योरिटी पीरियड 5 साल है. इस योजना में फिलहाल 6.8 प्रतिशित की दर से ब्याज मिल रहा है. इस योजना में न्यूनतम 100 रुपये से निवेश किया जा सकता है, अधिकतम राशि निर्धारित नहीं है. लेकिन 80सी के तहत सिर्फ 1.5 लाख तक की टैक्स छूट मिलेगी.
किसान विकास पत्र- इस योजना में एक बार निवेश करके एक तय अवधि में आपका पैसा दोगुना हो सकता है. ये योजना देश के डाकघरों के साथ बैंकों में भी उपलब्ध है. इस पर ब्याज दर फिलहाल 6.90 फीसदी है, जबकि मैच्योरिटी पीरियड लगभग 10 साल है. इसमें कम से कम 1000 रुपये का निवेश कर सकते हैं जबकि अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. इसमें भी टैक्स छूट मिलती है.
सुकन्या समृद्धि योजना- मिडिल क्लास लोग अपने बच्चों खासकर बेटियों के भविष्य को लेकर बचत करते हैं और पैसा डूबने के डर से निवेश से दूर रहते हैं. लेकिन सुकन्या समृद्धि योजना एक ऐसी बचत योजना है जिसके तहत मौजूदा वक्त में 7.6% की दर से ब्याज मिलता है. 10 साल से कम उम्र की बेटी का खाता इस योजना के तहत खुलवा सकते हैं. हर साल अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है.
इसके अलावा बैंकों में फिक्सड डिपॉजिट यानि FD करवाने का भी विकल्प लोग लंबे वक्त से अपनाते रहे हैं जिसमें एक निश्चित समय के लिए पैसा जमा किया जाता है और तय दर से ब्याज मिलता है. और इसके लिए ना शेयर बाजार जैसा जटिल ज्ञान चाहिए और ना ही रियल एस्टेट जैसी माथापच्ची
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