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Pegasus Snooping : पूर्व राज्यपाल सोलंकी ने किया जांच का समर्थन

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Published : Aug 4, 2021, 7:31 PM IST

पेगासस जासूसी (Pegasus Snooping) प्रकरण में पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने जांच का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को आपसी बातचीत से कोई रास्ता निकालना चाहिए. बता दें कि सोलंकी भाजपा के भी वरिष्ठ नेता हैं.

kaptan singh solanki
kaptan singh solanki

भोपाल : हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि पेगासस मुद्दा अब उच्चतम न्यायालय में चला गया है, इसलिए इस मामले को अब शीर्ष अदालत के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि मामला अब अदालत में विचाराधीन है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विदेशों में भी पेगासस जासूसी के मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्टिंग हुई है. ऐसे में लोकतंत्र का आपसी विश्वास बरकरार रखने और सच्चाई जानने के लिए पेगासस मामले की जांच होनी चाहिए.

दरअसल, पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने पेगासस जासूसी मामले में जांच का समर्थन करते हुए कहा कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को आपसी बातचीत से कोई रास्ता निकालना चाहिए. दिलचस्प है कि सोलंकी वरिष्ठ भाजपा नेता भी हैं.

बता दें कि मामला इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग कर कई प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी से जुड़ा है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में अपने ऊपर लगाए जा रहे विपक्ष के आरोपों से इनकार किया है.

पेगासस पर सरकार का पक्ष
गौरतलब है कि गत 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र शुरु होने से ठीक एक दिन पहले इसका खुलासा हुआ था. तभी से पेगासस जासूसी का प्रकरण का मुद्दा सुर्खियों में है. संसद की कार्यवाही के पहले ही दिन सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.

झूठ का होगा पर्दाफाश
हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके कप्तान सिंह सोलंकी ने एक साक्षात्कार में कहा, 'लोकतंत्र आपसी विश्वास पर टिका है और दूसरा इसकी निजता की सुरक्षा होनी चाहिए. पेगासस का मुद्दा विदेशी एजेंसियों ने उठाया है. इसमें दोनों पक्षों के सांसदों, पत्रकारों सहित कई लोगों के नाम हैं. इससे एक प्रकार का अविश्वास पैदा हो गया है. इसमें सच क्या है, इसकी जांच होनी चाहिए. जिन दो एजेंसियों ने यह समाचार छापा है, उनसे इसका स्रोत पूछा जाना चाहिए, ताकि यदि कुछ है तो सामने आएगा और अगर वह झूठ है तो उसका पर्दाफाश होगा और फिर मामला खत्म हो जाएगा.'

चर्चा और बहस से पारित हों विधेयक
इस सवाल पर कि विपक्ष की मांग के मुताबिक क्या इस मामले की जांच किसी संयुक्त संसदीय समिति से कराई जानी चाहिए, सोलंकी ने कहा, 'देखिए ये सत्ता पक्ष का विषय है कि वह इस पर क्या निर्णय लेता है क्योंकि इसकी जो बारीकियां हैं, सत्ता पक्ष ज्यादा जानता है. लेकिन मैं इतना जानता हूं कि इसपर जो अविश्वास खड़ा हुआ है, इसे दूर करने के लिए सबको मिलकर कोई रास्ता निकालना चाहिए तथा परिणाम यह होना चाहिए कि संसद में विधेयक चर्चा व बहस से पारित हों.'

कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई विपक्षी सांसदों ने एक सप्ताह पहले पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद परिसर में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और उन्होंने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है.

यह भी पढ़ें- Pegasus Report Congress : प्रियंका बोलीं, निजता पर हमले की आशंका, पार्टी ने जेपीसी जांच की मांग की

विधेयक पास करने के लिए संसद में चर्चा
यह पूछे जाने पर कि संसद में गतिरोध के लिए सत्तारूढ़ दल या विपक्ष में से वह किसे जिम्मेदार मानते हैं, सोलंकी ने कहा, 'सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी (सदन के व्यवस्थित संचालन के लिए) है. दोनों को इस बात के लिए सहमत होना चाहिए कि विधेयक पास करने के लिए संसद में चर्चा होनी चाहिए. उन्हें इस मामले (पेगासस) पर बात करनी चाहिए, ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके.'

लोकतंत्र के लिए संसद आवश्यक
भाजपा में आने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में लंबे समय तक काम कर चुके सोलंकी ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि संसद को चलने दिया जाए. उन्होंने कहा, ' हमारा एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि सदन व्यवस्थित रूप से चले और सभी विधेयक चर्चा के बाद पारित होने चाहिए. उन्हें इसका कोई रास्ता निकालना चाहिए, अन्यथा यह लोकतंत्र में बीमारी का कारण बनेगा.'

हालांकि सोलंकी ने यह भी कहा कि यदि विपक्ष सदन में गतिरोध जारी रखता है तो सरकार के पास भी बिना चर्चा के विधेयक पारित कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है क्योंकि सरकार को काम करना है, लेकिन यह स्थिति लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.

केंद्र के खिलाफ नहीं
उनके विभिन्न ट्वीट को लेकर मीडिया के एक वर्ग द्वारा उन्हें भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ पेश किए जाने से संबंधित बात को 82 वर्षीय सोलंकी ने खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि भाजपा ने उन्हें बहुत कुछ दिया है.

उन्होंने स्पष्ट किया, 'मेरे ट्वीट सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी सांसदों, दोनों के लिए हैं. उन्हें निर्वाचित प्रतिनिधि के तौर पर अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और संसद में गतिरोध दूर कर बहस में भाग लेना चाहिए, ताकि विधेयकों के पारित होने से पहले उनके अहम सुझावों को विधेयकों में शामिल किया जा सके.'

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के मुद्दे पर सोलंकी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा इसपर संज्ञान लिए जाने और इसमें कमियों की जांच के लिए एक समिति गठित किए जाने के बाद किसानों सहित सभी पक्षों को अब शीर्ष अदालत के निर्णय का इंतजार कर उसे मंजूर करना चाहिए.

Pegasus Snooping से जुड़ी अन्य खबरें-

  1. Pegasus Snooping : भाजपा बोली- कांग्रेस के आरोप शर्मनाक, मानसून सत्र से ठीक पहले ही क्यों आई रिपोर्ट ?
  2. Pegasus Case पर बोली मोदी सरकार, 'फोन टैपिंग की रिपोर्ट गलत, लीक डेटा में तथ्य सही नहीं'

क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

यह भी पढ़ें- क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?

यह भी पढ़ें-पेगासस जासूसी कांड पर विपक्षी पार्टियां हुईं एकजुट, केंद्र सरकार पर बोला हमला

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

(पीटीआई-भाषा)

भोपाल : हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि पेगासस मुद्दा अब उच्चतम न्यायालय में चला गया है, इसलिए इस मामले को अब शीर्ष अदालत के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि मामला अब अदालत में विचाराधीन है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विदेशों में भी पेगासस जासूसी के मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्टिंग हुई है. ऐसे में लोकतंत्र का आपसी विश्वास बरकरार रखने और सच्चाई जानने के लिए पेगासस मामले की जांच होनी चाहिए.

दरअसल, पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने पेगासस जासूसी मामले में जांच का समर्थन करते हुए कहा कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को आपसी बातचीत से कोई रास्ता निकालना चाहिए. दिलचस्प है कि सोलंकी वरिष्ठ भाजपा नेता भी हैं.

बता दें कि मामला इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग कर कई प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी से जुड़ा है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में अपने ऊपर लगाए जा रहे विपक्ष के आरोपों से इनकार किया है.

पेगासस पर सरकार का पक्ष
गौरतलब है कि गत 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र शुरु होने से ठीक एक दिन पहले इसका खुलासा हुआ था. तभी से पेगासस जासूसी का प्रकरण का मुद्दा सुर्खियों में है. संसद की कार्यवाही के पहले ही दिन सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.

झूठ का होगा पर्दाफाश
हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके कप्तान सिंह सोलंकी ने एक साक्षात्कार में कहा, 'लोकतंत्र आपसी विश्वास पर टिका है और दूसरा इसकी निजता की सुरक्षा होनी चाहिए. पेगासस का मुद्दा विदेशी एजेंसियों ने उठाया है. इसमें दोनों पक्षों के सांसदों, पत्रकारों सहित कई लोगों के नाम हैं. इससे एक प्रकार का अविश्वास पैदा हो गया है. इसमें सच क्या है, इसकी जांच होनी चाहिए. जिन दो एजेंसियों ने यह समाचार छापा है, उनसे इसका स्रोत पूछा जाना चाहिए, ताकि यदि कुछ है तो सामने आएगा और अगर वह झूठ है तो उसका पर्दाफाश होगा और फिर मामला खत्म हो जाएगा.'

चर्चा और बहस से पारित हों विधेयक
इस सवाल पर कि विपक्ष की मांग के मुताबिक क्या इस मामले की जांच किसी संयुक्त संसदीय समिति से कराई जानी चाहिए, सोलंकी ने कहा, 'देखिए ये सत्ता पक्ष का विषय है कि वह इस पर क्या निर्णय लेता है क्योंकि इसकी जो बारीकियां हैं, सत्ता पक्ष ज्यादा जानता है. लेकिन मैं इतना जानता हूं कि इसपर जो अविश्वास खड़ा हुआ है, इसे दूर करने के लिए सबको मिलकर कोई रास्ता निकालना चाहिए तथा परिणाम यह होना चाहिए कि संसद में विधेयक चर्चा व बहस से पारित हों.'

कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई विपक्षी सांसदों ने एक सप्ताह पहले पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद परिसर में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और उन्होंने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है.

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विधेयक पास करने के लिए संसद में चर्चा
यह पूछे जाने पर कि संसद में गतिरोध के लिए सत्तारूढ़ दल या विपक्ष में से वह किसे जिम्मेदार मानते हैं, सोलंकी ने कहा, 'सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी (सदन के व्यवस्थित संचालन के लिए) है. दोनों को इस बात के लिए सहमत होना चाहिए कि विधेयक पास करने के लिए संसद में चर्चा होनी चाहिए. उन्हें इस मामले (पेगासस) पर बात करनी चाहिए, ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके.'

लोकतंत्र के लिए संसद आवश्यक
भाजपा में आने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में लंबे समय तक काम कर चुके सोलंकी ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि संसद को चलने दिया जाए. उन्होंने कहा, ' हमारा एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि सदन व्यवस्थित रूप से चले और सभी विधेयक चर्चा के बाद पारित होने चाहिए. उन्हें इसका कोई रास्ता निकालना चाहिए, अन्यथा यह लोकतंत्र में बीमारी का कारण बनेगा.'

हालांकि सोलंकी ने यह भी कहा कि यदि विपक्ष सदन में गतिरोध जारी रखता है तो सरकार के पास भी बिना चर्चा के विधेयक पारित कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है क्योंकि सरकार को काम करना है, लेकिन यह स्थिति लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.

केंद्र के खिलाफ नहीं
उनके विभिन्न ट्वीट को लेकर मीडिया के एक वर्ग द्वारा उन्हें भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ पेश किए जाने से संबंधित बात को 82 वर्षीय सोलंकी ने खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि भाजपा ने उन्हें बहुत कुछ दिया है.

उन्होंने स्पष्ट किया, 'मेरे ट्वीट सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी सांसदों, दोनों के लिए हैं. उन्हें निर्वाचित प्रतिनिधि के तौर पर अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और संसद में गतिरोध दूर कर बहस में भाग लेना चाहिए, ताकि विधेयकों के पारित होने से पहले उनके अहम सुझावों को विधेयकों में शामिल किया जा सके.'

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के मुद्दे पर सोलंकी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा इसपर संज्ञान लिए जाने और इसमें कमियों की जांच के लिए एक समिति गठित किए जाने के बाद किसानों सहित सभी पक्षों को अब शीर्ष अदालत के निर्णय का इंतजार कर उसे मंजूर करना चाहिए.

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क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

यह भी पढ़ें- क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?

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कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

(पीटीआई-भाषा)

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