हैदराबाद : कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने रविवार को तेलंगाना के सीएम के.चंद्रशेखर राव और बीआरएस नेता केटी रामाराव पर निशाना साधा और कहा कि तेलंगाना के लोगों ने उन्हें जवाब दे दिया है. कांग्रेस तेलंगाना में बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी को बहुमत का आंकड़ा देने के लिए तेलंगाना के लोगों को भी धन्यवाद दिया. शिवकुमार ने कहा कि तेलंगाना के लोगों ने फैसला किया है कि प्रगति और विकास के लिए बदलाव होना चाहिए.
सबसे युवा राज्य में मुख्यमंत्री के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि यह फैसला पार्टी लेगी. रेवंत रेड्डी पीसीसी अध्यक्ष हैं, वह टीम लीडर हैं. हमारी पार्टी (सीएम के चेहरे पर) निर्णय लेगी. चुनाव सामूहिक नेतृत्व पर लड़ा गया था. कांग्रेस नेता ने कहा कि तेलंगाना की जनता ने के.चंद्रशेखर राव और के. टी. रामा राव को जवाब दे दिया है. रेवंत रेड्डी कांग्रेस से लोकसभा में मल्काजगिरी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
इससे पहले, वह 2009 और 2014 में टीडीपी से आंध्र प्रदेश विधानसभा में दो बार विधायक थे और 2014 और 2018 के बीच तेलंगाना विधानसभा में कोडंगल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. वह 2017 में टीडीपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए. जून 2021 में, उन्हें एन उत्तम कुमार रेड्डी की जगह तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. तेलंगाना के सीएम केसीआर वर्ष 2014 में राज्य के गठन के बाद से बीआरएस सत्ता पर काबिज है और यहां के मुख्यमंत्री हैं. पार्टी के बहुमत का आंकड़ा आसानी से पार कर जाने पर हैदराबाद में कांग्रेस कार्यालय के बाहर जश्न मनाया गया.
पार्टी कैडर ने बाय बाय केसीआर का नारा लगाया. तेलंगाना चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरेगी. कर्नाटक और तेलंगाना में जीत दक्षिण में उसकी उपस्थिति को और पुख्ता कर देगी. कांग्रेस पार्टी, जो अब सत्ता में है, छह महीने पहले ही पूरी तरह खत्म हो गई थी. कांग्रेस के उत्थान में कई कारकों का योगदान हो सकता है. बीआरएस विधायकों के खिलाफ निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर कथित सत्ता विरोधी लहर और कर्नाटक की जीत से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार हुआ है. वहीं तेलंगाना इकाई प्रमुख के पद से बंडी संजय को हटाने के बाद भाजपा की गिरावट हुई और यह धारणा कि बीआरएस और एआईएमआईएम भाजपा के साथ मिले हुए हैं, को बल मिला. बता दें कि विधानसभा चुनाव में 109 दलों के 2,290 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें 221 महिलाएं और एक ट्रांसजेंडर शामिल हैं. इस बार कुल 103 विधायक फिर से चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश सत्तारूढ़ बीआरएस से हैं. तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान हुआ था. 2018 में, बीआरएस (तब तेलंगाना राष्ट्र समिति) ने 119 सीटों में से 88 सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर 47.4 प्रतिशत था. तब कांग्रेस 19 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर थी.