मसूरी : पीनट बटर का स्वाद देश भर में लोगों तक पहुंचाने वाले पीनट बटर किंग बचन सिंह नेगी अब इस दुनिया में नहीं रहे. सनराइज फूड प्रोडक्ट्स व पीनट बटर के संस्थापक व पीनट बटर मैन ऑफ मसूरी बचन सिंह नेगी का 92 साल की उम्र में निधन हो गया. बता दें कि, बचन सिंह नेगी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मसूरी के राजनैतिक दलों, सामाजिक संस्थाओं ने उनके निधन पर दुःख व्यक्त किया है.
'पीनट बटर किंग' थे बचन सिंह नेगी : बता दें कि, पीनट बटर मूंगफली से बनाया जाने वाला बटर होता है. जिसकी तकनीक बचन सिंह नेगी के पास थी. पहले ब्रिटिश काल में वह अंग्रेजों के साथ इस कार्य को करते थे. बाद में उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया. पीनट बटर के साथ ही उनकी रोस्टेड मूंगफली का व्यवसाय भी था.
कंधे पर थैला लादकर बेचते थे पीनट बटर : बचन सिंह नेगी स्वयं पीनट बटर बनाकर खुद कंधे पर थैले में भरकर दुकान-दुकान पीनट बटर बेचा करते थे. उनके बनाए पीनट बटर के स्वाद के लोग कायल थे. बाद में वह देहरादून सहित देश के विभिन्न हिस्सों में पीनट बटर पहुंचाने लगे. उन्होंने पीनट बटर पर एक पत्रिका में 2005 में लेख भी प्रकाशित किया था.
राजीव गांधी ने भी चखा था स्वाद : देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी जब दून स्कूल में पढ़ते थे तो उनके पीनट बटर के दीवाने थे. बताया जाता है कि राजीव गांधी के नाश्ते में बचन सिंह नेगी के बनाए पीनट बटर का स्वाद जरूर होता था. राजीव गांधी ब्रेड पर लगाकर इस पीनट बटर का स्वाद लेते थे. राजीव गांधी ने 1955 के आसपास देहरादून के प्रसिद्ध दून स्कूल में पढ़ाई की थी.
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अंग्रेजों से सीखा था पीनट बटर बनाना : कहा जाता है कि बचन सिंह नेगी ब्रिटिशों के साथ काम करते थे. उनके साथ रहते हुए उन्होंने पीनट बटर बनाने की विधि को सीखा था. पहले भारत में बहुत कम लोग पीनट बटर के बारे में जानते थे. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अमूल, ब्रिटानिया, सनड्रॉप, फन फूड आदि कंपनियों ने विदेश से तकनीक हासिल कर पीनट बटर बनाने का व्यवसाय शुरू किया. लेकिन फिर भी बचन सिंह नेगी के बनाए हुए पीनट बटर का स्वाद अलग था. इस कारण उनके बनाए पीनट बटर की मांग बहुत ज्यादा थी. इस संबंध में उनके पुत्र विजय नेगी ने बताया कि ब्रिटिश काल में विंसेट हिल स्कूल अंग्रेजों का था. उनके पिता विंसेट के साथ कार्य करते थे और उन्होंने ही पीनट बटर बनाने की तकनीक सिखाई थी.
1972 में शुरू किया अपना व्यवसाय : बचन सिंह नेगी ने 1972 से अपना पीनट बटर बनाने का व्यवसाय शुरू किया था. उन्होंने बताया कि उस समय इसके बारे में कम लोग जानते थे. बाद में पीनट बटर को धीरे-धीरे बाहर भी भेजा जाने लगा. लेकिन केवल मांग पर ही बाहर भेजा करते थे. उन्होंने बताया कि 2005 में एक पत्रिका में उनके पिता का इंटरव्यू प्रकाशित हुआ था. उसको देखकर उनके पिता काफी उत्साहित थे.