नई दिल्ली : पेगासस जासूसी मामले में एमनेस्टी (Amnesty Pegasus) इंटरनेशनल ने बयान जारी किया है. एमनेस्टी ने कहा है, 'एमनेस्टी इंटरनेशनल स्पष्ट रूप से पेगासस प्रोजेक्ट (Amnesty International Pegasus Project) के निष्कर्षों के साथ खड़ा है.'
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बयान में कहा, 'एमनेस्टी इंटरनेशन पेगासस प्रोजेक्ट के नतीजों के साथ स्पष्ट रूप से खड़ा है और आंकड़े अकाट्य रूप से एनएसओ ग्रुप के पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर (Pegasus Snooping Software) के संभावित लक्ष्यों के साथ जुड़े हैं. पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और अन्य को गैरकानूनी तरीके से व्यापक रूप से निशाना बनाने से ध्यान भटकाने के इरादे से सोशल मीडिया पर झूठी अफवाहें फैलायी जा रही हैं. पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) ने इन लोगों को निशाना बनाए जाने का खुलासा किया है.'
एमनेस्टी इंटरनेशनल की यह टिप्पणियां तब आयी हैं जब मीडिया में आयी कुछ खबरों में कुछ इजराइली पत्रकारों के हवाले से कहा गया है कि मानवाधिकार समूह ने दावा किया है कि उसने यह कभी नहीं कहा कि हाल में लीक हुए फोन नंबर खासतौर से उन नंबरों की सूची थे, जो पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के निशाने पर थे.
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क्या है पेगासस स्पाइवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाइवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रेकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.
संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाइवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरेों और कॉल रेकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रेकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाइवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.
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कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .