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संसदीय समिति ने सरकार से कहा, कोविड के सभी वेरियंट के लिए सार्वभौमिक कोविड वैक्सीन विकसित करें

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Published : Sep 25, 2022, 10:07 AM IST

कोविड-19 के बदलते रूपों से अवगत होने के कारण, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर एक संसदीय समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से एक सार्वभौमिक कोविड वैक्सीन विकसित करने के लिए पहल करने को कहा है जो कोरोना के सभी वेरियंट पर प्रभावी हो.

universal Covid vaccine
universal Covid vaccine

नई दिल्ली: कोविड-19 के बदलते रूपों से अवगत होने के कारण, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर एक संसदीय समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से एक सार्वभौमिक कोविड वैक्सीन विकसित करने के लिए पहल करने को कहा है जो कोरोना के सभी वेरियंट पर प्रभावी हो. राज्यसभा सांसद प्रोफेसर राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति का मानना ​​है कि अब तक खोजे गए सभी प्रकार की टीकों को कोरोना के बदलते वेरियंट के मुताबिक विकसित करने की आवश्यकता है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को एक सार्वभौमिक कोविड वैक्सीन विकसित करने की पहल करनी चाहिए. एक ऐसा वैक्सीन जो कोरोना के सभी वेरियंट के खिलाफ प्रभावी हो. उन्होंने कहा कि मंत्रालय को आईसीएमआर और देश के अन्य अनुसंधान संस्थानों के बीच अनुसंधान सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए. समिति ने 'मिशन कोविड सुरक्षा-द इंडियन कोविड 19 वैक्सीन डेवलपमेंट मिशन' की सराहना की है. इस मिशन को तीसरे प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में घोषित किया गया था.

पढ़ें: संसदीय समिति ने की फ्री बूस्टर डोज देने की अवधि 75 दिन बढ़ाने की सिफारिश

समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग को टीकों के विकास की दिशा में काम करना जारी रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टीके बाजार में मुफ्त उपलब्ध कारये जायें. समिति ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रयासों की भी सराहना की है. ये दोनों ही देश में वैक्सीन अनुसंधान और विकास में सबसे आगे रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों विभागों को डेटा पारदर्शिता के साथ-साथ देश में नैदानिक ​​​​परीक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए.

पढ़ें: क्षेत्र आधारित कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं को प्रोत्साहित करे सरकार : संसदीय समिति

समिति ने इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कहा कि मानव परीक्षण और कच्चे माल की खरीद को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. जिस ध्यान देने की जरूरत है. इसमें आगे कहा गया है कि मंत्रालय को एंड टू एंड वैक्सीन विकास कार्यक्रम को मजबूत करने और वैक्सीन बनाने वालों को समर्थन देने की जरूरत है. समिति के अनुसार, इस साल जून तक, पांच Covid19 टीके प्रशासित किए गए हैं कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पुतनिक, ज़ीकोव-डी और कॉर्बेवैक्स. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का पहला स्वदेशी टीका-कोवैक्सिन निष्क्रिय वायरस प्लेटफॉर्म पर काम करता है. समिति ने कहा कि वायरस में निरंतर उत्परिवर्तन के साथ, दूसरी पीढ़ी के टीकों के विकास के लिए रणनीति विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है.

पढ़ें: 'चिकित्सा उपकरण' विषय पर बने अलग कानून, संसदीय समिति ने की सिफारिश

समिति ने कहा कि सभी संबंधित मंत्रालयों को वैक्सीन अनुसंधान और विकास के मोर्चे पर अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करना चाहिए. समिति ने केंद्र सरकार को स्वास्थ्य अनुसंधान और आईसीएमआर का बजट बढ़ाने का भी सुझाव दिया, ताकि नए अंनुसंधानकिये जा सकें. समिति ने कहा कि भारत को न केवल टीकों के बड़े पैमाने पर उत्पादक होने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बल्कि वैक्सीन और दवाओं के विकास के क्षेत्र में अनुसंधान करने वालों के लिए भी एक विशिष्ट स्थान बनाना चाहिए.

नई दिल्ली: कोविड-19 के बदलते रूपों से अवगत होने के कारण, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर एक संसदीय समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से एक सार्वभौमिक कोविड वैक्सीन विकसित करने के लिए पहल करने को कहा है जो कोरोना के सभी वेरियंट पर प्रभावी हो. राज्यसभा सांसद प्रोफेसर राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति का मानना ​​है कि अब तक खोजे गए सभी प्रकार की टीकों को कोरोना के बदलते वेरियंट के मुताबिक विकसित करने की आवश्यकता है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को एक सार्वभौमिक कोविड वैक्सीन विकसित करने की पहल करनी चाहिए. एक ऐसा वैक्सीन जो कोरोना के सभी वेरियंट के खिलाफ प्रभावी हो. उन्होंने कहा कि मंत्रालय को आईसीएमआर और देश के अन्य अनुसंधान संस्थानों के बीच अनुसंधान सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए. समिति ने 'मिशन कोविड सुरक्षा-द इंडियन कोविड 19 वैक्सीन डेवलपमेंट मिशन' की सराहना की है. इस मिशन को तीसरे प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में घोषित किया गया था.

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समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग को टीकों के विकास की दिशा में काम करना जारी रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टीके बाजार में मुफ्त उपलब्ध कारये जायें. समिति ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रयासों की भी सराहना की है. ये दोनों ही देश में वैक्सीन अनुसंधान और विकास में सबसे आगे रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों विभागों को डेटा पारदर्शिता के साथ-साथ देश में नैदानिक ​​​​परीक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए.

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समिति ने इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कहा कि मानव परीक्षण और कच्चे माल की खरीद को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. जिस ध्यान देने की जरूरत है. इसमें आगे कहा गया है कि मंत्रालय को एंड टू एंड वैक्सीन विकास कार्यक्रम को मजबूत करने और वैक्सीन बनाने वालों को समर्थन देने की जरूरत है. समिति के अनुसार, इस साल जून तक, पांच Covid19 टीके प्रशासित किए गए हैं कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पुतनिक, ज़ीकोव-डी और कॉर्बेवैक्स. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का पहला स्वदेशी टीका-कोवैक्सिन निष्क्रिय वायरस प्लेटफॉर्म पर काम करता है. समिति ने कहा कि वायरस में निरंतर उत्परिवर्तन के साथ, दूसरी पीढ़ी के टीकों के विकास के लिए रणनीति विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है.

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समिति ने कहा कि सभी संबंधित मंत्रालयों को वैक्सीन अनुसंधान और विकास के मोर्चे पर अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करना चाहिए. समिति ने केंद्र सरकार को स्वास्थ्य अनुसंधान और आईसीएमआर का बजट बढ़ाने का भी सुझाव दिया, ताकि नए अंनुसंधानकिये जा सकें. समिति ने कहा कि भारत को न केवल टीकों के बड़े पैमाने पर उत्पादक होने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बल्कि वैक्सीन और दवाओं के विकास के क्षेत्र में अनुसंधान करने वालों के लिए भी एक विशिष्ट स्थान बनाना चाहिए.

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