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अत्याचार मामले में परमबीर सिंह को राहत, सोमवार तक गिरफ्तारी पर रोक - मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अत्याचार मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की गिरफ्तारी पर सोमवार तक रोक लगा दी है. सिंह ने अदालत में याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और मामले की सीबीआई जांच कराए जाने का अनुरोध किया था.

परमबीर सिंह
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Published : May 22, 2021, 2:51 AM IST

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत दर्ज मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को राहत दी है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पुलिस को निर्देश दिया कि परमबीर सिंह को सोमवार तक गिरफ्तार न किया जाए.

सिंह ने अदालत में याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और मामले की सीबीआई जांच कराए जाने का अनुरोध किया था. न्यायूमर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति एसपी तावडे की खंडपीठ ने शुक्रवार देर रात इस याचिका पर सुनवाई की.

सिंह के अधिवक्ता ने दलील दी कि पूर्व पुलिस आयुक्त ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके कारण उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई, लेकिन सरकार ने कहा कि शिकायत में अपराध का खुलासा हुआ था, जिसके कारण प्राथमिकी दर्ज की गई. बहरहाल, पीठ ने प्राथमिकी दर्ज किए जाने के समय पर सवाल उठाया.

पीठ ने मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी और तब तक परमबीर सिंह को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किए जाने का पुलिस को निर्देश दिया.

एसीबी में परमबीर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज
वहीं, परमबीर सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा और इंस्पेक्टर राजकुमार कोठमायर के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में उगाही और भ्रष्टाचार के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई है.

एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि विरार के बिल्डर मयूरेश राउत ने बुधवार को एसीबी के महानिदेशक के पास शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता ने सिंह के ठाणे के पुलिस आयुक्त रहने के दौरान इन अधिकारियों पर उनसे पैसे, कार, संपत्ति और दस्तावेजों की उगाही करने का आरोप लगाया है.

सूत्रों ने बताया कि एसीबी ने राउत को सोमवार को अपने ठाणे कार्यालय में बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया है.

यह भी पढ़ें- मुंबई के पुलिस अधिकारी ने पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह पर लगाए 'गंभीर' आराेप

गौरतलब है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी आवास के बाहर से एक गाड़ी में विस्फोट मिलने के बाद परमबीर सिंह को मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था और होमगार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया. इसके बाद सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, जिस वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत दर्ज मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को राहत दी है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पुलिस को निर्देश दिया कि परमबीर सिंह को सोमवार तक गिरफ्तार न किया जाए.

सिंह ने अदालत में याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और मामले की सीबीआई जांच कराए जाने का अनुरोध किया था. न्यायूमर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति एसपी तावडे की खंडपीठ ने शुक्रवार देर रात इस याचिका पर सुनवाई की.

सिंह के अधिवक्ता ने दलील दी कि पूर्व पुलिस आयुक्त ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके कारण उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई, लेकिन सरकार ने कहा कि शिकायत में अपराध का खुलासा हुआ था, जिसके कारण प्राथमिकी दर्ज की गई. बहरहाल, पीठ ने प्राथमिकी दर्ज किए जाने के समय पर सवाल उठाया.

पीठ ने मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी और तब तक परमबीर सिंह को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किए जाने का पुलिस को निर्देश दिया.

एसीबी में परमबीर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज
वहीं, परमबीर सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा और इंस्पेक्टर राजकुमार कोठमायर के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में उगाही और भ्रष्टाचार के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई है.

एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि विरार के बिल्डर मयूरेश राउत ने बुधवार को एसीबी के महानिदेशक के पास शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता ने सिंह के ठाणे के पुलिस आयुक्त रहने के दौरान इन अधिकारियों पर उनसे पैसे, कार, संपत्ति और दस्तावेजों की उगाही करने का आरोप लगाया है.

सूत्रों ने बताया कि एसीबी ने राउत को सोमवार को अपने ठाणे कार्यालय में बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया है.

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गौरतलब है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी आवास के बाहर से एक गाड़ी में विस्फोट मिलने के बाद परमबीर सिंह को मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था और होमगार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया. इसके बाद सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, जिस वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

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