हड़गांव (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के हडगांव तालुका के कुसालवाड़ी गांव में कंपनी का नेटवर्क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण ग्रामीण नाराजगी जता रहे हैं. कुसलवाड़ी, 1,300 लोगों का गांव है. यह पहाड़ियों से घिरा एक सुंदर गांव है. यहां 600 वोटर हैं और यह 100 फीसदी आदिवासी गांव है. आदिवासी गांव होने के बावजूद इस गांव में शैक्षणिक माहौल है. गांव में विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 40 कर्मचारी हैं. इसमें शिक्षक, प्राचार्य, पुलिस, डॉक्टर, वकील, प्रोफेसर आदि शामिल हैं.
कुशलवाड़ी ग्राम जी.पी.पीआर. स्कूल 5वीं तक है. इस स्कूल को शिक्षकों, अभिभावकों के सहयोग से 2014 में नांदेड़ जिले का पहला डिजिटल स्कूल होने का गौरव प्राप्त हुआ. इसलिए तत्कालीन सीईओ अभिमन्यु काले ने कुसलवाड़ी गांव और स्कूल की तारीफ की. कोरोना काल में शत-प्रतिशत टीकाकरण कराने में हडगांव तालुका में गांव को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था. इसके लिए गांव को हड़गांव में सीईओ वर्षा ठाकुर द्वारा सम्मानित किया गया था. लेकिन कुसालवाड़ी गांव में किसी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं है.
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गांव के लोगों को इंटरनेट या मोबाइल से जुड़ा कोई भी काम करने के लिए 3 किमी दूर जाना पड़ता है. लोगों का कहना है कि मोबाइल नेटवर्क आ जाने से कई काम आसान हो सकते हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां के ग्रामीण, युवा और छात्र बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं रखते क्योंकि यहां किसी कंपनी का नेटवर्क नहीं है. नेटवर्क न होने के कारण ऑनलाइन कार्य, दूरभाष पर बातचीत, सरकार की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में काफी कठिनाई होती है, गांव में सरकारी योजना के क्रियान्वयन के लिए इंटरनेट उपलब्ध नहीं होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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नेटवर्क नहीं होने के कारण गांववाले कई सरकारी सुविधाओं से भी वंचित हैं. हालांकि गांव में स्कूल अच्छी स्थिति में है लेकिन छात्र डिजिटल शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. ग्रामीणों ने शिकायत की है कि उन्हें ऐसा लगता है कि वे प्राचीन काल में हैं क्योंकि इंटरनेट उपलब्ध नहीं है. साथ ही ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार इस ओर ध्यान दे और गांव में मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध कराए.