नई दिल्ली : चुनाव आयोग (ईसी) के पास इष्टतम जनशक्ति होने की वकालत करते हुए एक संसदीय समिति (parliamentary committee) ने 2024 के लोकसभा चुनावों में आयोग की मदद के लिए क्षेत्रीय आयुक्तों की नियुक्ति पर सरकार और चुनाव आयोग के विचार मांगे हैं. विभिन्न चुनावों में चुनाव आयोग की सहायता के लिए क्षेत्रीय आयुक्तों को नियुक्त करने का संविधान में प्रावधान है. वर्ष 1951 में पहले लोकसभा चुनाव के दौरान, मुम्बई (तब बम्बई) और पटना में छह महीने के लिए क्षेत्रीय आयुक्त नियुक्त किए गए थे. उसके बाद, ऐसी कोई तैनाती नहीं की गयी.
केंद्रीय कानून मंत्रालय (Union law ministry) में विधायी विभाग के लिए अनुदान मांगों (2022-23) पर अपनी रिपोर्ट में, कानून और कार्मिक मामलों पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि उसने संवैधानिक प्रावधानों और चुनाव आयोग के उस मशविरे का संज्ञान लिया है, जिसमें उसने कहा है कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति द्वारा क्षेत्रीय आयुक्तों को नियुक्त किया जा सकता है. समिति ने कहा कि हालांकि, पहले आम चुनावों के बाद, उनकी (क्षेत्रीय आयुक्तों की) नियुक्ति नहीं की गयी.
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सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, 'समिति का विचार है कि भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के पास अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इष्टतम अधिकारी होने चाहिए और तदनुसार, समिति भारत के विधायी विभाग / चुनाव आयोग को वर्ष 2024 में लोकसभा के लिए होने वाले आम चुनावों के वास्ते क्षेत्रीय आयुक्तों की नियुक्ति पर अपने विचार प्रस्तुत करने की सिफारिश करती है.' चुनाव आयोग से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए विधायी विभाग सरकार की नोडल एजेंसी है. यह रिपोर्ट पिछले सप्ताह बजट सत्र में संसद में पेश की गई थी. संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग से संबंधित है, और इसका एक प्रावधान क्षेत्रीय आयुक्तों को संदर्भित करता है.
(पीटीआई-भाषा)