ETV Bharat / bharat

पेगासस विवाद : कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिराने में किसकी भूमिका ?

author img

By

Published : Jul 20, 2021, 6:33 PM IST

जुलाई 2019 में अचानक ही जेडीएस और कांग्रेस के कई विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत कर इस्तीफा दे दिया. जेडीएस-कांग्रेस की सरकार गिर गई. उसके बाद भाजपा की सरकार बनी. पेगासस विवाद में बताया गया है कि उसी दौरान कांग्रेस और जेडीएस के बड़े नेताओं के फोन की निगरानी की जा रही थी. मीडिया वेबसाइट ने दावा किया है इसे महज संयोग नहीं कह सकते हैं.

Etv Bharat
कॉन्सेप्ट फोटो

हैदराबाद : कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी थी. इसके बावजूद जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बना ली. भाजपा तभी से सरकार को गिराने की ताक में लगी थी. पेगासस विवाद ने एक तरीके से इसकी पुष्टि कर दी है. यह दावा द वायर ने किया है.

द वायर के अनुसार भाजपा के विरोधी नेताओं की फोन की जासूसी की जा रही थी. इसका प्रमाण पेगासस प्रोजेक्ट से मिली जानकारी से मिलता है.

वेबसाइट के मुताबिक जुलाई 2019 में कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर, मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के निजी सचिवों और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के फोन की लगातार निगरानी की जा रही थी.

उस समय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक बयानबाजी चरम पर थी. राज्य में सरकार के स्थायित्व पर हर दिन सवाल उठ रहे थे. सरकार का नेतृत्व जेडीएस नेता एचडी कुमार स्वामी कर रहे थे.

सत्ताधारी गठबंधन के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और यह सरकार गिर गई.

वेबसाइट ने दावा किया है कि इसके आसपास राहुल गांधी की भी फोन टैपिंग की जा रही थी. हालांकि, राहुल ने उसी समय अपना नंबर बदल लिया था.

द वायर ने कहा है कि इन नेताओं के फोन की स्वतंत्र ढंग से फॉरेंसिक जांच नहीं की जा सकी. लेकिन टाइमिंग के आधार पर कहा जा सकता है कि निशाने पर वे सभी नेता थे, जो भाजपा के खिलाफ थे.

भाजपा हर हाल में चाहती थी कि कर्नाटक में उनकी सरकार बने. वैसे भाजपा ने इन दावों को खारिज कर दिया है. स्पीकर ने सभी 17 विधायकों की सदस्यता खारिज कर दी थी. सभी नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया. इसे ऑपरेशन लोटस नाम दिया गया.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक तत्कालीन सीएम एचडी कुमार स्वामी के निजी सचिव सतीश के दो फोन नंबर लीक डेटा में पाए गए हैं.

द वायर ने बताया कि सतीश ने कुछ भी कहने से मना किया. हालांकि, उन्होंने अपना नंबर सही बताया है.

सिद्धारमैया के निजी सचिव वेंकटेश का भी फोन निशाने पर था. वेंकटेश 27 सालों से उनके साथ काम करते आ रहे थे. द वायर के अनुसार उन्होंने भी अपना नंबर कंफर्म किया.

द वायर ने उनकी प्रतिक्रिया भी छापी है. इसके अनुसार वेंकटेश ने इसे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि हां, वे इस नंबर का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कुछ भी गैर कानूनी नहीं किया है.

वेंकटेश ने भी अपने फोन की जांच करवाने की इजाजत नहीं दी.

जेडीएस अध्यक्ष और पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा के सुरक्षा गार्ड मंजूनाथ मुद्देगौडा का भी नंबर इसमें पाया गया है. उन्होंने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

जी परमेश्वर ने कहा कि उन्होंने अब उस नंबर का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है, जो संभावित रूप से टारजेट पर था. उन्होंने वेबसाइट को बताया कि क्योंकि वे राजनीतिक प्रबंधन नहीं देख रहे थे, लिहाजा उनका भी नाम इस सूची में आना चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा कि वह तो उस समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी नहीं थे.

आपको बता दें कि कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद जेडीएस और कांग्रेस ने समझौता कर लिया था. सबसे बड़ी पार्टी भाजपा थी.

राज्यपाल वैजूभाई वाला ने सबसे पहले भाजपा को ही सरकार बनाने का मौका दिया था. लेकिन येदियुरप्पा बहुमत साबित नहीं कर पाए. इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया. बाद में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने सरकार बनाई.

जुलाई 2019 में कांग्रेस के 13 विधायक और जेडीएस के तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. इसमें कांग्रेस के रमेश जरकिहोली, रमालिंगा रेड्डी और आनंद सिंह जैसे बड़े नेता शामिल थे.

ये भी पढ़ें : पेगासस विवाद : कांग्रेस ने की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग

हैदराबाद : कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी थी. इसके बावजूद जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बना ली. भाजपा तभी से सरकार को गिराने की ताक में लगी थी. पेगासस विवाद ने एक तरीके से इसकी पुष्टि कर दी है. यह दावा द वायर ने किया है.

द वायर के अनुसार भाजपा के विरोधी नेताओं की फोन की जासूसी की जा रही थी. इसका प्रमाण पेगासस प्रोजेक्ट से मिली जानकारी से मिलता है.

वेबसाइट के मुताबिक जुलाई 2019 में कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर, मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के निजी सचिवों और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के फोन की लगातार निगरानी की जा रही थी.

उस समय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक बयानबाजी चरम पर थी. राज्य में सरकार के स्थायित्व पर हर दिन सवाल उठ रहे थे. सरकार का नेतृत्व जेडीएस नेता एचडी कुमार स्वामी कर रहे थे.

सत्ताधारी गठबंधन के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और यह सरकार गिर गई.

वेबसाइट ने दावा किया है कि इसके आसपास राहुल गांधी की भी फोन टैपिंग की जा रही थी. हालांकि, राहुल ने उसी समय अपना नंबर बदल लिया था.

द वायर ने कहा है कि इन नेताओं के फोन की स्वतंत्र ढंग से फॉरेंसिक जांच नहीं की जा सकी. लेकिन टाइमिंग के आधार पर कहा जा सकता है कि निशाने पर वे सभी नेता थे, जो भाजपा के खिलाफ थे.

भाजपा हर हाल में चाहती थी कि कर्नाटक में उनकी सरकार बने. वैसे भाजपा ने इन दावों को खारिज कर दिया है. स्पीकर ने सभी 17 विधायकों की सदस्यता खारिज कर दी थी. सभी नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया. इसे ऑपरेशन लोटस नाम दिया गया.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक तत्कालीन सीएम एचडी कुमार स्वामी के निजी सचिव सतीश के दो फोन नंबर लीक डेटा में पाए गए हैं.

द वायर ने बताया कि सतीश ने कुछ भी कहने से मना किया. हालांकि, उन्होंने अपना नंबर सही बताया है.

सिद्धारमैया के निजी सचिव वेंकटेश का भी फोन निशाने पर था. वेंकटेश 27 सालों से उनके साथ काम करते आ रहे थे. द वायर के अनुसार उन्होंने भी अपना नंबर कंफर्म किया.

द वायर ने उनकी प्रतिक्रिया भी छापी है. इसके अनुसार वेंकटेश ने इसे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि हां, वे इस नंबर का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कुछ भी गैर कानूनी नहीं किया है.

वेंकटेश ने भी अपने फोन की जांच करवाने की इजाजत नहीं दी.

जेडीएस अध्यक्ष और पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा के सुरक्षा गार्ड मंजूनाथ मुद्देगौडा का भी नंबर इसमें पाया गया है. उन्होंने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

जी परमेश्वर ने कहा कि उन्होंने अब उस नंबर का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है, जो संभावित रूप से टारजेट पर था. उन्होंने वेबसाइट को बताया कि क्योंकि वे राजनीतिक प्रबंधन नहीं देख रहे थे, लिहाजा उनका भी नाम इस सूची में आना चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा कि वह तो उस समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी नहीं थे.

आपको बता दें कि कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद जेडीएस और कांग्रेस ने समझौता कर लिया था. सबसे बड़ी पार्टी भाजपा थी.

राज्यपाल वैजूभाई वाला ने सबसे पहले भाजपा को ही सरकार बनाने का मौका दिया था. लेकिन येदियुरप्पा बहुमत साबित नहीं कर पाए. इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया. बाद में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने सरकार बनाई.

जुलाई 2019 में कांग्रेस के 13 विधायक और जेडीएस के तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. इसमें कांग्रेस के रमेश जरकिहोली, रमालिंगा रेड्डी और आनंद सिंह जैसे बड़े नेता शामिल थे.

ये भी पढ़ें : पेगासस विवाद : कांग्रेस ने की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.