नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (supreme court hearing on pegasus spyware) ने पेगासस जासूसी के आरोपों पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम बी लोकुर की अध्यक्षता में गठित आयोग की जांच पर शुक्रवार को रोक लगा दी.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उस याचिका पर संज्ञान लिया जिसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार के आश्वासन के बावजूद आयोग ने अपना काम शुरू कर दिया है. राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था कि लोकुर समिति जांच पर आगे कार्रवाई नहीं करेगी.
उच्चतम न्यायालय ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के कथित इस्तेमाल की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति 27 अक्टूबर को गठित की थी. उसने कहा था कि प्रत्येक नागरिक को निजता उल्लंघन के खिलाफ सुरक्षा की आवश्यकता है और सरकार द्वारा महज राष्ट्रीय सुरक्षा का आह्वान करने से अदालत मूक दर्शक बनी नहीं रह सकती.
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य जांच आयोग के सदस्य हैं. पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले महीने इस जांच आयोग के गठन की घोषणा की थी.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के एक संघ ने बताया कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर निगरानी के लिए संभावित लोगों की सूची में शामिल हैं.
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एनजीओ 'ग्लोबल विलेज फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट'(Global Village Foundation Charitable Trust ) की ओर से पेश वकील ने मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया. शीर्ष अदालत ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए कथित तौर पर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के उपयोग की जांच के लिए 27 अक्टूबर को साइबर विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति गठित की थी.
(पीटीआई-भाषा)