हैदराबाद: तीन तलाक, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और पसमांदा मुसलमानों पर टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को सवाल किया कि प्रधानमंत्री पाकिस्तान से प्रेरणा क्यों ले रहे हैं. प्रधानमंत्री द्वारा कथित रूप से समान नागरिक संहिता का उल्लेख किये जाने का हवाला देते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता ओवैसी ने सवाल किया कि क्या यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और विविधता को छीन लिया जाएगा.
प्रधानमंत्री ने मंगलवार को भोपाल में एक जनसभा में सवालिये लहजे में कहा कि मिस्र में 80-90 साल पहले तीन तलाक प्रथा को खत्म कर दिया गया और यदि यह जरूरी ही है तो फिर पाकिस्तान, कतर एवं अन्य मुस्लिम बहुल देशों में इसे क्यों खत्म कर दिया गया. उनकी टिप्पणी पर ओवैसी ने कहा कि राजग सरकार ने तीन तलाक के विरूद्ध कानून तो बनाया लेकिन उससे जमीनी स्तर पर कोई फर्क नहीं आया.
उन्होंने ट्वीट किया कि पाकिस्तान का हवाला देते हुए मोदी जी ने कहा है कि वहां तीन तलाक पर प्रतिबंध है. मोदी जी पाकिस्तानी कानून से क्यों प्रेरणा ले रहे हैं? उन्होंने यहां भी तीन तलाक के विरूद्ध कानून बनाया, लेकिन उससे जमीनी स्तर पर कोई फर्क नहीं आया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि इसके विपरीत, महिलाओं का शोषण बढ़ ही गया है. हम हमेशा मांग करते रहे हैं कि समाज सुधार कानूनों के माध्यम से नहीं होगा.
उन्होंने आगे लिखा कि यदि कानून ही बनाया जाना है तो उन पुरुषों के विरूद्ध बनाया जाना चाहिए, जो अपनी पत्नियों को छोड़कर भाग जाते हैं. ओवैसी ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि एक तरफ प्रधानमंत्री पसमांदा मुसलमानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, जबकि उनके लोग मस्जिदों पर हमले कर रहे हैं, उनकी (मुसलमानों की) आजीविका छीन रहे हैं, उनके घरों पर बुलडोजर चला रहे हैं और पीट-पीटकर उनकी जान ले रहे हैं.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण का विरोध करते हुए राजग सरकार ने गरीब मुसलमानों की छात्रवृति रोक दी है. उन्होंने सवाल किया कि यदि पसमांदा मुसलमानों का शोषण किया जा रहा है तो मोदी इस बारे में क्या कर रहे हैं? पसमांदा मुसलमानों से वोट मांगने से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं को घर -घर जाना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए कि उनके प्रवक्ताओं और विधायकों ने हमारे पैंगबर सााहब का अपमान करने की चेष्टा की. पिछड़े वर्ग के मुसलमानों के लिए पसमांदा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.
(पीटीआई-भाषा)