नई दिल्ली : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से पूरे देश में खतरा हो गया है. इसने राज्य सरकारों को एक बार फिर से लॉकडाउन लगाने पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है. पिछले साल लॉकडाउन के भारी प्रभाव का सामना करने के बाद कोरोना के कारण लोगों को अपनी आजीविका को लेकर भय पैदा कर दिया है.
हाल ही में जब से महाराष्ट्रा सरकार ने कोविड-19 को बढ़ते मामलों के बीच राज्य में लॉकडाउन लगाने पर विचार करने का संकेत दिया. तब से दहशत से त्रस्त लोगों ने किराने का सामान खरीदना शुरू कर दिया है.
इस बीच मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार ने कल शाम 8 बजे से राज्य में तालाबंदी जैसे प्रतिबंध लगाने का एलान किया और राज्य में धारा 144 लगा दी. हालांकि इस दौरान अगले 15 दिनों तक केवल आवश्यक सेवाओं की अनुमति रहेगी.
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा था कि अगर दिल्ली में कोविड बेड की कमी हो जाएगी, तो राज्य सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन की घोषणा करनी होगी.
इस संबंघ में किराने की एक छोटी दुकान के मालिक इमरान ने ईटीवी भारत से बात कहा कि लॉकडाउन हमें काफी प्रभावित करेगा. पिछले साल हमें नहीं पता था कि हम खाना कैसे खरीदेंगे. मुझे पता है कि यह लोगों की सुरक्षा के लिए है, लेकिन यह हमारे जैसे बहुत से लोगों को प्रभावित करेगा.
वहीं एक सब्जी विक्रेता मालती देवी ने कहा कि तालाबंदी कोई हल नहीं है. सभी लोगों तो कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए.
इस बारे में एक चाय विक्रेता जैन राजपूत ने कहा कि यदि लॉकडाउन लागू किया जाएगा, तो लोग भुखमरी से मर जाएंगे. उनके जैसे लोग दैनिक आधार पर पैसा कमाते हैं. उन्होंने कहा कि हम पहले ही रात के कर्फ्यू के कारण बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. जैन ने कहा कि अगर सरकार लॉकडाउन की घोषणा करने की योजना बना रही है, तो उसे लोगों को कुछ वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण लोग मरे या न मरें, लेकिन वे निश्चित रूप से भुखमरी के कारण मरेंगे.
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारत ने पिछले 24 घंटों में 879 मौतों के साथ 1,61,736 नए कोविड -19 मामले दर्ज किए हैं.
इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता और आर्थिक विशेषज्ञ गौरव वल्लभ ने कहा कि कई राज्य सरकारें बार-बार केंद्र से टीकाकरण अभियान से आयु सीमा हटाने की मांग कर रही हैं. वे अपने राज्यों में टीकों की कमी की भी शिकायत कर रहे हैं.
भारत एक युवा देश है. इसकी 50% जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है, 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम और लगभग 75% लोगों की आयु 45 वर्ष से कम है, लेकिन हमने 45 साल से कम उम्र के लोगों को टीका लगाने की अनुमति नहीं दी. इसलिए यह स्वाभाविक है कि कोविड-19 फैलेगा ही.
पढ़ें- चुनाव आयोग के खिलाफ ममता बनर्जी का धरना खत्म, कल जाएंगी कूचबिहार
केंद्र सरकार पर तीखा हमले बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि जब केंद्र सरकार कोविड की स्थिति का प्रबंधन करने में विफल रही, तो उसने भारत के लोगों और राज्य सरकारों को दोषी ठहराया.
अब राज्यों के पास लॉकडाउन को लागू करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. इसके परिणामस्वरूप, रेटिंग एजेंसियों ने भारत की रेटिंग को अपग्रेड करना शुरू कर दिया, जैसा कि अप्रैल 2020 में किया गया था.
उन्होंने आगे बताया कि नोमुरा जैसी रेटिंग एजेंसी, जिसने भारत की 12.4% पर जीडीपी का अनुमान लगाया था, अब उसने इसे घटाकर 11.5% कर दिया है.
मार्च 2021 में बेरोजगारी की दर 6.5% थी, जो अब 7.1% हो गई है. एक बार फिर से लोग अपने मूल स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं. इसलिए, अप्रैल 2020 और अप्रैल 2021 के बीच बहुत अंतर नहीं है. अंतर केवल इतना है कि अब कोरोना के मामले एक लाख तक पहुंच गए हैं.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राज्यों को थालियों की पिटाई करवाईं, ताली बजवाई और जश्न मनाने जैसी गतिविधियों में समय बर्बाद करके लॉकडाउन लागू करने के लिए मजबूर किया है.
गौरव वल्लभ ने अपील की कि केंद्र सरकार कम से कम 1 करोड़ लोगों को प्रतिदिन टीकाकरण करवाना चाहिए। ताकि हम किसी तरह से आर्थिक प्रभाव को कम कर सकें.