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MPSC Result : अनाथ होने के बाद नहीं मानी हार, सुंदरी एस.बी बनीं सब इंस्पेक्टर - अनाथ युवती सुंदरी एसबी

अपनी दृढ़ता की वजह से पहले ही प्रयास में राज्य की सुंदरी एसबी ने पुलिस उप निरीक्षक की परीक्षा पास कर ली है. सुंदरी ने कहा कि अनाथ होने के बाद भी उन्होंने कड़ी मेहनत, लगन और लगन से सफलता हासिल की है.

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सुंदरी एस.बी
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Published : Mar 26, 2022, 7:11 PM IST

पुणे : अपनी दृढ़ता की वजह से पहले ही प्रयास में सुंदरी एसबी ने पुलिस उप निरीक्षक की परीक्षा पास कर ली है. हालांकि सुंदरी कंप्यूटर इंजीनियर हैं. सुंदरी ने कहा कि उन्होंने अनाथ होने के बाद भी कड़ी मेहनत, लगन, लगन और महत्वाकांक्षा से सफलता प्राप्त की जा सकती है.

चार वर्षों से कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में काम कर रही सुंदरी ने बताया कि वह घर पर ही रोजाना पांच से छह घंटे पुलिस उप निरीक्षक की तैयारी कर रही थीं. उन्होंने शादी के बाद भी अपने पति के सहयोग से अपनी तैयारी जारी रखी और परीक्षा में सफलता प्राप्त की. सुंदरी ने बताया कि कि जब वह महज सात महीने की थी तभी उसे परिवार के लोग उसे छोड़ गए थे. उसने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है.

सुंदरी ने बताया कि 2019 में हुई परीक्षा में उसका चयन पुलिस उपनिरीक्षक के रूप में हुआ है. सुंदरी के मुताबिक माता-पिता के न होने का दुख हर अनाथ को होता है. हालांकि, बिना थके जिंदगी की जंग जीतना जरूरी है. एक अनाथ के रूप में रहने के बजाय, एक इंसान के रूप में आशा की किरण है.

ये भी पढ़ें - तमिलनाडु के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में प्रवेश परीक्षा की इजाजत नहीं : उच्च शिक्षा मंत्री

सुंदरी एसबी नाम कैसे पड़ा : सुंदरी ने बताया कि उसे कोई मानखुर्द के एक अनाथालय में छोड़ गया था. इससे उसका ना तो कोई नाम था और ना ही वह अपने गांव के बारे में जानती हैं. इस पर उसका नाम उस संस्था के नाम पर रखा गया जिसमें उसे छोड़ा गया था. इसलिए सुंदरी और संस्था 'संपर्क बालग्राम' का नाम लेते हुए सुंदरी एसबी नाम रख दिया गया. सुंदरी ने बताया कि 2014 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए 18 वर्ष की आयु में उसे बाहर जाना पड़ा.

पुणे : अपनी दृढ़ता की वजह से पहले ही प्रयास में सुंदरी एसबी ने पुलिस उप निरीक्षक की परीक्षा पास कर ली है. हालांकि सुंदरी कंप्यूटर इंजीनियर हैं. सुंदरी ने कहा कि उन्होंने अनाथ होने के बाद भी कड़ी मेहनत, लगन, लगन और महत्वाकांक्षा से सफलता प्राप्त की जा सकती है.

चार वर्षों से कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में काम कर रही सुंदरी ने बताया कि वह घर पर ही रोजाना पांच से छह घंटे पुलिस उप निरीक्षक की तैयारी कर रही थीं. उन्होंने शादी के बाद भी अपने पति के सहयोग से अपनी तैयारी जारी रखी और परीक्षा में सफलता प्राप्त की. सुंदरी ने बताया कि कि जब वह महज सात महीने की थी तभी उसे परिवार के लोग उसे छोड़ गए थे. उसने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है.

सुंदरी ने बताया कि 2019 में हुई परीक्षा में उसका चयन पुलिस उपनिरीक्षक के रूप में हुआ है. सुंदरी के मुताबिक माता-पिता के न होने का दुख हर अनाथ को होता है. हालांकि, बिना थके जिंदगी की जंग जीतना जरूरी है. एक अनाथ के रूप में रहने के बजाय, एक इंसान के रूप में आशा की किरण है.

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सुंदरी एसबी नाम कैसे पड़ा : सुंदरी ने बताया कि उसे कोई मानखुर्द के एक अनाथालय में छोड़ गया था. इससे उसका ना तो कोई नाम था और ना ही वह अपने गांव के बारे में जानती हैं. इस पर उसका नाम उस संस्था के नाम पर रखा गया जिसमें उसे छोड़ा गया था. इसलिए सुंदरी और संस्था 'संपर्क बालग्राम' का नाम लेते हुए सुंदरी एसबी नाम रख दिया गया. सुंदरी ने बताया कि 2014 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए 18 वर्ष की आयु में उसे बाहर जाना पड़ा.

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