नई दिल्ली : संसद की एक स्थायी समिति (parliamentary committee report) ने बृहस्पतिवार को संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में 257 थानों में वाहन नहीं हैं और 638 में टेलीफोन नहीं हैं. वहीं अरुणाचल प्रदेश में 54, पंजाब में 69, जम्मू-कश्मीर में 79 पुलिस थानों में टेलीफोन कनेक्शन नहीं है. इतना ही नहीं ओडिशा में 38, पंजाब में 36, जम्मू-कश्मीर में 17 पुलिस स्टेशनों में वायरलेस या मोबाइल तक नहीं है.
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय संबंधी स्थायी समिति (Standing Committee on Ministry of Home Affairs) ने कहा कि एक जनवरी 2020 की स्थिति के अनुसार देश में 16833 थानों में से 257 थानों में वाहन नहीं है. 638 थानों में टेलीफोन नहीं है और 143 थानों में वायरलैस या मोबाइल फोन नहीं हैं. समिति ने कहा कि उसकी राय है कि आधुनिक पुलिस प्रणाली में सुदृढ़ संचार समर्थन, अत्याधुनिक उपकरण और त्वरित कार्रवाई के लिए अत्यधिक गतिशीलता जरूरी है.
उसने कहा कि 21वीं सदी में भी भारत में खासकर अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और पंजाब जैसे अनेक संवेदनशील राज्यों में थाने बिना टेलीफोन या उचित वायरलैस कनेक्टिविटी के हैं. जबकि इनमें से कुछ राज्यों को 2018-19 में बेहतर प्रदर्शन प्रोत्साहन के लिए सम्मानित किया गया है. समिति ने कहा कि जम्मू कश्मीर जैसे बहुत संवेदनशील सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेश में भी ऐसे थाने बड़ी संख्या में हैं, जिनमें टेलीफोन और वायरलैस सेट नहीं हैं.
रिपोर्ट के अनुसार समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय ऐसे राज्यों को सलाह दे सकता है कि उनके थानों में पर्याप्त वाहन और संचार उपकरणों की व्यवस्था की जाए अन्यथा केंद्र से आधुनिकीकरण के लिए अनुदानों को हतोत्साहित किया जा सकता है. समिति ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों के लिए गृह मंत्रालय यह सुनिश्चित कर सकता है कि जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाये जाएं.
देश में पुलिस के 5.3 लाख पद खाली
गृह मंत्रालय संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य पुलिस बलों में 26,23,225 पदों की स्वीकृत संख्या की तुलना में एक जनवरी 2020 की स्थिति के अनुसार पुलिस बल में 5,31,737 पद खाली हैं और इस तरह पुलिस बल में करीब 21 प्रतिशत पद खाली हैं. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार खाली पड़े पदों में अधिकतर कांस्टेबल स्तर के हैं.
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इसमें कहा गया है कि देश में अपराध और सुरक्षा के परिदृश्य को देखते हुए यह अपेक्षित आंकड़े नहीं हैं. समिति की राय है कि कर्मियों की संख्या में कमी से पुलिस की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है. समिति ने कहा कि इससे मौजूदा कर्मियों पर काम का अतिरिक्त बोझ भी पड़ता है और उन्हें अतिरिक्त समय तक काम करना होता है. रोचक तथ्य यह है कि समिति ने पुलिस महानिदेशकों, विशेष महानिदेशकों और अतिरिक्त डीजीपी समेत पुलिस के शीर्ष स्तर के अधिकारियों की संख्या अधिक बताई.