अहमदाबाद : गुजरात में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. राज्य में प्रचार का दौर भी शुरू हो चुका है. भाजपा सत्ता में है. कांग्रेस और आप ने भी अपने-अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गुजरात का बार-बार दौरा कर रहे हैं. आपको बता दें कि गुजरात चुनाव में वैसे तो कई फैक्टर हैं, जिस पर राजनीतिक पार्टियां मंथन कर रहीं हैं, लेकिन एक फैक्टर ऐसा है, जिसे कोई भी दल नजरअंदाज नहीं कर सकता है. वह पाटीदार फैक्टर. पाटीदार समुदाय 182 में से 100 सीटों पर सीधे अपना प्रभाव रखते हैं. मतदाताओं की बात करें, तो उनकी हिस्सेदारी 44 फीसदी तक है. Patidar factor in Gujarat.
गुजरात में विधानसभा की 61 ऐसी सीटें हैं जहां पर पाटीदार मतदाताओं की संख्या ठीक-ठाक है. वे किसी भी दल के पक्ष में वोट कर दें, तो उनकी स्थिति अच्छी हो सकती है. कुल मिलाकर करीब 100 ऐसी सीटें हैं, जहां पर पाटीदार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जाहिर है, राजनीतिक पार्टियों की प्राथमिकता पाटीदार उम्मीदवारों पर टिकी रहती हैं, खासकर जिन विधानसभा क्षेत्रों में पाटीदार मतदाताओं की संख्या बहुतायत है. अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो जाहिर है, उन्हें पाटीदार मतदाताओं की नाराजगी झेलने के लिए तैयार रहना होगा.
अब आप एक उदाहरण से इसे और बेहतर तरीके से समझ सकते हैं. हाल ही में खोदालधाम प्रमुख नरेश पटेल ने सिर्फ इतनी घोषणा की थी कि वह राजनीति में आना चाहते हैं. उनके इतना कहते ही, कांग्रेस, भाजपा और आप तीनों दलों ने उनका दरवाजा खटखटा दिया. तीनों दलों ने उन्हें अपनी-अपनी पार्टी ज्वाइन करने का ऑफर दे दिया. वह सौराष्ट्र में काफी लोकप्रिय हैं. ये है पाटीदार समुदाय की राजनीतिक ताकत. यही वजह है कि पाटीदार समाज का कोई भी कार्यक्रम हो, वहां पर कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दल अपने-अपने प्रतिनिधियों को अवश्य भेजते हैं.
पाटीदार एजुकेशन इंस्टीट्यूट की शुरुआत 42 तालुका में हो चुकी है. एजुकेशन ऑरगेनाइजेशन के चेयरमैन दिनेश बंभानिया ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि गुजरात विधानसभा चुनाव में पाटीदार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. पाटीदार ने 1995 में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था. तब से कांग्रेस कभी भी गुजरात में सत्ता में नहीं आई है. 2017 में जब पाटीदार आरक्षण का मुद्दा उठा था, तब भाजपा भी संघर्ष करती नजर आई थी. भाजपा प्रभारी रत्नाकर अभी एक दिन पहले ही एजुकेशन इंस्टीट्यूट में पाटीदार समुदाय के लोगों से मिलने आए थे. बहुत सारे अलग-अलग सोसाइटी ने भी पाटीदार सोसाइटी को ज्वाइन किया है.
सरदार पटेल सेवा दल के महासचिव और पाटीदार समाज के युवा कार्यकर्ता पूर्वीन पटेल ने ईटीवी भारत को बताया कि 60 सीटों पर पाटीदार डोमिनेंट है और 40 सीटें ऐसी हैं जहां पर पाटीदार समाज के ही प्रतिनिधि खुद उम्मीदवार हैं. गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटें हैं. जाहिर है, जिस भी पार्टी को 92 सीट मिलेंगी, वह सरकार बना लेगी. और 100 सीटों पर पाटीदार समाज अपना प्रभाव डालते हैं. इसलिए कोई भी दल इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता है.
कुछ दिनों पहले ही कड़वा और लेउवा पाटीदार समुदाय की बैठक हुई थी. यह बैठक जुनागढ़ में हुई थी. दोनों ही समुदाय पाटीदार हैं. उत्तरी गुजरात में संपन्न पाटीदार हैं. सौराष्ट्र में लेउवा पटेल मजबूत हैं. जाहिर है, जिस भी दल को इन दोनों जगहों पर बढ़त मिलेगी, वह मजबूत स्थिति में रहेगा. 11 सितंबर को पीएम ने अपनी एक सभा में पाटीदार समुदाय की तारीफ करते हुए कहा था कि वे जिधर भी जाते हैं, बिजनेस में नई पहचान बना लेते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पाटीदार लोग जिधर भी जाते हैं, वे भारत का हित सर्वोपरि रखते हैं. पीएम ने पुरुषोत्तम रुपाला और मंडाविया को प्रमोट किया है. वे दोनों ही पाटीदार समुदाय से आते हैं. पाटीदार मतदाताओं की संख्या 44 फीसदी हैं.
राज्य के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने मनसा सोशल सेरेमनी को लेकर कहा कि पावली और रुपियो समुदाय भी पाटीदार के ही अंग हैं. वे मनसा के आसपास रहते हैं. पीएम मोदी ने उनसे भी बात करने को कहा है. विजय रूपाणी जब सीएम थे, तब नरेश पटेल बार-बार यह कहते थे कि गुजरात का सीएम कोई पाटीदार होना चाहिए. भाजपा ने उनकी जगह भूपेंद्र पटेल को सीएम बना दिया. भाजपा ने इस फैक्टर को समझा और उसी अनुरूप अपनी दिशा तय की.
गुजरात भाजपा के जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान मंडाविया ने कहा पाटीदार और भाजपा के बीच काफी गहरा संबंध है. उन्होंने पाटीदार मतलब कहा- भाजपा. मंडाविया ने यह भी कहा कि पीएम ने मुझे और रुपाला को मंत्रिमंडल में शामिल किया, यानी वे पाटीदार समुदाय के हितों का पूरा ध्यान रख रहे हैं. आपको बता दें कि गुजरात में अब तक कुल 17 मुख्यमंत्री हुए हैं. इनमें चिमनभाई पटेल, बाबूभाई जशभाई पटेल, केशुभाई पटेल, आनंदीबेन पटेल और भूपेंद्र पटेल, सभी पाटीदार समुदाय से सीएम रहे हैं. इनमें चार लेउवा पटेल रहे हैं और बाकी कड़वा पटेल हैं.
2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान पाटीदार आरक्षण का मुद्दा जोड़ पकड़ा था. भाजपा 99 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं. भाजपा अभी जितने भी प्रचार अभियान कर रही है, सभी जगहों पर पीएम मोदी और भूपेंद्र पटेल का नाम एक साथ दिखाई पड़ रहा है. इसका तो यही अर्थ लगाया जा रहा है कि भाजपा उन्हें हटाने नहीं जा रही है. भूपेंद्र पटेल की छवि ईमानदार रही है. वे किसी भी विवादों में नहीं पड़े हैं.
राजनीतिक विश्लेषक जयवंत पांड्या ने कहा कि पाटीदार समुदाय काफी मेहनती हैं, उन्होंने अपनी मेहनत की बदौलत पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. कभी वो भी दौर था, जब कांग्रेस के माधव सिंह सोलंकी ने खाम फैक्टर की बदौलत सरकार बनाई थी. लेकिन भाजपा ने स्थिति पलट दी. पार्टी ने पाटीदार समुदाय की बदौलत कांग्रेस पर जोरदार प्रहार किया. आज की राजनीति में पाटीदार सबसे अहम किरदार हो गए हैं. आम आदमी पार्टी में भी पाटीदार को प्राथमिकता मिल रही है, लेकिन कांग्रेस में ऐसा नहीं है.
कौन से विधानसभा में कितने पाटीदार मतदाता हैं. उंझा में 85,405, विसनगर में 63,958, बेचाराजी में 52,507, काडी में 52,739, मेहसाणा में 63,131 मतदाता, बीजापुर में 67,538, हिम्मतनगर में 54,880, मानसा में 47,090, घाटलोदिया में 60,161, ठक्करबानगर, 35,365 मतदाता हैं. नारनपुरा में 40,282 मतदाता, निकोल में 52,723 मतदाता, नरोदा में 34,408 मतदाता, मणिनगर में 52,121 मतदाता, साबरमती में 44,221 मतदाता, ध्रांगढ़ में 67,046 मतदाता, मोरबी में 60,230 मतदाता, टंकारा में 1,02,469 मतदाता, दसकरोई में 51,959 मतदाता, 37,055 मतदाता हैं. विरमगाम, राजकोट पूर्व में 55,969, राजकोट पश्चिम में 77,789, राजकोट में 35,795, राजकोट ग्रामीण में 94,485, जसदान में 56,765, गोंडल में 86,240, जामजोधपुर में 46,112 मतदाता हैं. मानवदार में 69,337, जूनागढ़ में 61,446, विसवदर में 1,06,126, केशोद में 57,647, धारी में 58,195, अमरेली में 75,871, लाठी में 46,240, सावरकुंडला में 54,470, जेतपुर में 1,20,51 मतदाता हैं. कलावड़ में 2,727 मतदाता 55,008 मतदाता, जामनगर ग्रामीण में 40,292 मतदाता, सयाजीगंज में 47,929 मतदाता, बोटाद में 40,088 मतदाता, अल्लपाड में 39,245 मतदाता, कामरेज में 40,043 मतदाता, सूरत उत्तर में 81,631 मतदाता, वराछा में 1,28,323 मतदाता, 81,239 मतदाता हैं. करजन, माजुरा, कटारगाम में 61,321 मतदाता हैं, जिनमें 1,01,541 मतदाता हैं और लूनावाड़ा में 49,204 मतदाता हैं. दाभोई में 43,968 पाटीदार मतदाता हैं. इसी तरह आणंद में 35,528 पाटीदार, पेटलाड में 38,782, तलाला में 32,000, बापूनगर में 31,783, गांधीनगर उत्तर में 33,890, पाटन में 37,240, सूरत पूर्व में 37,120, गरियाधर में 41,075 और गढ़ड़ा में 45,801 मतदाता हैं.
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