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जांच में सहयोग करने पर परमबीर सिंह को नौ जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा: महाराष्ट्र सरकार - नौ जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा

महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यदि पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अपने खिलाफ एससी/एसटी कानून के तहत दर्ज मामले की जांच में सहयोग करते हैं, तो उन्हें नौ जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

परमबीर सिंह
परमबीर सिंह
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Published : May 24, 2021, 5:17 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को कहा कि यदि पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अपने खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत दर्ज मामले की जांच में सहयोग करते हैं, तो उन्हें नौ जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

राज्य सरकार के वकील वरिष्ठ वकील दारियस खंबाटा ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह बयान दिया. यह पीठ पुलिस निरीक्षक भीमराव घडगे की शिकायत पर सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज करने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई कर रही है.

बहरहाल, खंबाटा ने अदालत से कहा कि सिंह को इस मामले में उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका को लेकर किसी राहत का अनुरोध नहीं करना चाहिए.

सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री और राकांपा के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप लगाए थे. इन आरोपों से उठे विवाद के कुछ दिन बाद देशमुख को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

पढ़ें - सीबीआई प्रमुख नियुक्ति : पीएम मोदी की अध्यक्षता में आज होगी समिति की बैठक

सिंह ने शीर्ष अदालत में पिछले सप्ताह दायर नयी याचिका में आरोप लगाया है कि देशमुख के खिलाफ शिकायत करने के बाद से उन्हें राज्य सरकार और उसके तंत्र की अनेक जांच का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने इन मामलों को महाराष्ट्र से बाहर हस्तांतरित करने तथा सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की.

खंबाटा ने सोमवार को उच्च न्यायालय से कहा कि सिंह एक साथ 'दो घोड़ों पर सवार नहीं हो' सकते और एक ही मामले में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों से राहत नहीं मांग सकते.

पीठ ने राज्य सरकार का यह बयान स्वीकार कर लिया कि वह नौ जून तक सिंह को गिरफ्तार नहीं करेगी और उसने सिंह को न्यायालय के सामने इस मामले में राहत नहीं मांगने का निर्देश दिया. सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने इस पर सहमति जताई.

इसके बाद अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई नौ जून तक के लिए स्थगित कर दी. घडगे के वकील सतीश तालेकर ने सिंह को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिलने का विरोध किया, लेकिन अदालत ने कहा, 'इस मामले में प्राथमिकी घटना के पांच साल बाद दर्ज की गई. आपने (शिकायतकर्ता ने) इतना लंबा इंतजार किया, यदि आप दो और सप्ताह इंतजार कर लेते हैं, तो कुछ फर्क नहीं पड़ेगा. उन्हें (सिंह को) इतने साल गिरफ्तार नहीं किया गया. यदि उन्हें अब गिरफ्तार किया जाता है, तो इससे क्या होगा?'

पढ़ें - नारदा केस: TMC नेताओं को नजरबंद करने के खिलाफ SC पहुंची CBI, सुनवाई टालने की मांग

पीठ ने साथ ही कहा कि सिंह अब भी सेवा में हैं और सरकार के पुलिस बल के अधिकारी हैं. अदालत ने उच्चतम न्यायालय में दायर सिंह की याचिका में इस बयान पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई नहीं कर रही, इसलिए उन्हें शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, 'हमें दु:ख हुआ. आप यह कैसे कह सकते हैं कि मामलों की सुनवाई नहीं हो रही?' जेठमलानी ने माफी मांगी और कहा कि बयान गलत है. उन्होंने कहा, 'हम उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका से यह बयान वापस लेंगे.'

पीटीआई (भाषा)

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को कहा कि यदि पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अपने खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत दर्ज मामले की जांच में सहयोग करते हैं, तो उन्हें नौ जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

राज्य सरकार के वकील वरिष्ठ वकील दारियस खंबाटा ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह बयान दिया. यह पीठ पुलिस निरीक्षक भीमराव घडगे की शिकायत पर सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज करने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई कर रही है.

बहरहाल, खंबाटा ने अदालत से कहा कि सिंह को इस मामले में उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका को लेकर किसी राहत का अनुरोध नहीं करना चाहिए.

सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री और राकांपा के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप लगाए थे. इन आरोपों से उठे विवाद के कुछ दिन बाद देशमुख को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

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सिंह ने शीर्ष अदालत में पिछले सप्ताह दायर नयी याचिका में आरोप लगाया है कि देशमुख के खिलाफ शिकायत करने के बाद से उन्हें राज्य सरकार और उसके तंत्र की अनेक जांच का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने इन मामलों को महाराष्ट्र से बाहर हस्तांतरित करने तथा सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की.

खंबाटा ने सोमवार को उच्च न्यायालय से कहा कि सिंह एक साथ 'दो घोड़ों पर सवार नहीं हो' सकते और एक ही मामले में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों से राहत नहीं मांग सकते.

पीठ ने राज्य सरकार का यह बयान स्वीकार कर लिया कि वह नौ जून तक सिंह को गिरफ्तार नहीं करेगी और उसने सिंह को न्यायालय के सामने इस मामले में राहत नहीं मांगने का निर्देश दिया. सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने इस पर सहमति जताई.

इसके बाद अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई नौ जून तक के लिए स्थगित कर दी. घडगे के वकील सतीश तालेकर ने सिंह को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिलने का विरोध किया, लेकिन अदालत ने कहा, 'इस मामले में प्राथमिकी घटना के पांच साल बाद दर्ज की गई. आपने (शिकायतकर्ता ने) इतना लंबा इंतजार किया, यदि आप दो और सप्ताह इंतजार कर लेते हैं, तो कुछ फर्क नहीं पड़ेगा. उन्हें (सिंह को) इतने साल गिरफ्तार नहीं किया गया. यदि उन्हें अब गिरफ्तार किया जाता है, तो इससे क्या होगा?'

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पीठ ने साथ ही कहा कि सिंह अब भी सेवा में हैं और सरकार के पुलिस बल के अधिकारी हैं. अदालत ने उच्चतम न्यायालय में दायर सिंह की याचिका में इस बयान पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई नहीं कर रही, इसलिए उन्हें शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, 'हमें दु:ख हुआ. आप यह कैसे कह सकते हैं कि मामलों की सुनवाई नहीं हो रही?' जेठमलानी ने माफी मांगी और कहा कि बयान गलत है. उन्होंने कहा, 'हम उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका से यह बयान वापस लेंगे.'

पीटीआई (भाषा)

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