जोधपुर. कोरोना के दो साल बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी हिंदुओं को तीर्थ यात्रा के लिए वीजा देना शुरू कर दिया (Pakistanis Hindu pilgrimage in Jodhpur) है. जिसके तहत अटारी बार्डर के रास्ते जत्थे आना शुरू हो गए हैं. कुछ जत्थे जोधपुर भी पहुंचे हैं, जबकि उनकी यात्रा वीजा में जोधपुर का उल्लेख नहीं था. कुछ तीर्थ यात्री अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंच गए और अब वापस भी नहीं जाना (Pakistani Hindus in India not want to go back) चाहते हैं. हाल ही में तीन जत्थों में सौ से ज्यादा लोग पहुंचे हैं. इनमें कुछ लोग जैसलमेर भी गए. पूर्व में जो जत्थे आते थे वो धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर आते थे, लेकिन इस बार जो लोग आए हैं, उनकी परेशानी हाल ही में सिंध प्रांत में आई भयानक बाढ़ है. इन लोगों का कहना है कि बाढ़ में हमारा सबकुछ तबाह हो गया. मजदूरी खत्म हो गई, भूखमरी की नौबत आ गई. इसके बाद वीजा मिला तो हम भारत आ गए. उनका कहना है कि भारत में बॉर्डर पर रिश्तेदार लेने गए, जो उन्हें जोधपुर लेकर आए हैं, क्योंकि उनके पास हरिद्वार जाने का किराया तक नहीं था.
करना पड़ेगा एलटीवी अप्लाई: पाकिस्तानी हिंदू तीर्थ यात्रियों के वीजा में जोधपुर यात्रा का उल्लेख नहीं है, उसके बावजूद वह जोधपुर आए हैं. खुफिया एजेंसी सक्रिय हो गई, क्योंकि ऐसी यात्रा उल्लंघन की श्रेणी में आती हैं. पाकिस्तानी हिंदुओं को 25 दिन का वीजा मिला है, जो चार नवंबर तक मान्य है. वापस नहीं जाने की स्थिति में एलटीवी (लॉन्ग टर्म वीजा) अप्लाई करना होगा. जिला प्रशासन का कहना है की एलटीवी अप्लाई करने के बाद ही यहां रुक सकते हैं. फिलहाल चोखा के पास बस्ती में कई परिवार ठहरे हैं.
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वीजा मिला लेकिन पैसा नहीं था हरिद्वार का: सिंध के जिला सांगड के दारो, कंडियारी और कुछ लोग जिला मीरपुर खास के हिंगोरोना से आए हैं. यहां से आए किशन दास (Pakistani Hindus in India) बताते हैं कि बाढ़ से उनका सब कुछ तबाह हो गया. उनके मकान खेत सब खत्म हो गए, भुखमरी की नौबत आ गई. मजदूरी बंद हो गई वीजा बहुत पहले अप्लाई किया हुआ था, जो अभी मिल गया. बड़ी मुश्किल से बॉर्डर तक पहुंचे हैं. बार्डर से किशन दास का भारत में रहने वाला भाई नखतराम उसे लेककर जोधपुर आ गया. किशन दास ने बताया कि हमारे पास पैसा नहीं था, जो हरिद्वार जाते इसलिए जोधपुर आ गए. अब वापस पाकिस्तान नहीं जाएंगे. किशन दास अपने चार भाइयों के परिवार के 28 सदस्यों के साथ आया है. जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी हैं.
इनके लिए कुछ करने की जरूरत: पाक विस्थापितों के लिए काम करने वाले भागचंद भील का कहना है कि जो लोग भारत आए हैं, वह वापस नहीं जाना चाहते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि इनके लिए कुछ करे, क्योंकि उनके पास अभी सिवाय खुद के पहने हुए कपड़ों के कुछ नहीं है. सर्दी का मौसम शुरू हो गया है, ऐसे में इनको कई चीजों की आवश्यकता है. इनको जल्द सहायता की आवश्यकता है. भील ने बताया कि अब सरकार ने वीजा देना शुरू किया है तो दो साल से इंतजार कर रहे लोगों के आने का सिलसिला बढ़ेगा.