नई दिल्ली: आय से अधिक संपत्ति के मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला को आज सजा सुनाई जाएगी. उन्हें 21 मई को इस मामले में दोषी करार दिया जा चुका है. वहीं बीते गुरूवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले में चौटाला की सजा पर बहस हुई. इस मामले में चौटाला के वकील ने जहां उनकी दिव्यांगता और बीमारियों का हवाला देते हुए नरमी बरतने का आग्रह किया, वहीं सीबीआई के वकील ने चौटाला को कड़ी से कड़ी सजा देने की बात कही. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसले के लिए आज दोपहर 2.00 बजे का वक्त सुनिश्चित किया है.
गुरूवार को कोर्ट में क्या हुआ : गुरुवार को आय से अधिक मामले में ओपी चौटाला की सजा पर बहस होनी थी. ओपी चौटाला भी व्हील चेयर पर कोर्ट पहुंचे थे. ओपी चौटाला की ओर से हर्ष कुमार ने सजा पर बहस के दौरान अपना पक्ष रखा. चौटाला की तरफ से कहा गया कि मेरी उम्र 87 साल है और मैं बचपन से बीमार हूं. अब 90 फीसदी दिव्यांग हूं और सर्टिफिकेट में 60 फीसदी दिव्यांगता है. मेरी दिव्यांगता 60 से 90 फीसदी हो गई है जिसके कारण मैं खुद कपड़े नहीं पहन सकता. इसलिये मेरी उम्र और दिव्यांगता का ध्यान रखा जाए.
सीबीआई के वकील ने क्या कहा : चौटाला की तरफ से 90 फीसदी दिव्यांगता की बात कही गई तो कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास इसका सर्टिफिकेट है. चौटाला के वकील की तरफ से हमेशा जांच में सहयोग और जेल से 10वीं, 12वीं की परीक्षा देने की बात भी कोर्ट में बताई गई. हालांकि सीबीआई के वकील ने कड़ी से कड़ी सजा की मांग करते हुए कहा कि अगर आय से अधिक संपत्ति के इस मामले में चौटाला को कम सजा होती है तो इसका गलत संदेश जाएगा.
कितनी हो सकती है सजा- आय से अधिक संपत्ति के मामले में ओपी चौटाला को एक से 7 साल तक की सजा हो सकती है. कोर्ट में ओपी चौटाला की तरफ से दिव्यांगता से लेकर, जेबीटी मामले में काटी गई सजा, जांच में दिए गए सहयोग समेत अन्य मामलों का भी हवाला दिया गया. सजा पर बहस के दौरान ओपी चौटाला के वकील ने कोर्ट से उन्हें कम से कम सजा देने की गुजारिश की जबकि सीबीआई की तरफ से इस मामले में अधिक से अधिक सजा की अपील की गई.
आय से अधिक संपत्ति जुटाई- ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने का (OP Chautala disproportionate assets case) आरोप था. इस मामले में सीबीआई ने साल 2010 में चार्जशीट दायर की थी. जिसके मुताबिक साल 1993 से 2006 के बीच उन्होंने आय से करीब 6 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति जुटाई. गौरतलब है कि इस दौरान साल 1999 से 2005 के बीच ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे.
ईडी ने जब्त की थी संपत्ति- मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में दर्ज FIR में सीबीआई के अलावा ईडी ने भी चौटाला पर अपना शिकंजा कसा था. प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई करते हुए चौटाला की संपत्ति जब्त की थी. जिसमें दिल्ली, पंचकूला और सिरसा में 3.68 करोड़ की संपत्ति शामिल है. इसमें फ्लैट और प्लॉट से लेकर जमीन शामिल थी.
जेबीटी भर्ती घाटाले में काटी सजा- गौरतलब है कि ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा में करीब 3 हजार जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के मामले (JBT Recruitment Scam) में 10 साल की सजा काट चुके हैं. कोर्ट ने ओम प्रकाश चौटाल के अलावा उनके बेटे अजय चौटाला और इसमें शामिल अन्य अधिकारियों को 10-10 साल की सजा सुनाई थी. पिछले साल जुलाई में ओम प्रकाश चौटाला तिहाड़ जेल से रिहा हुए हैं.
शमशेर सुरजेवाला ने की थी शिकायत- बता दें कि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Surjewala) के पिता और कांग्रेस नेता स्वर्गीय शमशेर सिंह सुरजेवाला की शिकायत पर हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला और उनके दोनों बेटे अजय और अभय चौटाला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हुआ था. 26 मार्च, 2010 को सीबीआई ने ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर 6.09 करोड़ की संपत्ति कथित रूप से रखने का आरोप लगाया था, जो 1993-2006 के दौरान उनकी आय से अधिक था. ऐसे ही दो मामले उनके बेटे अजय और अभय चौटाला के खिलाफ भी चल रहे हैं.
आपको ये भी बता दें कि मई 2021 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में चौटाला परिवार की संपत्ति की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय व अभय की संपत्ति का विवरण मांगा था. राजस्व विभाग से डबवाली और सिरसा ब्लॉक में उनकी प्रॉपर्टी का ब्योरा तत्काल देने को कहा गया था.
कौन हैं ओपी चौटाला ?- ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के पुत्र हैं. ओपी चौटाला चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हरियाणा के सिरसा जिले के चौटाला गांव में हुआ था. ओमप्रकाश चौटाला पांच बार (1970, 1990, 1993, 1996 और 2000) हरियाणा विधान सभा के सदस्य रह चुके हैं. साल 1989 में ओम प्रकाश चौटाला पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. वह 2 दिसंबर 1989 से 22 मई 1990 तक, 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 तक, 22 मार्च 1991 से 6 अप्रैल 1991 तक और अंत में 24 जुलाई 1999 से 2 मार्च 2000 और उसके बाद 2 मार्च 2000 से 5 मार्च 2005 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.