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संसदीय समिति ने वर्ष 2023-24 में मनरेगा के बजट अनुमान में कटौती पर चिंता व्यक्त की

लोकसभा में कार्यवाही शुरू होते ही सांसद हंगामा मचाने लगते हैं. सत्ता पक्ष जहां राहुल गांधी से माफी मांगने की बात कहते हैं, वहीं, विपक्षी दल अडाणी मामले पर जेपीसी की मांग करने लगते हैं.

Etv Bharat MNREGA budget estimate cut
Etv Bharat मनरेगा के बजट अनुमान में कटौती पर चिंता व्यक्त की
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Published : Mar 16, 2023, 11:43 AM IST

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को बेरोजगार वर्ग के लिए संकट काल में आशा की किरण बताते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में वर्ष 2023-24 में मनरेगा के बजट अनुमान में 29,400 करोड़ रूपये की कटौती की गई है. लोकसभा में पेश, द्रमुक सांसद कनिमोई करूणानिधि की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

समिति यह जानकर चिंतित है कि वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में वर्ष 2023-24 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए बजट अनुमान में 29,400 करोड़ रूपये की कटौती की गई है. मनरेगा अधिनियम में, काम करने के इच्छुक ग्रामीण जनसंख्या के वंचित वर्ग को काम करने का अधिकार दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मनरेगा की भूमिका और महत्ता कोरोना काल में स्पष्ट दिखायी दी जब यह जरूरतमंद लोगों के लिए संकट काल में आशा की किरण बनी. इस योजना की महत्ता वर्ष 2020-21 और 2021-22 में संशोधित अनुमान स्तर पर क्रमश: 61,500 करोड़ रूपये से 1,11,500 करोड़ रूपये और 73,000 करोड़ रूपये से 99,117 करोड़ रूपये की भारी वृद्धि से स्पष्ट होती है.

चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भी मनरेगा के लिए राशि को 73,000 करोड़ रूपये के बजट अनुमान से बढ़ाकर संशोधित अनुमान के स्तर पर 89,400 करोड़ रूपये कर दिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आरंभिक स्तर पर ही ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा के लिए 98,000 करोड़ रूपये की प्रस्तावित मांग की तुलना में 60,000 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है 'समिति मनरेगा के तहत आवंटन में कमी के औचित्य को समझ नहीं पायी है.'

इसमें कहा गया है कि चूंकि योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन आवश्यक है, इसलिए समिति का दृढ़ मत है कि धनराशि में कटौती के मामले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. समिति ने कहा कि यह एक स्थापित प्रक्रिया है कि मनरेगा एक मांग आधारित योजना है और संशोधित अनुमान स्तर पर धनराशि में वृद्धि की जा सकती है, फिर भी मंत्रालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ग्रामीण विकास विभाग ने किस प्रकार मनरेगा के प्रस्ताव के चरण में 98,000 करोड़ रूपये की मांग की गणना की.

पढ़ें: Budget Session 2023 : लोकसभा में कार्रवाई शुरू होते ही हंगामा, दो बजे तक के लिए स्थगित

समिति यह पुरजोर सिफारिश करती है कि ग्रामीण विकास विभाग जमीनी स्तर पर मनरेगा के अंतर्गत काम की मौजूदा भारी मांग का अधिक सटीकता से अनुमान लगाए और अपने पत्राचार एवं प्रशासनिक कौशल द्वारा वित्त मंत्रालय से मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि की मांग करे. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने यह भी सिफारिश की कि ग्रामीण विकास विभाग को मनरेगा के तहत मजदूरी की दरों को उपयुक्त मूल्य निर्धारित सूचकांक से जोड़कर बढ़ाना चाहिए और पूरे देश के लिए मनरेगा के तहत एक समान मजदूरी दर अधिसूचित करने की व्यवहार्यता का पता लगाना चाहिए.

पीटीआई-भाषा

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को बेरोजगार वर्ग के लिए संकट काल में आशा की किरण बताते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में वर्ष 2023-24 में मनरेगा के बजट अनुमान में 29,400 करोड़ रूपये की कटौती की गई है. लोकसभा में पेश, द्रमुक सांसद कनिमोई करूणानिधि की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

समिति यह जानकर चिंतित है कि वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में वर्ष 2023-24 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए बजट अनुमान में 29,400 करोड़ रूपये की कटौती की गई है. मनरेगा अधिनियम में, काम करने के इच्छुक ग्रामीण जनसंख्या के वंचित वर्ग को काम करने का अधिकार दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मनरेगा की भूमिका और महत्ता कोरोना काल में स्पष्ट दिखायी दी जब यह जरूरतमंद लोगों के लिए संकट काल में आशा की किरण बनी. इस योजना की महत्ता वर्ष 2020-21 और 2021-22 में संशोधित अनुमान स्तर पर क्रमश: 61,500 करोड़ रूपये से 1,11,500 करोड़ रूपये और 73,000 करोड़ रूपये से 99,117 करोड़ रूपये की भारी वृद्धि से स्पष्ट होती है.

चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भी मनरेगा के लिए राशि को 73,000 करोड़ रूपये के बजट अनुमान से बढ़ाकर संशोधित अनुमान के स्तर पर 89,400 करोड़ रूपये कर दिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आरंभिक स्तर पर ही ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा के लिए 98,000 करोड़ रूपये की प्रस्तावित मांग की तुलना में 60,000 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है 'समिति मनरेगा के तहत आवंटन में कमी के औचित्य को समझ नहीं पायी है.'

इसमें कहा गया है कि चूंकि योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन आवश्यक है, इसलिए समिति का दृढ़ मत है कि धनराशि में कटौती के मामले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. समिति ने कहा कि यह एक स्थापित प्रक्रिया है कि मनरेगा एक मांग आधारित योजना है और संशोधित अनुमान स्तर पर धनराशि में वृद्धि की जा सकती है, फिर भी मंत्रालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ग्रामीण विकास विभाग ने किस प्रकार मनरेगा के प्रस्ताव के चरण में 98,000 करोड़ रूपये की मांग की गणना की.

पढ़ें: Budget Session 2023 : लोकसभा में कार्रवाई शुरू होते ही हंगामा, दो बजे तक के लिए स्थगित

समिति यह पुरजोर सिफारिश करती है कि ग्रामीण विकास विभाग जमीनी स्तर पर मनरेगा के अंतर्गत काम की मौजूदा भारी मांग का अधिक सटीकता से अनुमान लगाए और अपने पत्राचार एवं प्रशासनिक कौशल द्वारा वित्त मंत्रालय से मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि की मांग करे. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने यह भी सिफारिश की कि ग्रामीण विकास विभाग को मनरेगा के तहत मजदूरी की दरों को उपयुक्त मूल्य निर्धारित सूचकांक से जोड़कर बढ़ाना चाहिए और पूरे देश के लिए मनरेगा के तहत एक समान मजदूरी दर अधिसूचित करने की व्यवहार्यता का पता लगाना चाहिए.

पीटीआई-भाषा

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