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संसदीय समिति का सुझाव, महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना हो लागू

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Published : Mar 15, 2021, 9:15 PM IST

महिलाओं से संबंधित कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना शुरू की गई थी. इस योजना को पूरे देश में लागू करने के लिए संसदीय समिति ने सुझाव दिया है.

महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना
महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना

नई दिल्ली : एक संसदीय समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) को पूरे देश में महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना लागू करने का सुझाव दिया है. अब तक हरियाणा सरकार ने महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा पायलट योजना के रूप में शुरू की गई इस योजना को लागू किया है.

इस परियोजना के तहत महिलाओं से संबंधित कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता के लिए जागरूकता पैदा की जा रही है.

कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता में लोक सभा में प्रस्तुत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार और अपराधों पर 230वीं रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए गृह मंत्रालय की पार्लियामेंट्री कमेटी ने बताया कि परियोजना रिपोर्ट के प्रारंभिक विश्लेषण के लिए गृह मंत्रालय को संबंधित मंत्रालय के साथ इस पर अध्ययन करना चाहिए और अगर यह उपयोगी पाया जाता है, तो देशभर में इस योजना को लागू किया जाना चाहिए.

हरियाणा सरकार ने पहले ही महिला और बाल विकास मंत्रालय को योजना की परियोजना रिपोर्ट सौंप दी है. इस योजना के तहत, एक गांव में, एक शिक्षित महिला सशक्तीकरण के लिए महिला पुलिस स्वयंसेवक बनाई जाती है, ताकि महिलाओं को कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सके और उनकी मदद के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों से संपर्क किया जा सके.

योजना के दो साल तक चलाने के बाद, हरियाणा सरकार ने केंद्र को एक परियोजना रिपोर्ट सौंपी है. संसदीय समिति ने आगे सुझाव दिया कि राज्यवार योजनाओं का भी अध्ययन किया जा सकता है और इस योजना के तहत अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथा को महिलाओं के लिए एक प्रभावी कानूनी जागरूकता अभियान के लिए महिला पुलिस स्वयंसेवक योजना के साथ अपनाया और एकीकृत किया जा सकता है.

पढ़ें :- लॉकेट चटर्जी ने वीडियो शेयर कर कहा, ऐसा है टीएमसी का महिला सशक्तिकरण

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मान्यता प्राप्त आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और जिला स्तर के कानूनी स्वयंसेवक भी महिलाओं के बीच कानूनी जागरूकता फैलाने के लिए शामिल हो सकते हैं. साथ ही महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

समिति की सिफारिश है कि पंचायतों को कानून के प्रावधान के अनुसार हिंसा के मामलों को प्राथमिकता और संवेदनशील तरीके से देखाना चाहिए.

समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्तियों को परामर्श देने के लिए स्थानीय ग्राम पंचायत की महिला सदस्यों और बाल देखभाल केंद्रों से जुड़ी महिला कर्मचारियों और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के कार्यकर्ताओं को नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : एक संसदीय समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) को पूरे देश में महिला पुलिस स्वयंसेवी योजना लागू करने का सुझाव दिया है. अब तक हरियाणा सरकार ने महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा पायलट योजना के रूप में शुरू की गई इस योजना को लागू किया है.

इस परियोजना के तहत महिलाओं से संबंधित कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता के लिए जागरूकता पैदा की जा रही है.

कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता में लोक सभा में प्रस्तुत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार और अपराधों पर 230वीं रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए गृह मंत्रालय की पार्लियामेंट्री कमेटी ने बताया कि परियोजना रिपोर्ट के प्रारंभिक विश्लेषण के लिए गृह मंत्रालय को संबंधित मंत्रालय के साथ इस पर अध्ययन करना चाहिए और अगर यह उपयोगी पाया जाता है, तो देशभर में इस योजना को लागू किया जाना चाहिए.

हरियाणा सरकार ने पहले ही महिला और बाल विकास मंत्रालय को योजना की परियोजना रिपोर्ट सौंप दी है. इस योजना के तहत, एक गांव में, एक शिक्षित महिला सशक्तीकरण के लिए महिला पुलिस स्वयंसेवक बनाई जाती है, ताकि महिलाओं को कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सके और उनकी मदद के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों से संपर्क किया जा सके.

योजना के दो साल तक चलाने के बाद, हरियाणा सरकार ने केंद्र को एक परियोजना रिपोर्ट सौंपी है. संसदीय समिति ने आगे सुझाव दिया कि राज्यवार योजनाओं का भी अध्ययन किया जा सकता है और इस योजना के तहत अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथा को महिलाओं के लिए एक प्रभावी कानूनी जागरूकता अभियान के लिए महिला पुलिस स्वयंसेवक योजना के साथ अपनाया और एकीकृत किया जा सकता है.

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समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मान्यता प्राप्त आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और जिला स्तर के कानूनी स्वयंसेवक भी महिलाओं के बीच कानूनी जागरूकता फैलाने के लिए शामिल हो सकते हैं. साथ ही महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

समिति की सिफारिश है कि पंचायतों को कानून के प्रावधान के अनुसार हिंसा के मामलों को प्राथमिकता और संवेदनशील तरीके से देखाना चाहिए.

समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्तियों को परामर्श देने के लिए स्थानीय ग्राम पंचायत की महिला सदस्यों और बाल देखभाल केंद्रों से जुड़ी महिला कर्मचारियों और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के कार्यकर्ताओं को नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.

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