नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को हंगामेदार तरीके से शुरू हुआ. विपक्षी नेताओं ने 'कैश-फॉर-क्वेरी' मामले और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन के लिए आचार समिति की सिफारिश के खिलाफ भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाए. हालिया चुनावी जीत से उत्साहित भाजपा का लक्ष्य सत्र के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष से मुकाबला करना होगा.
चर्चा के लिए निर्धारित प्रमुख विधायी मामलों में मोइत्रा के निष्कासन की मांग के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 जैसे विधेयक शामिल हैं. ये विधेयक भारतीय दंड संहिता में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव करते हैं.
संजय सिंह, मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ 'आप' सांसदों का संसद परिसर में प्रदर्शन : आम आदमी पार्टी के सांसदों ने पार्टी सांसद संजय सिंह और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ मंगलवार को संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया. कथित दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में दोनों आप नेता ईडी की हिरासत में हैं. आप सांसदों ने पार्टी के दोनों नेताओं की गिरफ्तारी पर विरोध जताते हुए ईडी की कार्रवाई को अवैध बताया.
नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा- ईवीएम पर सवाल नए नहीं हैं : जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और सांसद फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को ईवीएम पर सवाल उठाए और कहा कि उसकी विश्वसनीयता पर पहले भी सवाल उठाए गए हैं. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब ईवीएम को पेश किया गया था, तो उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग से सवाल उठाए थे। उन्होंने कि ईवीएम को ठीक करने की जरूरत है ताकि इस पर लोगों का भरोसा कायम रहे.
ईवीएम पर मेरा भरोसा अभी भी बना हुआ है : कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम : हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान ईवीएम में खराबी के दावों को खारिज करते हुए कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने मंगलवार को इसकी कार्यप्रणाली पर भरोसा जताया. कार्ति चिदंबरम ने कहा कि मैं जानता हूं कि मेरी पार्टी के कई सहयोगियों की इस पर अलग राय है. मैं 1996 से व्यक्तिगत रूप से चुनावों से गुजरा हूं. ईवीएम पर मेरा भरोसा अभी भी बना हुआ है.
संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल हुईं काग्रेस सांसद सोनिया गांधी : कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही में शामिल हुईं. शीतकालीन सत्र के पहले दिन भी यूपी के रायबरेली से सांसद और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद में मौजूद रहीं.
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे प्रमुख राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद, पार्टी के कुछ नेताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर दोष मढ़ने की कोशिश की और कहा कि ऐसे नतीजे की उम्मीद नहीं थी. पीटीआई वीडियो से बात करते हुए, कार्ति चिदंबरम ने ये भी कहा कि वे और उनकी पार्टी भारत के गौरवशाली भविष्य के लिए आशावादी हैं जिसमें सभी शामिल हैं और हमारी विविधता का जश्न मनाते हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर और पुदुचेरी विधानसभाओं को शामिल करने के लिए विधायी निकायों में महिला आरक्षण का विस्तार करने की योजना बनाई है. इस पहल को संबोधित करने वाले दो नए विधेयकों पर शीतकालीन सत्र में चर्चा होने वाली है. 22 दिसंबर तक निर्धारित 15 बैठकों के साथ, यह सत्र सरकार के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले महत्वपूर्ण कानून पारित करने का आखिरी अवसर है.
मंगलवार को चल रहे शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा के सदस्यों की ओर से मौजूदा आर्थिक स्थिति पर चर्चा करने की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा सांसद अयोध्या रामी रेड्डी, बीरेंद्र प्रसाद बैश्य, घनश्याम तिवारी , लक्ष्मीकांत बाजपेयी, सुशील कुमार मोदी, आदित्य प्रसाद और शंभू शरण पटेल मंगलवार को उच्च सदन में 'देश में आर्थिक स्थिति' पर चर्चा शुरू कर सकते हैं.
इससे पहले लोकसभा में सोमवार को 'अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023’ पास हो गया. इस विधेयक का मकसद अदालत परिसरों में दलालों की भूमिका को खत्म करना है. लोकसभा ने विधेयक पर विस्तृत चर्चा के बाद ध्वनिमत से विधेयक को पास किया गया. राज्यसभा में ये विधेयक मानसून सत्र में पास हो चुका है.
विधेयक में प्रावधान है कि सभी हाई कोर्ट और जिला न्यायाधीश दलालों की सूची तैयार कर सकते हैं और उन्हें प्रकाशित भी कर सकते हैं. लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने तय किया है कि उन औपनिवेशिक कानूनों को खत्म किया जाएगा जो अब इस्तेमाल में नहीं रहे.
मेघवाल ने कहा कि अब तक ऐसे 1,486 कानून खत्म किए जा चुके हैं और कुछ खत्म होने की प्रक्रिया में हैं. मेघवाल के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दी. सरकार ने भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) से चर्चा करने के बाद लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को खत्म करने और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करने का फैसला किया है.
विधेयक का उद्देश्य 'अनावश्यक अधिनियमों' की संख्या कम करने के लिए अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में 'लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879' की धारा 36 के प्रावधानों को शामिल करना है.