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संसद के शीतकालीन सत्र का दूसरा सप्ताह, हंगामा जारी रहने के आसार

संसद के शीतकालीन सत्र का पहला सप्ताह हंगामेदार रहा है. आज से दूसरा सप्ताह शुरू हो रहा है. ऐसे में राज्य सभा से निलंबित 12 सांसदों के मुद्दे व अन्य बिंदुओं पर हंगामे के आसार हैं. गत पांच दिनों में तीन अहम विधेयक पेश किए जा चुके हैं. इसके अलावा कई प्राइवेट मेंबर बिल भी लाए गए हैं. ऐसे में शीतकालीन सत्र के इस सप्ताह पर भी सभी की नजरें टिकी रहेंगी.

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Published : Dec 5, 2021, 7:57 PM IST

Updated : Dec 6, 2021, 6:20 AM IST

parliament winter session
संसद का शीतकालीन सत्र

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र का दूसरा सप्ताह भी हंगामेदार रहने के आसार हैं. सरकार ने पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान 26 विधेयकों को पारित कराने की योजना बनाई है. ऐसे में हंगामा और व्यवधान के कारण विधेयकों के पारित होने में अड़ंगा भी लग सकता है. शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में लोक सभा और राज्य सभा से कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयकों को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद राज्य सभा में गत दो दिसंबर को बांध सुरक्षा विधेयक-2019 भी पारित हुआ था. जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि 40 साल से देश में बांधों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने पर विचार हो रहा है, अब विधेयक पारित होने के बाद 40 साल बाद कानून बनने का रास्ता साफ हुआ है.

बता दें कि लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने कामकाज के सिलसिले में सांसदों की तारीफ की थी. गत दो दिसंबर का दिन लोक सभा के इतिहास का सर्वाधिक उत्पादकता वाला दिन रहा था. सदन की कार्यवाही में व्यवधानों के बीच राज्य सभा में सभापति वेंकैया नायडू ने कहा था कि संसद, वर्ष में कम से कम 100 दिन चलनी ही चाहिए. सदन का कामकाज सुचारू ढंग से नहीं चल पाने से दुखी सभापति नायडू ने कहा था कि संसद की कार्यवाही वर्ष में कम से कम 100 दिन चलनी ही चाहिए. उन्होंने कहा था कि संसद की कार्यवाही से जुड़े सभी लोगों को संसद की सुचारू कार्यवाही सुनिश्चित करना चाहिए.

संसद भवन में गत 4 दिसंबर को एक कार्यक्रम में वेंकैया नायडू ने कहा था कि सदन प्रभावी और अर्थपूर्ण तरीके से चले यह सभी को सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल जब विपक्ष में रहते हैं तो वर्ष भर में 100 दिन सदन चलाने की वकालत करते हैं लेकिन सरकार में आने के बाद इस मांग की चिंता नहीं करते हैं.

राज्य सभा सभापति ने संसद के वर्ष में कम से कम 100 दिन चलने की वकालत करने के साथ-साथ राज्यों के विधानसभाओं को भी साल भर में कम से कम 90 दिन चलाने की वकालत की. नायडू ने इस बात पर भी चिंता जताई कि समितियों की बैठक को सांसद गंभीरता से नहीं लेते और अनुपस्थित रहते हैं. उन्होंने सभी को आत्मावलोकन करने की सलाह भी दी.

राज्य सभा के हंगामे से इतर, कामकाज के मामले में शीतकालीन सत्र में लोक सभा ने रिकॉर्ड कायम किया है. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गत तीन दिसंबर को सदन में इस उपलब्धि के लिए सांसदों की तारीफ भी की थी. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चल रही खींचतान के बावजूद शीतकालीन सत्र के चौथे दिन (दो दिसंबर) कामकाज के मामले में लोक सभा ने नया रिकॉर्ड बना दिया.

लोकसभा के इतिहास में 2 दिसंबर सर्वाधिक उत्पादकता वाला दिन रहा, जिस दिन सदन में 204 प्रतिशत कामकाज हुआ. गुरुवार को लोक सभा में कोविड महामारी और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई थी. इस चर्चा में 96 सांसदों ने भाग लिया था और यह चर्चा 11 घंटे 3 मिनट तक चली थी.

गौरतलब है कि संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र की बात करें तो लोक सभा पहले दिन 29 नवंबर को कुल मिलाकर सिर्फ 24 मिनट ही चल पाई थी. दूसरे दिन 30 नवंबर को लोक सभा 24 मिनट और तीसरे दिन 1 दिसंबर को 422 मिनट चली थी. 2 दिसंबर को नया रिकॉर्ड बनाते हुए लोक सभा कुल 735 मिनट तक चली थी. कामकाज के मामले में नया रिकॉर्ड बनाने और सदन में स्वस्थ और सकारात्मक चर्चा के लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी सांसदों का अभिनंदन भी किया.

तीसरे दिन महिलाओं के मां बनने के अधिकार से जुड़ा विधेयक पेश

लोकसभा में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक पेश किया गया. यह विधेयक सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लीनिकों के विनियमन और पर्यवेक्षण, गलत इस्तेमाल की रोकथाम, प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाओं के सुरक्षित और नैतिक अभ्यास के लिए है. लोक सभा में कई संशोधनों के साथ इस विधेयक को मंजूरी दी गई. सरकार का कहना है कि महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के संरक्षण की दिशा में यह विधेयक अहम साबित होगा.

यह भी पढ़ें- ART रेगुलेशन विधेयक लोकसभा से पारित, 'बच्चा जनने' के अधिकार पर होगा प्रभाव, जानिए

सरकार का दावा है कि विधेयक के कानून बनने पर बदलते सामाजिक संदर्भों और तकनीक की दिशा में हुई प्रगति से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में मदद मिलेगी. सरकार का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों के माध्यम से महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के संरक्षण का माहौल बनाने का प्रयास है.

दूसरे दिन पेश हुआ विधेयक

गत 30 नवंबर को कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक लोक सभा में पेश किया था. संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट जजेस सैलरी एंड कंडिशंस ऑफ सर्विसेज एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव करते हुए विधेयक लोक सभा में पेश किया था.

यह भी पढ़ें- हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक लोक सभा में पेश

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पूर्वोत्तर अधिनियम की धारा 17ख एवं 16ख को अंत:स्थापित करने का विधायी आशय सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उस मास की पहली तारीख से पेंशन की अतिरिक्त मात्रा का फायदा देना था जिसको वह मान के पहले स्तम्भ में निर्दिष्ट आयु पूरी कर लेता है.

(आईएएनएस इनपुट)

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र का दूसरा सप्ताह भी हंगामेदार रहने के आसार हैं. सरकार ने पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान 26 विधेयकों को पारित कराने की योजना बनाई है. ऐसे में हंगामा और व्यवधान के कारण विधेयकों के पारित होने में अड़ंगा भी लग सकता है. शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में लोक सभा और राज्य सभा से कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयकों को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद राज्य सभा में गत दो दिसंबर को बांध सुरक्षा विधेयक-2019 भी पारित हुआ था. जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि 40 साल से देश में बांधों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने पर विचार हो रहा है, अब विधेयक पारित होने के बाद 40 साल बाद कानून बनने का रास्ता साफ हुआ है.

बता दें कि लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने कामकाज के सिलसिले में सांसदों की तारीफ की थी. गत दो दिसंबर का दिन लोक सभा के इतिहास का सर्वाधिक उत्पादकता वाला दिन रहा था. सदन की कार्यवाही में व्यवधानों के बीच राज्य सभा में सभापति वेंकैया नायडू ने कहा था कि संसद, वर्ष में कम से कम 100 दिन चलनी ही चाहिए. सदन का कामकाज सुचारू ढंग से नहीं चल पाने से दुखी सभापति नायडू ने कहा था कि संसद की कार्यवाही वर्ष में कम से कम 100 दिन चलनी ही चाहिए. उन्होंने कहा था कि संसद की कार्यवाही से जुड़े सभी लोगों को संसद की सुचारू कार्यवाही सुनिश्चित करना चाहिए.

संसद भवन में गत 4 दिसंबर को एक कार्यक्रम में वेंकैया नायडू ने कहा था कि सदन प्रभावी और अर्थपूर्ण तरीके से चले यह सभी को सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल जब विपक्ष में रहते हैं तो वर्ष भर में 100 दिन सदन चलाने की वकालत करते हैं लेकिन सरकार में आने के बाद इस मांग की चिंता नहीं करते हैं.

राज्य सभा सभापति ने संसद के वर्ष में कम से कम 100 दिन चलने की वकालत करने के साथ-साथ राज्यों के विधानसभाओं को भी साल भर में कम से कम 90 दिन चलाने की वकालत की. नायडू ने इस बात पर भी चिंता जताई कि समितियों की बैठक को सांसद गंभीरता से नहीं लेते और अनुपस्थित रहते हैं. उन्होंने सभी को आत्मावलोकन करने की सलाह भी दी.

राज्य सभा के हंगामे से इतर, कामकाज के मामले में शीतकालीन सत्र में लोक सभा ने रिकॉर्ड कायम किया है. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गत तीन दिसंबर को सदन में इस उपलब्धि के लिए सांसदों की तारीफ भी की थी. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चल रही खींचतान के बावजूद शीतकालीन सत्र के चौथे दिन (दो दिसंबर) कामकाज के मामले में लोक सभा ने नया रिकॉर्ड बना दिया.

लोकसभा के इतिहास में 2 दिसंबर सर्वाधिक उत्पादकता वाला दिन रहा, जिस दिन सदन में 204 प्रतिशत कामकाज हुआ. गुरुवार को लोक सभा में कोविड महामारी और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई थी. इस चर्चा में 96 सांसदों ने भाग लिया था और यह चर्चा 11 घंटे 3 मिनट तक चली थी.

गौरतलब है कि संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र की बात करें तो लोक सभा पहले दिन 29 नवंबर को कुल मिलाकर सिर्फ 24 मिनट ही चल पाई थी. दूसरे दिन 30 नवंबर को लोक सभा 24 मिनट और तीसरे दिन 1 दिसंबर को 422 मिनट चली थी. 2 दिसंबर को नया रिकॉर्ड बनाते हुए लोक सभा कुल 735 मिनट तक चली थी. कामकाज के मामले में नया रिकॉर्ड बनाने और सदन में स्वस्थ और सकारात्मक चर्चा के लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी सांसदों का अभिनंदन भी किया.

तीसरे दिन महिलाओं के मां बनने के अधिकार से जुड़ा विधेयक पेश

लोकसभा में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक पेश किया गया. यह विधेयक सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लीनिकों के विनियमन और पर्यवेक्षण, गलत इस्तेमाल की रोकथाम, प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाओं के सुरक्षित और नैतिक अभ्यास के लिए है. लोक सभा में कई संशोधनों के साथ इस विधेयक को मंजूरी दी गई. सरकार का कहना है कि महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के संरक्षण की दिशा में यह विधेयक अहम साबित होगा.

यह भी पढ़ें- ART रेगुलेशन विधेयक लोकसभा से पारित, 'बच्चा जनने' के अधिकार पर होगा प्रभाव, जानिए

सरकार का दावा है कि विधेयक के कानून बनने पर बदलते सामाजिक संदर्भों और तकनीक की दिशा में हुई प्रगति से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में मदद मिलेगी. सरकार का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों के माध्यम से महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के संरक्षण का माहौल बनाने का प्रयास है.

दूसरे दिन पेश हुआ विधेयक

गत 30 नवंबर को कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक लोक सभा में पेश किया था. संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट जजेस सैलरी एंड कंडिशंस ऑफ सर्विसेज एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव करते हुए विधेयक लोक सभा में पेश किया था.

यह भी पढ़ें- हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक लोक सभा में पेश

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पूर्वोत्तर अधिनियम की धारा 17ख एवं 16ख को अंत:स्थापित करने का विधायी आशय सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उस मास की पहली तारीख से पेंशन की अतिरिक्त मात्रा का फायदा देना था जिसको वह मान के पहले स्तम्भ में निर्दिष्ट आयु पूरी कर लेता है.

(आईएएनएस इनपुट)

Last Updated : Dec 6, 2021, 6:20 AM IST
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