बाड़मेर/वाघा बॉर्डर. जैसलमेर और बाड़मेर के दो दूल्हे ऐसे भी हैं जिन्होंने जनवरी 2019 में पाकिस्तान के सिंध में शादी रचाई थी, लेकिन एक माह बाद ही पुलवामा हमले से तनाव बढ़ गया. ऐसे में उनकी दुल्हनों को वीजा नहीं मिल पाने के कारण पाकिस्तान में ही रहना पड़ा था और राजस्थान के दूल्हों को बिना दुल्हनों के ही बारात लेकर वापस लौटना पड़ा. लेकिन दोनों दूल्हों का इंतजार करीब 2 साल बाद तब खत्म हुआ जब महिला दिवस पर वाघा-अटारी बॉर्डर के जरिए उनकी दुल्हनें भारत पहुंचीं.
दरअसल, जैसलमेर जिले के बइया गांव के नेपाल सिंह का रिश्ता पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ. थार एक्सप्रेस से बारात लेकर पाकिस्तान गए, नेपाल सिंह की शादी 26 जनवरी 2019 को हुई. इसी तरह बाड़मेर जिले के गिराब क्षेत्र के महेन्द्र सिंह अप्रैल 2019 शादी के लिए बारात लेकर पाकिस्तान गए. 16 अप्रैल को उनकी भी शादी हुई. दोनों दूल्हे अपनी दुल्हनों के साथ आना चाहते थे, लेकिन 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमला हो गया. इसके कुछ दिन बाद भारत ने बदला लेते हुए पाक पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया.
इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में दरार आ गई. जिस वजह से दो देशों के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस ट्रेन के पहिए थम गए. वहीं, दूल्हे हालात सामान्य होने के इंतजार में 3-4 माह तक पाक में रुके, ताकि दुल्हनों के साथ विदा हों, लेकिन उन्हें वीजा नहीं मिला. आखिरकार दूल्हों को बिना दुल्हनों के ही भारत लौटना पड़ा. वहीं, पिछले दो साल से वीजा के इंतजार में पाकिस्तान में फंसी दुल्हनें 8 मार्च यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपने ससुराल भारत लौटीं.
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बाड़मेर के रहने वाले महेन्द्र सिंह अपनी पत्नी को लेने परिवार सहित पहुंचे. वहीं, जैसलमेर से नेपाल सिंह की पत्नी को लेने उनके परिवार के लोग वहां पहुंचे. इस दौरान ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए महेन्द्र सिंह ने कहा कि उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा, लेकिन वे आज बहुत खुश हैं. महेन्द्र सिंह ने सरकार को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद भी दिया साथ ही यह भी कहा कि उनके जैसे कई लोग हैं जो अभी भी पाकिस्तान में फंसे हैं. उन लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार को उनके लिए भी प्रयास कर ने चाहिए. वहीं, जैसलमेर के दूल्हे नेपाल सिंह के भाई गोपाल सिंह ने कहा कि वे काफी खुश हैं कि स्थानीय नेताओं से लेकर भारत सरकार ने काफी प्रयास किए.