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समलैंगिक विवाह सनातन धर्म पर चोट पहुंचाने वाला: कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा - सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा

इस्पात नगरी भिलाई में शिव महापुराण कथा के लिए पहुंचे सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वे भाजपा या कांग्रेस के नहीं बल्कि भगवान महादेव के स्टार प्रचारक हैं. प्रदीप मिश्रा ने समलैंगिक विवाह को सनातन धर्म के खिलाफ बताया.Pandit Pradeep Mishra

gay marriage is harmful to Sanatan Dharma
समलैंगिक विवाह सनातन धर्म पर चोट
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Published : Apr 29, 2023, 5:09 PM IST

समलैंगिक विवाह सनातन धर्म पर चोट

भिलाई: सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा इन दिनों इस्पात नगरी भिलाई में हैं. शिव महापुराण कथा के लिए पहुंचे पंडित प्रदीप मिश्रा ने शनिवार को सनातन धर्म के साथ ही सम सामायिक स्थितियों पर मीडिया से खुलकर बात की. पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि वे, भाजपा या कांग्रेस जैसी किसी भी राजनीतिक पार्टी के नहीं बल्कि भगवान महादेव के स्टार प्रचारक हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा लागू गोठान योजना का उदाहरण देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सराहना की. वहीं समलैंगिक विवाह को लेकर भी अपनी बात रखी.

इस तरह का विवाह कतई श्रेष्ठ नहीं: प्रदीप मिश्रा ने समलैंगिक विवाह को सर्वोच्च न्यायालय की ओर से स्वीकृति प्रदान करने पर कहा कि "इस तरह का विवाह कतई श्रेष्ठ नहीं है, यह सनातन धर्म पर चोट पहुंचाने वाला है." पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि "राजनेता और धर्म के बीच सब्जी में नमक की तरह का संबंध है. यह संबध पुरातन काल से देखने को मिल रहा है. महाराज दशरथ के राज में भी राजनेता थे और गुरु परंपरा का सम्मान किया जाता था. वर्तमान समय में भी राजनेता गुरु परम्परा का सम्मान करते हैं. लेकिन इसे दलीय राजनीति से जोड़कर देखा जाना उचित नहीं होगा."

जन कल्याण में किया जाता है दान दक्षिणा का उपयोग: पंडित प्रदीप मिश्रा के मिश्रा के मुताबिक शिव महापुराण कथा के बदले उन्हें जो भी दान दक्षिणा मिलती है, उसका उपयोग जन कल्याण में किया जाता है. सिहोर के कुबेरेश्वर धाम में हजारों शिव भक्त रोजाना भोजन करते हैं. छोटा सा चिकित्सालय बनाया गया है, जिसमें आसपास के 48 से 50 गांव के ग्रामीण मुफ्त में उपचार कराने आते हैं. किसी को गंभीर बीमारी के चलते दूसरे बड़े अस्पताल तक भिजवाने के लिए दो एंबुलेंस की व्यवस्था है. इसके लिए जरूरतमंदों से किसी भी तरह की राशि नहीं ली जाती है.

गाय के साथ नंदी महाराज का भी हो रहा पालन: पंडित प्रदीप मिश्रा से रायपुर में शिव महापुराण कथा स्थल पर पिछली बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुलाकात की थी. सीएम ने बताया था कि "छत्तीसगढ़ के गोठानों में गाय के साथ साथ नंदी महाराज का भी पालन हो रहा है". गोठान योजना के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सराहना करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि "सनातन धर्म में जन्म लेने वाले सभी लोगों को सनातन धर्म श्रेष्ठ लगना चाहिए. कहीं न कहीं हर मनुष्य में शिव तत्व रहता है. भगवान कृष्ण और श्रीराम में भी शिव तत्व था और उन्होंने शिव भक्ति की."

यह भी पढ़ें- रायपुर में शिव महापुराण का आयोजन, राज्यपाल सहित राजनीतिक दल के लोग पहुंचे

सनातन धर्म राज सिंहासन पर बैठने की देते थे शिक्षा: शिव महापुराण कथा का क्रम पहले यजमान चांडक परिवार से शुरू हुआ है. जो आज तक चल रहा है. कोरोना काल के दौरान लोगों को यह अहसास हुआ कि धन दौलत एक तरफ रह जाती है. इस दौरान लोगों में जरूरतमंदों की सेवा का भाव जागृत हुआ. इसके चलते भक्ति की ओर लोग प्रभावित हुए हैं. भक्ति में वीआईपी कल्चर के लिए कोई जगह नहीं है.. पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि "अंग्रेजी माध्यम के बनाए गए कान्वेंट स्कूलों में नौकर बनने की शिक्षा मिलती है. जबकि सनातन धर्म के गुरुकुल राज सिंहासन में बैठने की शिक्षा देते थे."

पंडित प्रदीप मिश्रा देश के बड़े कथावाचकों में गिने जाते हैं. ये शिव महापुराण कथा का वाचन करते हैं. इसके अलावा समाज सेवा के काम में भी अपना योगदान देते हैं.

समलैंगिक विवाह सनातन धर्म पर चोट

भिलाई: सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा इन दिनों इस्पात नगरी भिलाई में हैं. शिव महापुराण कथा के लिए पहुंचे पंडित प्रदीप मिश्रा ने शनिवार को सनातन धर्म के साथ ही सम सामायिक स्थितियों पर मीडिया से खुलकर बात की. पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि वे, भाजपा या कांग्रेस जैसी किसी भी राजनीतिक पार्टी के नहीं बल्कि भगवान महादेव के स्टार प्रचारक हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा लागू गोठान योजना का उदाहरण देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सराहना की. वहीं समलैंगिक विवाह को लेकर भी अपनी बात रखी.

इस तरह का विवाह कतई श्रेष्ठ नहीं: प्रदीप मिश्रा ने समलैंगिक विवाह को सर्वोच्च न्यायालय की ओर से स्वीकृति प्रदान करने पर कहा कि "इस तरह का विवाह कतई श्रेष्ठ नहीं है, यह सनातन धर्म पर चोट पहुंचाने वाला है." पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि "राजनेता और धर्म के बीच सब्जी में नमक की तरह का संबंध है. यह संबध पुरातन काल से देखने को मिल रहा है. महाराज दशरथ के राज में भी राजनेता थे और गुरु परंपरा का सम्मान किया जाता था. वर्तमान समय में भी राजनेता गुरु परम्परा का सम्मान करते हैं. लेकिन इसे दलीय राजनीति से जोड़कर देखा जाना उचित नहीं होगा."

जन कल्याण में किया जाता है दान दक्षिणा का उपयोग: पंडित प्रदीप मिश्रा के मिश्रा के मुताबिक शिव महापुराण कथा के बदले उन्हें जो भी दान दक्षिणा मिलती है, उसका उपयोग जन कल्याण में किया जाता है. सिहोर के कुबेरेश्वर धाम में हजारों शिव भक्त रोजाना भोजन करते हैं. छोटा सा चिकित्सालय बनाया गया है, जिसमें आसपास के 48 से 50 गांव के ग्रामीण मुफ्त में उपचार कराने आते हैं. किसी को गंभीर बीमारी के चलते दूसरे बड़े अस्पताल तक भिजवाने के लिए दो एंबुलेंस की व्यवस्था है. इसके लिए जरूरतमंदों से किसी भी तरह की राशि नहीं ली जाती है.

गाय के साथ नंदी महाराज का भी हो रहा पालन: पंडित प्रदीप मिश्रा से रायपुर में शिव महापुराण कथा स्थल पर पिछली बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुलाकात की थी. सीएम ने बताया था कि "छत्तीसगढ़ के गोठानों में गाय के साथ साथ नंदी महाराज का भी पालन हो रहा है". गोठान योजना के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सराहना करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि "सनातन धर्म में जन्म लेने वाले सभी लोगों को सनातन धर्म श्रेष्ठ लगना चाहिए. कहीं न कहीं हर मनुष्य में शिव तत्व रहता है. भगवान कृष्ण और श्रीराम में भी शिव तत्व था और उन्होंने शिव भक्ति की."

यह भी पढ़ें- रायपुर में शिव महापुराण का आयोजन, राज्यपाल सहित राजनीतिक दल के लोग पहुंचे

सनातन धर्म राज सिंहासन पर बैठने की देते थे शिक्षा: शिव महापुराण कथा का क्रम पहले यजमान चांडक परिवार से शुरू हुआ है. जो आज तक चल रहा है. कोरोना काल के दौरान लोगों को यह अहसास हुआ कि धन दौलत एक तरफ रह जाती है. इस दौरान लोगों में जरूरतमंदों की सेवा का भाव जागृत हुआ. इसके चलते भक्ति की ओर लोग प्रभावित हुए हैं. भक्ति में वीआईपी कल्चर के लिए कोई जगह नहीं है.. पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि "अंग्रेजी माध्यम के बनाए गए कान्वेंट स्कूलों में नौकर बनने की शिक्षा मिलती है. जबकि सनातन धर्म के गुरुकुल राज सिंहासन में बैठने की शिक्षा देते थे."

पंडित प्रदीप मिश्रा देश के बड़े कथावाचकों में गिने जाते हैं. ये शिव महापुराण कथा का वाचन करते हैं. इसके अलावा समाज सेवा के काम में भी अपना योगदान देते हैं.

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