पटना : पटना हाईकोर्ट में बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामले पर सुनवाई 1 सितम्बर, 2023 को की जाएगी. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ित महिलाओं को दिये गये क्षतिपूर्ति का विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ितों की सूची और क्षतिपूर्ति देने की जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था.
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राज्य सरकार को क्षतिपूर्ति देने का आदेश : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने हाईकोर्ट को बताया कि राज्य में अवैध रूप 27 हजार महिलाओं के गर्भाशय हटाने के मामले पर राज्य सरकार ने कोई जांच नहीं कराई. इस सम्बन्ध में राज्य मानवाधिकार आयोग ने जांच कराने का आदेश दिया था. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 40 साल तक आयु की पीड़ित महिलाओं को दो लाख रुपये, जबकि 40 वर्ष आयु के ऊपर की पीड़ित महिलाओं को सवा लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति देने का आदेश राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया था.
2012 में मानवाधिकार आयोग ने उठाया था मुद्दा : अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा था कि राज्य सरकार ने इस बात को अब तक रिकॉर्ड पर नहीं लाया कि कितनी पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति की धनराशि दे दी गई है और कितनों को देना बाकी है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था.
वेटरन फोरम ने दायर की याचिका : दरअसल, 2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया था. इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों द्वारा बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल लिए गए. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया. इस मामले पर अगली सुनवाई 1 सितम्बर 2023 को की जाएगी.