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कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना भारत का आंतरिक मामला : पाक विदेश मंत्री

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने स्वीकार किया कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटाया जाना भारत का आंतरिक मामला है लेकिन उन्होंने अनुच्छेद 35 ए की बहाली पर जोर दिया. जानिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने और क्या कहा.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी
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Published : May 8, 2021, 6:33 PM IST

Updated : May 8, 2021, 6:41 PM IST

हैदराबाद : कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर आखिरकार पाकिस्तान ने भी माना है कि ये भारत का आंतरिक मामला है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने को भारत का आंतरिक मामला बताया है, हालांकि अनुच्छेद 35ए की बहाली जोर दिया है जो संकटग्रस्त क्षेत्र में जनसांख्यिकीय प्रतिभूतियों की गारंटी देता है.

भारत सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद ये कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव है. पाकिस्तान ने 5 अगस्त 2019 के घटनाक्रम के बाद भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था.

दोनों पड़ोसी देशों के बीच हाल में संवाद के बाद से कुछ संबंधों की बर्फ पिघली है. दोनों देशों ने अपनी सीमाओं पर 2003 के संघर्ष विराम समझौते को बहाल किया है.

एक टीवी चैनल को दिए विशेष साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा कि अनुच्छेद 370 पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण नहीं था. अनुच्छेद 35A पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कश्मीर में जनमत संग्रह के हमारे दीर्घकालिक हित से जुड़ा है.' उन्होंने कहा कि 35A कश्मीर के जनसांख्यिकीय पुनर्गठन से जुड़ा है.

कुरैशी ने कहा कि अनुच्छेद 370 आंतरिक मुद्दा है और कश्मीरियों ने इसके बदलाव पर नाराजगी जताई है. कुरैशी ने कहा कि उन्होंने (कश्मीरियों) इसे अपनी विशेष पहचान पर हमले के रूप में वर्णित किया है. उच्चतम न्यायालय में एक मामला (अनुच्छेद 370 की बहाली पर) लंबित है.

उन्होंने कहा कि भारत की बड़ी संख्या में आबादी ये मानती है कि इस अनुच्छेद को 5 अगस्त, 2019 को हटाने के बाद भारत ने खोया ज्यादा है जबकि उसे हासिल कम हुआ है.

साथ ही कुरैशी ने कहा कि दोनों परमाणु शक्तियों के बीच संबंधों को बहाल करने के लिए बातचीत की मेज पर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.' उन्होंने कहा कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है. यह आत्मघाती हो सकता है. एकमात्र विकल्प बातचीत है और इसके लिए दोनों देशों को एक साथ बैठना होगा.'

उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत के साथ व्यापार संबंधों की बहाली का विरोध किया क्योंकि घोषणा से पहले विदेश मंत्रालय को विश्वास में नहीं लिया गया था.

उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर पाकिस्तान में सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व एक साथ था. उन्होंने कहा, 'विदेशी कार्यालय को भारत और पाकिस्तान के बीच खुफिया स्तर पर बातचीत के बारे में बताया जाता है.'

पढ़ें- पाकिस्तान : विदेश सेवा के अधिकारियों पर टिप्पणी कर आलोचनाओं से घिरे इमरान

उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, लेकिन उन्हें एक-दूसरे को समझना होगा और रास्ता निकालना होगा.

हैदराबाद : कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर आखिरकार पाकिस्तान ने भी माना है कि ये भारत का आंतरिक मामला है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने को भारत का आंतरिक मामला बताया है, हालांकि अनुच्छेद 35ए की बहाली जोर दिया है जो संकटग्रस्त क्षेत्र में जनसांख्यिकीय प्रतिभूतियों की गारंटी देता है.

भारत सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद ये कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव है. पाकिस्तान ने 5 अगस्त 2019 के घटनाक्रम के बाद भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था.

दोनों पड़ोसी देशों के बीच हाल में संवाद के बाद से कुछ संबंधों की बर्फ पिघली है. दोनों देशों ने अपनी सीमाओं पर 2003 के संघर्ष विराम समझौते को बहाल किया है.

एक टीवी चैनल को दिए विशेष साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा कि अनुच्छेद 370 पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण नहीं था. अनुच्छेद 35A पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कश्मीर में जनमत संग्रह के हमारे दीर्घकालिक हित से जुड़ा है.' उन्होंने कहा कि 35A कश्मीर के जनसांख्यिकीय पुनर्गठन से जुड़ा है.

कुरैशी ने कहा कि अनुच्छेद 370 आंतरिक मुद्दा है और कश्मीरियों ने इसके बदलाव पर नाराजगी जताई है. कुरैशी ने कहा कि उन्होंने (कश्मीरियों) इसे अपनी विशेष पहचान पर हमले के रूप में वर्णित किया है. उच्चतम न्यायालय में एक मामला (अनुच्छेद 370 की बहाली पर) लंबित है.

उन्होंने कहा कि भारत की बड़ी संख्या में आबादी ये मानती है कि इस अनुच्छेद को 5 अगस्त, 2019 को हटाने के बाद भारत ने खोया ज्यादा है जबकि उसे हासिल कम हुआ है.

साथ ही कुरैशी ने कहा कि दोनों परमाणु शक्तियों के बीच संबंधों को बहाल करने के लिए बातचीत की मेज पर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.' उन्होंने कहा कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है. यह आत्मघाती हो सकता है. एकमात्र विकल्प बातचीत है और इसके लिए दोनों देशों को एक साथ बैठना होगा.'

उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत के साथ व्यापार संबंधों की बहाली का विरोध किया क्योंकि घोषणा से पहले विदेश मंत्रालय को विश्वास में नहीं लिया गया था.

उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर पाकिस्तान में सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व एक साथ था. उन्होंने कहा, 'विदेशी कार्यालय को भारत और पाकिस्तान के बीच खुफिया स्तर पर बातचीत के बारे में बताया जाता है.'

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उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, लेकिन उन्हें एक-दूसरे को समझना होगा और रास्ता निकालना होगा.

Last Updated : May 8, 2021, 6:41 PM IST
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