ETV Bharat / bharat

Pakistan on verge of collapse: आर्थिक हालत खस्ता, पैसे-पैसे को मोहताज पाकिस्तान

1991 में भारत दिवालिया के कगार पर था. हमने अपनी नीतियों और मेहनत के दम पर उस संकट को टाल दिया और आज हम दुनिया की सबसे मजबूत पांच अर्थव्यवस्थाओं में एक हैं. तब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी हमारी मदद की थी. जो कि हर संकटग्रस्त देश को करता है. लेकिन क्या इस बार आईएमएफ भी पाकिस्तान को मदद नहीं करेगा. क्या पाकिस्तान का चरमराता आर्थिक संकट देश को श्रीलंका की राह पर ले जा रहा है? पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Pakistan on verge of collapse
प्रतिकात्मक तस्वीर.
author img

By

Published : Jan 22, 2023, 8:17 AM IST

नई दिल्ली: पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति हर बीतते दिन के साथ बद से बदतर होती जा रही है. जैसे-जैसे पाकिस्तान आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, देश में आम लोग भोजन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं. अल अरबिया पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर अगले कुछ हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम को फिर से शुरू नहीं किया गया तो पाकिस्तान की हालत और खराब हो सकती है. इससे पहले आईएमएफ ने पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था करार दिया था.

वर्ल्ड बैंक की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट के मुताबिक इस साल पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर सिर्फ 1.7% रहेगी. आवश्यक शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जाने के कारण, अब IMF भी अपने 24वें ऋण की स्वीकृति में देरी कर रहा है. दूसरी ओर, सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भी पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अतीत के विपरीत उसे सब कुछ मुफ्त में नहीं मिलेगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने IMF से मदद मांगी थी, लेकिन IMF ने शर्त रखी थी कि पेट्रोल और डीजल के दाम और बढ़ाए जाएं.

कई अरब देशों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और नए पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को संदेश भेजा है कि अगर पाकिस्तान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करना चाहता है, तो उसे सुधारों को लागू करना होगा. पाकिस्तान को यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान इस समय चिकन-एंड-एग सिंड्रोम की चपेट में है. पाकिस्तान अत्यधिक निष्क्रिय राजनीति और अर्थव्यवस्था के बहुआयामी अस्तित्वगत संकट का सामना कर रहा है. यह लोकतंत्र की बहाली और कर्ज से कहीं बढ़कर है.

पढ़ें: Pakistan Crisis : पाकिस्तान में जल्द थम सकते हैं गाड़ियों के पहिए, जानें क्यों

प्रधान मंत्री शाहबाज शरीफ और उनके पूर्ववर्ती इमरान खान के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रही है. इस बीच अमेरिका ने पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता को लेकर अपनी 'चिंता' जताई है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने 19 जनवरी को मीडिया को बताया कि यह एक ऐसी चुनौती है जिसके हम आदी हैं. पाकिस्तान को आईएमएफ ऋण की सख्त जरूरत है. ऋण में अब कई महीनों की देरी हो गई है और संकटग्रस्त पाकिस्तान सरकार जल्द से जल्द ऋण राशि जारी होने की उम्मीद कर रही है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के पास कुछ और हफ्तों से ज्यादा अपने लोगों का पेट भरने के लिए कोई साधन नहीं बचा है. पाकिस्तान गंभीर आर्थिक तंगी में है और कुछ संस्थाओं का अनुमान है कि देश दिवालिएपन के कगार पर है. एक ओर जहां पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले साल की विनाशकारी बाढ़ से उबरने के लिए संघर्ष कर रही हैं वहीं बढ़ती महंगाई के कारण हालत और भी बदतर हो गये हैं. पिछले सप्ताह पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 4.3 बिलियन डॉलर रह जाने की रिपोर्ट है. इस विदेशी मुद्रा भंडार के साथ पाकिस्तान सिर्फ तीन सप्ताह तक ही आयात कर सकता है. यह कितनी चिंताजनक स्थिति है? क्या पाकिस्तान श्रीलंका की राह पर चल रहा है?

पढ़ें: Pakistan crisis : हर दिन पाक को लग रहा झटका...क्या Failed State की श्रेणी में गिना जाएगा!

विदेशी मुद्रा भंडार अपने रिकॉर्ड निम्न स्तर पर : QZ की रिपोर्ट के अनुसार 6 जनवरी को विदेशी मुद्रा भंडार लगभग एक दशक में अपने सबसे निचले स्तर पर था. इस बीच, पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले साल-दर-साल 20 फीसदी नीचे है. अप्रैल में इमरान खान के प्रधान मंत्री के पद से हटने के बाद से यह कमजोरी और बढ़ गई है. यह खबर उसी दिन की है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के साथ नकदी-संकटग्रस्त देश के लिए सहायता की अगली किश्त जारी करने के बारे में बात कर रहे थे.

वैश्विक ऋणदाता ने पहले से सहमत ऋण की नई किस्त जारी करने से इनकार कर दिया है क्योंकि पाकिस्तान पिछले साल 6 अरब डॉलर के रुके हुए ऋण को चुकाने में नाकाम रहा है. प्रधान मंत्री शरीफ ने 500 अरब रुपये की भरपाई के लिए बिजली की कीमतों में वृद्धि करने की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सलाह को मानने में असर्मथता जताई है. हालांकि, वित्त मंत्री इशाक डार ने सऊदी अरब से 3 अरब डॉलर का दूसरा बेलआउट मिलने की उम्मीद जताई है. अमेरिका ने भी कहा है कि वह पाकिस्तान को आर्थिक रूप से स्थायी स्थिति में देखना चाहता है. लेकिन इसके लिए अमेरिका क्या करेगा इस बारे में तस्वीर अभी साफ होनी है.

अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि यह (पाकिस्तान का वित्तीय संकट) एक चुनौती है जिससे हम परिचित हैं. मैं जानता हूं कि पाकिस्तान आईएमएफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ काम कर रहा है. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम पाकिस्तान को आर्थिक रूप से स्थायी स्थिति में देखना चाहते हैं. हम इसमें मदद कर सकते हैं लेकिन आखिरकार ये पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के बीच की बातचीत है. पाकिस्तान खाद्य, मुद्रास्फीति और ऊर्जा संकट की चपेट में : खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं के लिए मुद्रास्फीति वर्तमान में 28.7 प्रतिशत पर है.

पढ़ें: Protest in PoK : पीओके में प्रदर्शन, गिलगित बाल्टिस्तान को भारत में मिलाने की मांग

माडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह दिसंबर 2022 में 24.5 प्रतिशत और दिसंबर 2021 से 12.3 प्रतिशत अधिक है. प्याज की कीमतें पिछले साल की तुलना में अविश्वसनीय रूप से 501 प्रतिशत बढ़ी हैं. इसी अवधि में चावल, गेहूं, दालें और नमक 50 प्रतिशत अधिक महंगे हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में अनाज और आटे के लिए भगदड़ देखी गई. इस बीच, बलूचिस्तान के खाद्य मंत्री जमारक अचकजई ने चेतावनी दी कि सब्सिडी वाले आटे का स्टॉक खत्म हो गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर में आटे की कमी का सामना करना पड़ रहा है, 15 किलोग्राम का बैग 2050 रुपये में बेचा गया. समाचार पत्र डॉन के अनुसार, यूटिलिटी स्टोर्स कॉरपोरेशन के माध्यम से बेची जाने वाली चीनी और घी की कीमत 25 से 62 प्रतिशत तक बढ़ गई है.

बिजली के इस्तेमाल में कटौती के आदेश : इससे पहले जनवरी में, पाकिस्तान की सरकार ने ऊर्जा संरक्षण के अन्य उपायों के बीच सभी मॉल और बाजारों को रात 8:30 बजे तक बंद करने का आदेश दिया था. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पत्रकारों से कहा कि कैबिनेट द्वारा रेस्तरां सहित बाजारों को बंद करने के उपायों को मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य नकदी संकट से जूझ रहे देश में लगभग 62 अरब रुपये बचाना है. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त तत्काल उपायों में शादी के हॉल को रोजाना रात 10 बजे तक बंद करना शामिल है.

आसिफ ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी सरकारी विभागों को बिजली की खपत 30 फीसदी तक कम करने का आदेश दिया है. आसिफ ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण योजना में क्रमशः फरवरी और जुलाई से ऊर्जा अक्षम बल्बों और पंखों के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल है. मंत्री ने कहा कि देश भर में आधी स्ट्रीट लाइटें 'प्रतीकात्मक' रूप में बंद रहेंगी. पाकिस्तान की अधिकांश बिजली तरलीकृत प्राकृतिक गैस सहित आयातित जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके उत्पादित की जाती है, जिसकी कीमतें हाल के महीनों में आसमान छू गई हैं.

बढ़ता कर्ज : रॉयटर्स के अनुसार, जून 2023 तक 30 अरब डॉलर से अधिक की बाहरी वित्तपोषण की जरूरत होगी. जिसके लिए पाकिस्तान को कड़ी मेहनत करने होगी. जिसमें बकाया ऋण भुगतान और ऊर्जा आयात शामिल हैं. 'निक्केई एशिया' में प्रकाशित लेख में यह दावा किया गया है कि बढ़ती चिंताओं के बीच पाकिस्तान श्रीलंका के नक्शेकदम पर चल रहा है. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जबकि देश अब सरकार के समर्थकों और इमरान खान के समर्थकों के बीच राजनीतिक रूप से ध्रुवीकृत है.

प्रमुख दलों को यह स्वीकार करना चाहिए कि पाकिस्तान एक आपात स्थिति में है. जिसके लिए उन्हें अपने व्यक्तिगत झगड़ों या जोखिम को अलग करने की आवश्यकता है. देश उस तरह के वित्तीय पतन में फिसल रहा है, जिसने पिछले साल श्रीलंकाई लोगों को गुजरना पड़ा था. एक मीडिया रिपोर्ट में विश्व बैंक के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि केवल 2 प्रतिशत होगी, जबकि 2021 में इसका बाहरी ऋण 130.433 बिलियन डॉलर था. रिपोर्ट में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद के हवाले से कहा कि पाकिस्तान को शेष वित्तीय वर्ष के लिए 13 अरब डॉलर कवर करने की जरूरत है.

पढ़ें: Pak denies uranium-tainted cargo : हीथ्रो हवाईअड्डे पर पाया गया यूरेनियम युक्त कार्गो कराची से नहीं आया था : पाकिस्तान

आईएमएफ की दर पर बार-बार दस्तक देता पाकिस्तान : पाकिस्तान ने 1958 के बाद से लगभग दो दर्जन से अधिक बार आईएमएफ की मदद ली है. लेख के अंत में कहा गया है कि यह समय फंड और अन्य ऋणदाताओं का है, जो नकदी डालने के अपने नियमित फॉर्मूले को दोहराने के बजाय, पाकिस्तान को नये नजरिये से देख रहे हैं, जो बहुत सहानुभुति भरा नहीं है. इस बीच, एक अन्य अखबार एशियन लाइट ने भविष्यवाणी की कि पाकिस्तान 'दिवालिया' होने के रास्ते पर है और दूसरे देशों से धन की गुहार लगाने और दुनिया की दया दिखाने की पांच दशक पुरानी प्रथा को फिर से शुरू कर दिया है. प्रकाशन के अनुसार, 1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, पाकिस्तान अमेरिका, रूस, मुस्लिम देशों और अब चीन को यह विश्वास दिलाकर बेवकूफ बना रहा है कि इस्लामाबाद के अस्तित्व को वित्तपोषित करने से उनके सर्वोत्तम हितों की रक्षा होगी.

गन्स बनाम बटर या गन्स बनाम आतंकवाद : मीडिया रिपोर्ट में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के उद्धरण को याद किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि हम (पाकिस्तान) घास खाएंगे, भूखे भी रहेंगे, लेकिन हमें अपना एक एटम बम मिलेगा ... हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है! अखबार ने आगे लिखा है कि लगा रहा है उनके शब्द सच हो रहे हैं क्योंकि देश की परमाणु संख्या 165 तक पहुंच गई है, लेकिन देश भोजन और बिजली के लिए तरस रहा है.

पढ़ें: Pakistan Economic Crisis : पाकिस्तान पर मंडरा रहा भुखमरी का खतरा!

जुल्फिकार अली भुट्टो का रुख भी एक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान की प्राथमिकताओं का प्रतीक है. देश स्वाभाविक रूप से गन्स बनाम बटर दुविधा से जूझते हैं, जब वे अपनी मेहनत से अर्जित संसाधनों को अपने बजट में आवंटित करते हैं. हालांकि, ऐसा लगता है कि पाकिस्तान बंदूक बनाम आतंकवाद की पहेली का सामना कर रहा है, जबकि वह कर्ज में डूबा हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के वित्तीय कुप्रबंधन और शासन की कमी के परिणामस्वरूप एक यह स्थिति पैदा हुई है. जिसमें सरकार अर्थव्यवस्था और शासन के सभी तत्वों को दिन में जल्दी बंद करने या पैसे बचाने के लिए घर से काम करने के लिए कह रही है. साथ ही 257 मिलियन डॉलर मूल्य की टेंडर सेना को दे रही है.

पढ़ें: आतंकवाद और आर्थिक संकट से जूझ रही पाकिस्तानी सरकार, राजनीतिक अराजकता से बढ़ती जा रही हैं मुश्किलें

नई दिल्ली: पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति हर बीतते दिन के साथ बद से बदतर होती जा रही है. जैसे-जैसे पाकिस्तान आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, देश में आम लोग भोजन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं. अल अरबिया पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर अगले कुछ हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम को फिर से शुरू नहीं किया गया तो पाकिस्तान की हालत और खराब हो सकती है. इससे पहले आईएमएफ ने पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था करार दिया था.

वर्ल्ड बैंक की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट के मुताबिक इस साल पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर सिर्फ 1.7% रहेगी. आवश्यक शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जाने के कारण, अब IMF भी अपने 24वें ऋण की स्वीकृति में देरी कर रहा है. दूसरी ओर, सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भी पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अतीत के विपरीत उसे सब कुछ मुफ्त में नहीं मिलेगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने IMF से मदद मांगी थी, लेकिन IMF ने शर्त रखी थी कि पेट्रोल और डीजल के दाम और बढ़ाए जाएं.

कई अरब देशों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और नए पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को संदेश भेजा है कि अगर पाकिस्तान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करना चाहता है, तो उसे सुधारों को लागू करना होगा. पाकिस्तान को यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान इस समय चिकन-एंड-एग सिंड्रोम की चपेट में है. पाकिस्तान अत्यधिक निष्क्रिय राजनीति और अर्थव्यवस्था के बहुआयामी अस्तित्वगत संकट का सामना कर रहा है. यह लोकतंत्र की बहाली और कर्ज से कहीं बढ़कर है.

पढ़ें: Pakistan Crisis : पाकिस्तान में जल्द थम सकते हैं गाड़ियों के पहिए, जानें क्यों

प्रधान मंत्री शाहबाज शरीफ और उनके पूर्ववर्ती इमरान खान के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रही है. इस बीच अमेरिका ने पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता को लेकर अपनी 'चिंता' जताई है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने 19 जनवरी को मीडिया को बताया कि यह एक ऐसी चुनौती है जिसके हम आदी हैं. पाकिस्तान को आईएमएफ ऋण की सख्त जरूरत है. ऋण में अब कई महीनों की देरी हो गई है और संकटग्रस्त पाकिस्तान सरकार जल्द से जल्द ऋण राशि जारी होने की उम्मीद कर रही है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के पास कुछ और हफ्तों से ज्यादा अपने लोगों का पेट भरने के लिए कोई साधन नहीं बचा है. पाकिस्तान गंभीर आर्थिक तंगी में है और कुछ संस्थाओं का अनुमान है कि देश दिवालिएपन के कगार पर है. एक ओर जहां पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले साल की विनाशकारी बाढ़ से उबरने के लिए संघर्ष कर रही हैं वहीं बढ़ती महंगाई के कारण हालत और भी बदतर हो गये हैं. पिछले सप्ताह पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 4.3 बिलियन डॉलर रह जाने की रिपोर्ट है. इस विदेशी मुद्रा भंडार के साथ पाकिस्तान सिर्फ तीन सप्ताह तक ही आयात कर सकता है. यह कितनी चिंताजनक स्थिति है? क्या पाकिस्तान श्रीलंका की राह पर चल रहा है?

पढ़ें: Pakistan crisis : हर दिन पाक को लग रहा झटका...क्या Failed State की श्रेणी में गिना जाएगा!

विदेशी मुद्रा भंडार अपने रिकॉर्ड निम्न स्तर पर : QZ की रिपोर्ट के अनुसार 6 जनवरी को विदेशी मुद्रा भंडार लगभग एक दशक में अपने सबसे निचले स्तर पर था. इस बीच, पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले साल-दर-साल 20 फीसदी नीचे है. अप्रैल में इमरान खान के प्रधान मंत्री के पद से हटने के बाद से यह कमजोरी और बढ़ गई है. यह खबर उसी दिन की है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के साथ नकदी-संकटग्रस्त देश के लिए सहायता की अगली किश्त जारी करने के बारे में बात कर रहे थे.

वैश्विक ऋणदाता ने पहले से सहमत ऋण की नई किस्त जारी करने से इनकार कर दिया है क्योंकि पाकिस्तान पिछले साल 6 अरब डॉलर के रुके हुए ऋण को चुकाने में नाकाम रहा है. प्रधान मंत्री शरीफ ने 500 अरब रुपये की भरपाई के लिए बिजली की कीमतों में वृद्धि करने की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सलाह को मानने में असर्मथता जताई है. हालांकि, वित्त मंत्री इशाक डार ने सऊदी अरब से 3 अरब डॉलर का दूसरा बेलआउट मिलने की उम्मीद जताई है. अमेरिका ने भी कहा है कि वह पाकिस्तान को आर्थिक रूप से स्थायी स्थिति में देखना चाहता है. लेकिन इसके लिए अमेरिका क्या करेगा इस बारे में तस्वीर अभी साफ होनी है.

अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि यह (पाकिस्तान का वित्तीय संकट) एक चुनौती है जिससे हम परिचित हैं. मैं जानता हूं कि पाकिस्तान आईएमएफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ काम कर रहा है. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम पाकिस्तान को आर्थिक रूप से स्थायी स्थिति में देखना चाहते हैं. हम इसमें मदद कर सकते हैं लेकिन आखिरकार ये पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के बीच की बातचीत है. पाकिस्तान खाद्य, मुद्रास्फीति और ऊर्जा संकट की चपेट में : खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं के लिए मुद्रास्फीति वर्तमान में 28.7 प्रतिशत पर है.

पढ़ें: Protest in PoK : पीओके में प्रदर्शन, गिलगित बाल्टिस्तान को भारत में मिलाने की मांग

माडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह दिसंबर 2022 में 24.5 प्रतिशत और दिसंबर 2021 से 12.3 प्रतिशत अधिक है. प्याज की कीमतें पिछले साल की तुलना में अविश्वसनीय रूप से 501 प्रतिशत बढ़ी हैं. इसी अवधि में चावल, गेहूं, दालें और नमक 50 प्रतिशत अधिक महंगे हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में अनाज और आटे के लिए भगदड़ देखी गई. इस बीच, बलूचिस्तान के खाद्य मंत्री जमारक अचकजई ने चेतावनी दी कि सब्सिडी वाले आटे का स्टॉक खत्म हो गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर में आटे की कमी का सामना करना पड़ रहा है, 15 किलोग्राम का बैग 2050 रुपये में बेचा गया. समाचार पत्र डॉन के अनुसार, यूटिलिटी स्टोर्स कॉरपोरेशन के माध्यम से बेची जाने वाली चीनी और घी की कीमत 25 से 62 प्रतिशत तक बढ़ गई है.

बिजली के इस्तेमाल में कटौती के आदेश : इससे पहले जनवरी में, पाकिस्तान की सरकार ने ऊर्जा संरक्षण के अन्य उपायों के बीच सभी मॉल और बाजारों को रात 8:30 बजे तक बंद करने का आदेश दिया था. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पत्रकारों से कहा कि कैबिनेट द्वारा रेस्तरां सहित बाजारों को बंद करने के उपायों को मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य नकदी संकट से जूझ रहे देश में लगभग 62 अरब रुपये बचाना है. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त तत्काल उपायों में शादी के हॉल को रोजाना रात 10 बजे तक बंद करना शामिल है.

आसिफ ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी सरकारी विभागों को बिजली की खपत 30 फीसदी तक कम करने का आदेश दिया है. आसिफ ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण योजना में क्रमशः फरवरी और जुलाई से ऊर्जा अक्षम बल्बों और पंखों के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल है. मंत्री ने कहा कि देश भर में आधी स्ट्रीट लाइटें 'प्रतीकात्मक' रूप में बंद रहेंगी. पाकिस्तान की अधिकांश बिजली तरलीकृत प्राकृतिक गैस सहित आयातित जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके उत्पादित की जाती है, जिसकी कीमतें हाल के महीनों में आसमान छू गई हैं.

बढ़ता कर्ज : रॉयटर्स के अनुसार, जून 2023 तक 30 अरब डॉलर से अधिक की बाहरी वित्तपोषण की जरूरत होगी. जिसके लिए पाकिस्तान को कड़ी मेहनत करने होगी. जिसमें बकाया ऋण भुगतान और ऊर्जा आयात शामिल हैं. 'निक्केई एशिया' में प्रकाशित लेख में यह दावा किया गया है कि बढ़ती चिंताओं के बीच पाकिस्तान श्रीलंका के नक्शेकदम पर चल रहा है. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जबकि देश अब सरकार के समर्थकों और इमरान खान के समर्थकों के बीच राजनीतिक रूप से ध्रुवीकृत है.

प्रमुख दलों को यह स्वीकार करना चाहिए कि पाकिस्तान एक आपात स्थिति में है. जिसके लिए उन्हें अपने व्यक्तिगत झगड़ों या जोखिम को अलग करने की आवश्यकता है. देश उस तरह के वित्तीय पतन में फिसल रहा है, जिसने पिछले साल श्रीलंकाई लोगों को गुजरना पड़ा था. एक मीडिया रिपोर्ट में विश्व बैंक के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि केवल 2 प्रतिशत होगी, जबकि 2021 में इसका बाहरी ऋण 130.433 बिलियन डॉलर था. रिपोर्ट में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद के हवाले से कहा कि पाकिस्तान को शेष वित्तीय वर्ष के लिए 13 अरब डॉलर कवर करने की जरूरत है.

पढ़ें: Pak denies uranium-tainted cargo : हीथ्रो हवाईअड्डे पर पाया गया यूरेनियम युक्त कार्गो कराची से नहीं आया था : पाकिस्तान

आईएमएफ की दर पर बार-बार दस्तक देता पाकिस्तान : पाकिस्तान ने 1958 के बाद से लगभग दो दर्जन से अधिक बार आईएमएफ की मदद ली है. लेख के अंत में कहा गया है कि यह समय फंड और अन्य ऋणदाताओं का है, जो नकदी डालने के अपने नियमित फॉर्मूले को दोहराने के बजाय, पाकिस्तान को नये नजरिये से देख रहे हैं, जो बहुत सहानुभुति भरा नहीं है. इस बीच, एक अन्य अखबार एशियन लाइट ने भविष्यवाणी की कि पाकिस्तान 'दिवालिया' होने के रास्ते पर है और दूसरे देशों से धन की गुहार लगाने और दुनिया की दया दिखाने की पांच दशक पुरानी प्रथा को फिर से शुरू कर दिया है. प्रकाशन के अनुसार, 1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, पाकिस्तान अमेरिका, रूस, मुस्लिम देशों और अब चीन को यह विश्वास दिलाकर बेवकूफ बना रहा है कि इस्लामाबाद के अस्तित्व को वित्तपोषित करने से उनके सर्वोत्तम हितों की रक्षा होगी.

गन्स बनाम बटर या गन्स बनाम आतंकवाद : मीडिया रिपोर्ट में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के उद्धरण को याद किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि हम (पाकिस्तान) घास खाएंगे, भूखे भी रहेंगे, लेकिन हमें अपना एक एटम बम मिलेगा ... हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है! अखबार ने आगे लिखा है कि लगा रहा है उनके शब्द सच हो रहे हैं क्योंकि देश की परमाणु संख्या 165 तक पहुंच गई है, लेकिन देश भोजन और बिजली के लिए तरस रहा है.

पढ़ें: Pakistan Economic Crisis : पाकिस्तान पर मंडरा रहा भुखमरी का खतरा!

जुल्फिकार अली भुट्टो का रुख भी एक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान की प्राथमिकताओं का प्रतीक है. देश स्वाभाविक रूप से गन्स बनाम बटर दुविधा से जूझते हैं, जब वे अपनी मेहनत से अर्जित संसाधनों को अपने बजट में आवंटित करते हैं. हालांकि, ऐसा लगता है कि पाकिस्तान बंदूक बनाम आतंकवाद की पहेली का सामना कर रहा है, जबकि वह कर्ज में डूबा हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के वित्तीय कुप्रबंधन और शासन की कमी के परिणामस्वरूप एक यह स्थिति पैदा हुई है. जिसमें सरकार अर्थव्यवस्था और शासन के सभी तत्वों को दिन में जल्दी बंद करने या पैसे बचाने के लिए घर से काम करने के लिए कह रही है. साथ ही 257 मिलियन डॉलर मूल्य की टेंडर सेना को दे रही है.

पढ़ें: आतंकवाद और आर्थिक संकट से जूझ रही पाकिस्तानी सरकार, राजनीतिक अराजकता से बढ़ती जा रही हैं मुश्किलें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.