नई दिल्ली : दिल्ली में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के आवास पर मंगलवार को राष्ट्र मंच की बैठक हुई. जिसमें विभिन्न दलों के 21 नेता और बुद्धिजीवी शामिल हुए. यह बैठक राष्ट्र मंच के संस्थापक व टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा द्वारा बुलाई गई थी.
देश में तीसरे मोर्चे की संभावनाओं के बीच राष्ट्र मंच की इस बैठक को भाजपा को कहीं अधिक मजबूत चुनौती देने के लिए विपक्षी नेताओं के एकजुट होने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है.
हालांकि, बैठक में शामिल हुए नेताओं ने इसके राजनीतिक महत्व को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की और इसे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के राष्ट्र मंच के बैनर तले समान विचार वाले लोगों के बीच एक संवाद बताया.
बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए एनसीपी नेता मजीद मेमन ने कहा कि विपक्षी दलों के कई नेताओं को आमंत्रित किया गया था, इसमें कांग्रेस भी शामिल थी, लेकिन कुछ कठिनाइयों के कारण कांग्रेस के नेता आज की बैठक में शामिल नहीं हो पाए. कोई राजनीतिक बहिष्कार नहीं था और राष्ट्र मंच की विचारधारा को मानने वाले सभी लोगों को आमंत्रित किया गया था.
यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता में समिति बनाने का फैसला
ईटीवी भारत से बात करते हुए, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने कहा कि आज की बैठक में, हमने यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का फैसला किया है, जो देश के वैकल्पिक दृष्टिकोण पर विचार करेगी. उन्होंने कहा, 'बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था और सौहार्द की समस्या बढ़ रही है और यह लोगों को निराशावादी बना रही है. हम ऐसा नहीं होने देंगे और अपने लोगों को आशावादी बनाएंगे.'
घनश्याम तिवारी ने कहा कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हई कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें किसानों और मध्यम वर्ग के जीवन को कैसे प्रभावित कर रही हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्र मंच हर किसी को एक साथ आकर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का मौका देगा.
उन्होंने कहा कि राष्ट्र मंच की अगली बैठक में, हम समान विचारधारा वाले दलों को लाने की कोशिश करेंगे ताकि कोई भी राजनीतिक भेदभाव के बारे में अटकलें न लगा सकें. हम उन सभी को शामिल करेंगे जो देश के विकास और भविष्य के लिए विचार रखते हैं.
वहीं, सीपीएम नेता नीलोत्पल बुस ने कहा कि यह राजनीतिक बैठक नहीं थी बल्कि समान विचारों वाले लोगों के बीच संवाद था. उन्होंने कहा, बैठक में कोविड प्रबंधन, संस्थानों पर हमले और बेरोजगारी जैसे विषयों पर चर्चा हुई.
'बैठक की अनेदेखी नहीं की जा सकती'
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति इस बात की अनेदेखी नहीं कर सकता है कि बैठक की मेजबानी पवार ने अपने आवास पर की. यह बैठक चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ हुई उनकी हालिया मुलाकातों के बाद हुई है. पवार की किशोर के साथ एक बैठक महज एक दिन पहले सोमवार को ही हुई थी.
अगले साल उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों के अलावा कई अन्य राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में क्षेत्रीय क्षत्रपों और गैर भाजपा दलों को एकजुट करने की कोशिश को मुख्य रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रति लक्षित देखा जा रहा है.
भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से उसके खिलाफ कांग्रेस की तुलना में क्षेत्रीय दलों ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है और उनके द्वारा कहीं अधिक एकजुट तरीके से मोदी सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती देने का विचार हाल के समय में दृढ़ हुआ है.
यह भी पढ़ें- प. बंगाल में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए भाजपा की विशेष रणनीति, लक्ष्य 2024
राष्ट मंच की बैठक में शरद पवार और सिन्हा के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी (सपा) के घनश्याम तिवारी, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी, आम आदमी पार्टी (आप) के सुशील गुप्ता, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के बिनॉय विश्वम तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता नीलोत्पल बसु शामिल हुए.
कांग्रेस के पूर्व नेता संजय झा और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व नेता पवन वर्मा ने भी बैठक में भाग लिया. इनके अलावा बैठक में जावेद अख्तर, राजदूत के सी सिंह और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एपी शाह आदि अराजनीतिक हस्तियां शामिल हुईं.