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जेनको का बकाया भुगतान जल्द करें राज्य-यूटी : केंद्रीय बिजली सचिव

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Published : May 10, 2022, 7:22 AM IST

केंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) के बकाए को लेकर बैठक की. राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों से बकाया भुगतान जल्द से जल्द करने को कहा.

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बिजली वितरण

नई दिल्ली : बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (Gencos) का बकाया मई, 2022 में सालाना आधार पर 4.04 प्रतिशत बढ़कर 1,21,765 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. मई, 2021 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,17,026 करोड़ रुपये था. बकाया भुगतान को लेकर केंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार (Union Power Secretary Alok Kumar) ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बकाया जल्द भुगतान करने को कहा. बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं. उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है. ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं.

डिस्कॉम पर उत्पादक कंपनियों का बकाया : 'ईटीवी भारत' के पास उपलब्ध सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि सबसे ज्यादा बकाया तमिलनाडु का 19442 करोड़ रुपये है. उसके बाद महाराष्ट्र 19278 करोड़ रुपये और राजस्थान 10855 करोड़ रुपये है. आंध्र प्रदेश 7538 करोड़ रुपये, जम्मू-कश्मीर का 6863 करोड़ रुपये, झारखंड 3567 करोड़ रुपये, कर्नाटक 5240 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश 5243 करोड़ रुपये, पंजाब 1326 करोड़ रुपये, तेलंगाना 6889 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश का जेनको पर 9634 करोड़ रुपये बकाया है.

आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है.

मई, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया पिछले महीने यानी अप्रैल, 2022 की तुलना में भी बढ़ा है. अप्रैल में यह 1,20,954 करोड़ रुपये था. बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था. मई, 2022 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 1,06,902 करोड़ रुपये थी. यह एक साल पहले समान महीने में 94,354 करोड़ रुपये थी. अप्रैल, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,06,071 करोड़ रुपये था.

गौरतलब है कि बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की है. इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है. केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कोविड-19 महामारी की वजह से कुछ राहत दी है. भुगतान में देरी के लिए डिस्कॉम पर दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया गया है.

सरकार ने मई, 2020 में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी. इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं. बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया.

भुगतान की मियाद समाप्त होने के बाद मई, 2022 तक डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,06,902 करोड़ रुपये था. इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 55.86 प्रतिशत है. वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की जेनको का बकाया 22.35 प्रतिशत है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 5,072.82 करोड़ रुपये वसूलने हैं.उसके बाद एनपीसीआईएल कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र को 3,419.78 करोड़ रुपये बिजली वितरण कंपनियों से वसूलने हैं. डीवीसी का बकाया 3,398.57 करोड़ रुपये है.

पढ़ें- Power Crisis India: 17 थर्मल पॉवर प्रोजक्ट्स में देरी, सरकार ने बताया गंभीर मामला

निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 25,284.67 करोड़ रुपये, केएसके महानदी पावर कंपनी का बकाया 5,324.32 करोड़ रुपये और बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का बकाया 5,308.29 करोड़ रुपये है. वहीं नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों का बकाया मई, 2022 तक 20,127.16 करोड़ रुपये था.

नई दिल्ली : बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (Gencos) का बकाया मई, 2022 में सालाना आधार पर 4.04 प्रतिशत बढ़कर 1,21,765 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. मई, 2021 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,17,026 करोड़ रुपये था. बकाया भुगतान को लेकर केंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार (Union Power Secretary Alok Kumar) ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बकाया जल्द भुगतान करने को कहा. बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं. उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है. ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं.

डिस्कॉम पर उत्पादक कंपनियों का बकाया : 'ईटीवी भारत' के पास उपलब्ध सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि सबसे ज्यादा बकाया तमिलनाडु का 19442 करोड़ रुपये है. उसके बाद महाराष्ट्र 19278 करोड़ रुपये और राजस्थान 10855 करोड़ रुपये है. आंध्र प्रदेश 7538 करोड़ रुपये, जम्मू-कश्मीर का 6863 करोड़ रुपये, झारखंड 3567 करोड़ रुपये, कर्नाटक 5240 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश 5243 करोड़ रुपये, पंजाब 1326 करोड़ रुपये, तेलंगाना 6889 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश का जेनको पर 9634 करोड़ रुपये बकाया है.

आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है.

मई, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया पिछले महीने यानी अप्रैल, 2022 की तुलना में भी बढ़ा है. अप्रैल में यह 1,20,954 करोड़ रुपये था. बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था. मई, 2022 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 1,06,902 करोड़ रुपये थी. यह एक साल पहले समान महीने में 94,354 करोड़ रुपये थी. अप्रैल, 2022 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,06,071 करोड़ रुपये था.

गौरतलब है कि बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की है. इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है. केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कोविड-19 महामारी की वजह से कुछ राहत दी है. भुगतान में देरी के लिए डिस्कॉम पर दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया गया है.

सरकार ने मई, 2020 में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी. इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं. बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया.

भुगतान की मियाद समाप्त होने के बाद मई, 2022 तक डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,06,902 करोड़ रुपये था. इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 55.86 प्रतिशत है. वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की जेनको का बकाया 22.35 प्रतिशत है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 5,072.82 करोड़ रुपये वसूलने हैं.उसके बाद एनपीसीआईएल कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र को 3,419.78 करोड़ रुपये बिजली वितरण कंपनियों से वसूलने हैं. डीवीसी का बकाया 3,398.57 करोड़ रुपये है.

पढ़ें- Power Crisis India: 17 थर्मल पॉवर प्रोजक्ट्स में देरी, सरकार ने बताया गंभीर मामला

निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 25,284.67 करोड़ रुपये, केएसके महानदी पावर कंपनी का बकाया 5,324.32 करोड़ रुपये और बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का बकाया 5,308.29 करोड़ रुपये है. वहीं नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों का बकाया मई, 2022 तक 20,127.16 करोड़ रुपये था.

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