नई दिल्ली : शहरी मामलों के मंत्रालय की संसदीय समिति की कमेटी ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से कहा है कि वह बिहार, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, हरियाणा, त्रिपुरा और मणिपुर जैसे राज्यों को कचरा प्रबंधन योजनाओं में तेजी लाने के लिए कहे.
संसदीय समिति की अगुवाई भाजपा सांसद जगदंबिका पाल कर रहे हैं. जगदंबिका पाल ने नोट किया कि ये राज्य कचरा प्रबंधन मामले में पीछे हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, नगालैंड, राजस्थान, मिजोरम, सिक्किम और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अच्छा प्रदर्शन किया है.
संसदीय समिति द्वारा आंवटित किए गए धन का इस्तेमाल गुजरात, मध्य प्रदेश, मेघालय, झारखंड, तेलंगाना, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने अच्छे तरीके से किया है. समिति ने बताया कि यह एक विशेष अभियान है जो धीमी गति से आगे बढ़ने वाले राज्यों के लिए चलाया गया है, ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो सके.
मंत्रालय ने कहा कि हम उन्हें अपने फंड के उपयोग को बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं. इसके परिणामस्वरूप, कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है, लेकिन कुछ अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों 'ठोस अपशिष्ट प्रबंधन' करने में पिछड़ रहे हैं.
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आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के डेटा के अनुसार, छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य है, जो 90 फीसदी कचरे का प्रबंधन करता है. वहीं गुजरात और मध्य प्रदेश में 87 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना (78 प्रतिशत) कचरे का प्रबंधन करते हैं.
इसके अलावा राजस्थान केरल राजस्थान, केरल और गोवा 70-72 प्रतिशत कचरे को संशाधित करते हैं. वहीं तमिलनाडु में 68 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 63 प्रतिशत और पंजाब में 61 प्रतिशत का प्रंबधन करते हैं.
संसदीय समिति ने यह भी पाया कि इंदौर ने स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन घटक में अच्छा प्रदर्शन किया है. इंदौर स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय संस्थान खोलने के लिए अनुकूल माना जा सकता है. ताकि इंदौर के उदाहरण को देश में कहीं और दोहराया जा सके.