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पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल : मार्बल स्लरी से अटे गांव का ऐसे किया कायाकल्प कि डेनमार्क के पाठ्यक्रम में हो गया शामिल - Save girl child

राजसमंद के पिपलांत्री गांव के समाजसेवी श्याम सुंदर पालीवाल को पद्मश्री सम्मान से नवाजा है. उन्होंने समाजसेवा के क्षेत्र में बेहतरीन काम किये हैं. पर्यावरण संरक्षण और बेटियों के लिए किये गए उनके प्रयासों की बदौलत उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया. उदयपुर लौटने पर पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल का भव्य सम्मान किया गया.

पद्मश्री
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Published : Nov 10, 2021, 8:14 PM IST

उदयपुर : राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव के रहने वाले श्याम सुंदर पालीवाल को मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया. पालीवाल पिपलांत्री गांव में पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा को लेकर कार्य करते रहे हैं.

श्याम सुंदर पालीवाल दिल्ली से उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट पहुंचे, जहां मेवाड़ वासियों ने उनका स्वागत किया. इसके बाद वे राजसमंद के लिए रवाना हुए. पालीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिपलांत्री मॉडल की सराहना की. प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर बेहतरीन कार्य किया है. अब किसानों को लेकर भी कुछ और अलग काम कीजिए, जिससे किसान मजबूत हों. पालीवाल ने कहा कि राष्ट्रपति ने उनसे पिपलांत्री गांव आने की बात कही है.

पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल
पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल

कौन हैं श्याम सुंदर पालीवाल ?

श्याम सुंदर पालीवाल निर्मल ग्राम पंचायत पिपलांत्री गांव के सरपंच रह चुके हैं. उनको ये पुरस्कार निर्मल ग्राम पंचायत पिपलांत्री में जल संग्रहण, पर्यावरण संरक्षण की विभिन्न योजनाओं, नवाचार, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में सराहनीय कार्य करने के लिए दिया गया है. पालीवाल ने बताया कि पिपलांत्री उनका पुश्तैनी गांव है. इस मिट्टी का कर्ज उतारने के लिए वे प्रयासरत हैं.

पालीवाल ने कहा कि उनका अगला लक्ष्य जंगल और वनजीवन को बचाना है. उन्होंने कहा कि इंसान औद्योगिकीकरण की अंधाधुंध दौड़ में जंगल को काटकर कंक्रीट के जंगल बनाने की ओर बढ़ रहा है. लेकिन असली सुकून तो पेड़-पौधों के जंगलों में ही है. अब वह इस दिशा में वे कार्य करेंगे.

पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल

बेटियों के जन्म पर 111 पेड़ लगाने की मुहिम

पिपलांत्री गांव का सरपंच बनने के बाद श्याम सुंदर पालीवाल ने अपनी बेटी किरण के नाम पर एक योजना शुरू की, जिसका नाम है 'किरण निधि योजना'. इस योजना के तहत पिपलांत्री गांव में बेटी के जन्म लेने पर उसके नाम 111 पेड़ लगाए जाते हैं. यही नहीं, उसके बेहतर भविष्य के लिए 21 हजार रुपए भी खाते में जमा कराए जाते हैं. साथ ही उसके घर से एक फॉर्म भरवा कर वचन लिया जाता है कि वो 20 साल से पहले लड़की की शादी नहीं करेंगे और बेटो की पढ़ाएंगे.

डेनमार्क के स्कूलों में पढ़ाया जाता है पिपलांत्री मॉडल

डेनमार्क के स्कूलों में पिपलांत्री मॉडल को पढ़ाया जा रहा है. पालीवाल ने लोगों को खेती और पेड़ लगाने के प्रति जागरुक किया है. खेतों की सिंचाई के लिए 4500 चेक डेम बनवाए, सरकारी जमीनों को भू-माफियाओं से छुड़वाया. गांववालों को श्याम सुंदर पालीवाल ने एलोवेरा और आंवला की फसल का सुझाव दिया. गांव में प्लांट भी लगवाया, जिसमें एलोवेरा और आंवला का जूस और इसके साथ ही क्रीम बनाई जाती है, जिन्हें बाजारों में बेचा जाता है.

आज गांव में न तो कोई बेरोजगार है और न ही कोई बेटियों को बोझ समझता है. श्यामसुंदर पालीवाल को 8 अक्टूबर को कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर स्पेशल एपिसोड में बुलाया गया था. इस खेल में उनके साथ टीवी एक्ट्रेस साक्षी तंवर भी नजर आई थी.

पिपलांत्री गांव हो चुका है मशहूर

राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर पिपलांत्री ग्राम पंचायत के आस-पास सफेद संगमरमर की खदानें हैं. इनमें होने वाले खनन और मलबे के कारण यहां इतना प्रदूषण हो गया था कि हरियाली लगभग खत्म हो गई थी. जलस्तर काफी नीचे चला गया था. वन्यजीव यहां से गायब हो गए थे. फिर 2005 में इस गांव के लोगों ने श्याम सुंदर पालीवाल को सरपंच चुना और उन्होंने गांव की काया पलट दी.

बताया जाता है कि पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल की बेटी का अल्प आयु में निधन हो गया था. उन्हें इस बात का इतना दुख पहुंचा कि उन्होंने अपनी बेटी की याद में एक पेड़ लगाया. उसे पाल-पोसकर बड़ा किया. तभी श्याम सुंदर के मन में विचार आया कि क्यों न पूरे गांव के लिए यह अनिवार्य कर दिया जाए.

उन्होंने घर में लड़की पैदा होने पर 111 पौधे लगवाने या किसी व्यक्ति के गांव में मृत्यु होती है तो उसकी याद में परिवार के लोग 11 पेड़ लगाएं. साथ ही उसकी हमेशा के लिए देखभाल करें. सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने बच्ची के जन्म को लेकर 111 पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की. मुहिम रंग लाई और आज पूरा गांव हरा भरा है. यही कारण है कि कौन बनेगा करोड़पति जैसे प्लेटफार्म पर श्याम सुंदर पालीवाल ने सदी के महानायक के साथ केबीसी में भाग लिया.

मार्बल स्लरी से मुक्ति

पिपलांत्री गांव पहाड़ियों बीच में बसा है. इसके चारों और बड़े पैमाने पर संगमरमर का खनन होता है. मार्बल स्लरी को इसी गांव में डाला जाता था. यहां मलबे के पहाड़ बन गए थे. जमीन और आबोहवा खराब हो गई थी. गांव वालों ने श्याम सुंदर पालीवाल को सरपंच चुना तो उन्होंने स्लरी को यहां से हटवाया और हरियाली के लिये पौधे लगाने की मुहिम शुरू की.

2006 से अब तक श्याम सुंदर की अगुवाई में करीब साढे़ तीन लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं, गांव का जलस्तर ऊपर आया है और आबोहवा में बदलाव हुआ है. पिपलांत्री मॉडल अब पूरी दुनिया में मशहूर है.

उदयपुर : राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव के रहने वाले श्याम सुंदर पालीवाल को मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया. पालीवाल पिपलांत्री गांव में पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा को लेकर कार्य करते रहे हैं.

श्याम सुंदर पालीवाल दिल्ली से उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट पहुंचे, जहां मेवाड़ वासियों ने उनका स्वागत किया. इसके बाद वे राजसमंद के लिए रवाना हुए. पालीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिपलांत्री मॉडल की सराहना की. प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर बेहतरीन कार्य किया है. अब किसानों को लेकर भी कुछ और अलग काम कीजिए, जिससे किसान मजबूत हों. पालीवाल ने कहा कि राष्ट्रपति ने उनसे पिपलांत्री गांव आने की बात कही है.

पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल
पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल

कौन हैं श्याम सुंदर पालीवाल ?

श्याम सुंदर पालीवाल निर्मल ग्राम पंचायत पिपलांत्री गांव के सरपंच रह चुके हैं. उनको ये पुरस्कार निर्मल ग्राम पंचायत पिपलांत्री में जल संग्रहण, पर्यावरण संरक्षण की विभिन्न योजनाओं, नवाचार, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में सराहनीय कार्य करने के लिए दिया गया है. पालीवाल ने बताया कि पिपलांत्री उनका पुश्तैनी गांव है. इस मिट्टी का कर्ज उतारने के लिए वे प्रयासरत हैं.

पालीवाल ने कहा कि उनका अगला लक्ष्य जंगल और वनजीवन को बचाना है. उन्होंने कहा कि इंसान औद्योगिकीकरण की अंधाधुंध दौड़ में जंगल को काटकर कंक्रीट के जंगल बनाने की ओर बढ़ रहा है. लेकिन असली सुकून तो पेड़-पौधों के जंगलों में ही है. अब वह इस दिशा में वे कार्य करेंगे.

पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल

बेटियों के जन्म पर 111 पेड़ लगाने की मुहिम

पिपलांत्री गांव का सरपंच बनने के बाद श्याम सुंदर पालीवाल ने अपनी बेटी किरण के नाम पर एक योजना शुरू की, जिसका नाम है 'किरण निधि योजना'. इस योजना के तहत पिपलांत्री गांव में बेटी के जन्म लेने पर उसके नाम 111 पेड़ लगाए जाते हैं. यही नहीं, उसके बेहतर भविष्य के लिए 21 हजार रुपए भी खाते में जमा कराए जाते हैं. साथ ही उसके घर से एक फॉर्म भरवा कर वचन लिया जाता है कि वो 20 साल से पहले लड़की की शादी नहीं करेंगे और बेटो की पढ़ाएंगे.

डेनमार्क के स्कूलों में पढ़ाया जाता है पिपलांत्री मॉडल

डेनमार्क के स्कूलों में पिपलांत्री मॉडल को पढ़ाया जा रहा है. पालीवाल ने लोगों को खेती और पेड़ लगाने के प्रति जागरुक किया है. खेतों की सिंचाई के लिए 4500 चेक डेम बनवाए, सरकारी जमीनों को भू-माफियाओं से छुड़वाया. गांववालों को श्याम सुंदर पालीवाल ने एलोवेरा और आंवला की फसल का सुझाव दिया. गांव में प्लांट भी लगवाया, जिसमें एलोवेरा और आंवला का जूस और इसके साथ ही क्रीम बनाई जाती है, जिन्हें बाजारों में बेचा जाता है.

आज गांव में न तो कोई बेरोजगार है और न ही कोई बेटियों को बोझ समझता है. श्यामसुंदर पालीवाल को 8 अक्टूबर को कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर स्पेशल एपिसोड में बुलाया गया था. इस खेल में उनके साथ टीवी एक्ट्रेस साक्षी तंवर भी नजर आई थी.

पिपलांत्री गांव हो चुका है मशहूर

राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर पिपलांत्री ग्राम पंचायत के आस-पास सफेद संगमरमर की खदानें हैं. इनमें होने वाले खनन और मलबे के कारण यहां इतना प्रदूषण हो गया था कि हरियाली लगभग खत्म हो गई थी. जलस्तर काफी नीचे चला गया था. वन्यजीव यहां से गायब हो गए थे. फिर 2005 में इस गांव के लोगों ने श्याम सुंदर पालीवाल को सरपंच चुना और उन्होंने गांव की काया पलट दी.

बताया जाता है कि पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल की बेटी का अल्प आयु में निधन हो गया था. उन्हें इस बात का इतना दुख पहुंचा कि उन्होंने अपनी बेटी की याद में एक पेड़ लगाया. उसे पाल-पोसकर बड़ा किया. तभी श्याम सुंदर के मन में विचार आया कि क्यों न पूरे गांव के लिए यह अनिवार्य कर दिया जाए.

उन्होंने घर में लड़की पैदा होने पर 111 पौधे लगवाने या किसी व्यक्ति के गांव में मृत्यु होती है तो उसकी याद में परिवार के लोग 11 पेड़ लगाएं. साथ ही उसकी हमेशा के लिए देखभाल करें. सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने बच्ची के जन्म को लेकर 111 पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की. मुहिम रंग लाई और आज पूरा गांव हरा भरा है. यही कारण है कि कौन बनेगा करोड़पति जैसे प्लेटफार्म पर श्याम सुंदर पालीवाल ने सदी के महानायक के साथ केबीसी में भाग लिया.

मार्बल स्लरी से मुक्ति

पिपलांत्री गांव पहाड़ियों बीच में बसा है. इसके चारों और बड़े पैमाने पर संगमरमर का खनन होता है. मार्बल स्लरी को इसी गांव में डाला जाता था. यहां मलबे के पहाड़ बन गए थे. जमीन और आबोहवा खराब हो गई थी. गांव वालों ने श्याम सुंदर पालीवाल को सरपंच चुना तो उन्होंने स्लरी को यहां से हटवाया और हरियाली के लिये पौधे लगाने की मुहिम शुरू की.

2006 से अब तक श्याम सुंदर की अगुवाई में करीब साढे़ तीन लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं, गांव का जलस्तर ऊपर आया है और आबोहवा में बदलाव हुआ है. पिपलांत्री मॉडल अब पूरी दुनिया में मशहूर है.

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