हैदराबाद : तेलंगाना के संयुक्त आदिलाबाद जिले के किसान हर साल श्रावण मास के अंत में 'पोलाला अमावस्या' मनाते हैं. यह त्योहार विशेष रूप से बैलों के लिए मनाया जाता है. इसे वह किसान मनाते हैं जिनके पास खेती करने वाले जानवर होते हैं. इस मौके पर किसान भगवान शिव और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए पूजा करते हैं, क्योंकि देवी पार्वती बैलों को पुत्रों (नंदीश्वर) के रूप में मानती हैं.
उत्सव की समारोह प्रक्रिया
श्रवण मास के साथ खरीफ की खेती के कार्यों का समापन होगा. इसलिए किसान श्रावण अमावस्या के एक दिन पहले बैलों से कोई काम नहीं लेते हैं. वे बैलों को गले और कूबड़ पर हल्दी से सजाते हैं. बाद में वे उन्हें घास खिलाते हैं. सभी परिवार अमावस्या का पूरा दिन उपवास रखता हैं और वे बैलों के लिए नैवेद्यम (प्रसाद) तैयार करते हैं.
अमावस्या के दिन किसान बैलों को फसल भी खिलाते हैं. बाद में वे एक-एक बैलों को साफ (स्नान) करते हैं. वे सींगों को रंगीन कागजों से सजाते हैं. पूरा गांव बैलों की पूजा करता है.
इसके बाद किसान उन्हें अपने परिवार के पास ले आते हैं और परिवार की बेटी उन्हें नैवेद्य खिलाती है. वह बैलों के पैरों को पंचामृतम से साफ करती है और उनकी सेवा करने वालों को कुछ राशि दान करती है. लोगों की आस्था है कि इस समारोह को देखने के बाद देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं.