ETV Bharat / bharat

India has ability to catch up China : पूर्व विदेश सचिव बोले, चीन से सिर्फ भारत ही निकल सकता है आगे - पूर्व विदेश सचिव

पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन (former Foreign Secretary Shyam Saran) का कहना है कि चीन के उदय से निपटने वाला एकमात्र देश भारत है. उन्होंने कहा कि यह भारत ही है जो चीन के बराबर या उससे आगे निकलने की क्षमता रखता है. ईटीवी के वरिष्ठ संवादादाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट.

former Foreign Secretary Shyam Saran
पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन
author img

By

Published : Feb 23, 2023, 7:58 PM IST

नई दिल्ली : विदेश राज्य मंत्री (MoS) वी मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने ऐसे समय में जब दुनिया महामारी और रूस यूक्रेन युद्ध के बाद अभूतपूर्व आर्थिक मंदी देख रही है वैश्विक स्तर पर भारत के रुख को आकार देने के लिए पीएम मोदी की नीतियों की सराहना की. वह G20 में भारत की अध्यक्षता के संदर्भ में 'नई विश्व व्यवस्था में भारत' पर पॉलिसी सर्किल की संवाद श्रृंखला में उद्घाटन भाषण दे रहे थे.

MoS ने विस्तार से बताया कि कैसे G20 आशा, अवसर देता है और सार्वभौमिक भाईचारे, गरिमा, शांति जैसे मूल्यों की पुष्टि करता है. उन्होंने कहा कि दुनिया अब भारत की ओर देख रही है क्योंकि हम पीएम मोदी के मजबूत नेतृत्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरे हैं.

इस नई विश्व व्यवस्था में भारत कहां खड़ा है, इस पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 'मैं एक ऐसा भारत देखता हूं जो बहु-ध्रुवीय दुनिया में प्रभावी ढंग से नेविगेट करता है, एक ऐसा भारत जो वैश्विक दक्षिण की ओर जाता है, पड़ोसी पहले की नीति और एक्ट-ईस्ट नीति पर जोर देता है और जो संयुक्त राष्ट्र में सुधार करना चाहता है.'

भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है. देश 56 शहरों में लगभग 200 बैठकों की मेजबानी करेगा. दुनिया नई दिल्ली की कार्रवाइयों को ऐसे समय में देख रही होगी जब दुनिया यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की पृष्ठभूमि में विश्व व्यवस्था में अत्यधिक अशांति देख रही है.

भारत ने अब तक किसी का भी पक्ष लेने से इनकार कर दिया है. यूक्रेन पर युद्ध शुरू करने के लिए रूस की आलोचना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से ज्यादातर बार दूर रहा है. भारत रियायती रूसी ​​तेल के सबसे बड़े खरीदार के रूप में भी उभरा है, एक वह कदम जो पश्चिम के लिए एक बड़ी परेशानी बन गया है.

इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए पूर्व विदेश सचिव और पद्म भूषण से सम्मानित श्याम सरन ने कहा, 'हम इतिहास के एक मोड़ पर हैं जहां इस समय महत्वपूर्ण सत्ता परिवर्तन हो रहे हैं.' चीन-अमेरिका प्रतिद्वंद्विता के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 'जब एक बढ़ती शक्ति अर्थव्यवस्था, सैन्य, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगभग 80% विकास और क्षमताओं के स्तर तक पहुंचती है, तो यह अपरिहार्य हो जाता है कि शक्ति परिवर्तन होने वाला है.'

उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच संबंधों में जबरदस्त वृद्धि लोकतंत्रों के गठबंधन के रूप में बनाए जाने के बजाय रणनीतिक गठबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.

वैश्विक व्यवस्था पर चीन के समीकरण पर उन्होंने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि अमेरिका और चीन के बीच एक महान शक्ति प्रतिद्वंद्विता है लेकिन यह भी दोनों के बीच व्यापार संबंधों को प्रभावित नहीं कर सकता है और भारत-चीन के मामले में भी ऐसा ही रहा है. संबंध जो इसकी सबसे बड़ी कमी है. लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच व्यापार संबंध और इसकी मात्रा बहुत कुछ कहती है.

उन्होंने कहा कि 'भारत के लिए चीन की चुनौती यहां रहने वाली है और जितनी जल्दी हो सके हम इसे स्वीकार करने और इससे निपटने के लिए तैयार हैं, यह बेहतर है.' उन्होंने यह भी कहा कि चीन के उदय से निपटने वाला एकमात्र देश भारत है. उन्होंने कहा कि भारत के आकार, जनसंख्या, तकनीकी उन्नति के कारण यह भारत ही है जो चीन के बराबर या उससे आगे निकलने की क्षमता रखता है.

ऐसे समय में जब भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और जापान के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, विशेष रूप से रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में, विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पश्चिम के भीतर यह स्वीकार किया गया है कि चीन की धमकी के बीच भारत एशिया में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरेगा. सरन ने कहा कि 'पश्चिम जानता है कि एशिया में भारत ही एकमात्र देश है जो चीन से निपट सकता है.'

पढ़ें- India-China Dispute: भारत, चीन ने टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के प्रस्तावों पर की चर्चा

नई दिल्ली : विदेश राज्य मंत्री (MoS) वी मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने ऐसे समय में जब दुनिया महामारी और रूस यूक्रेन युद्ध के बाद अभूतपूर्व आर्थिक मंदी देख रही है वैश्विक स्तर पर भारत के रुख को आकार देने के लिए पीएम मोदी की नीतियों की सराहना की. वह G20 में भारत की अध्यक्षता के संदर्भ में 'नई विश्व व्यवस्था में भारत' पर पॉलिसी सर्किल की संवाद श्रृंखला में उद्घाटन भाषण दे रहे थे.

MoS ने विस्तार से बताया कि कैसे G20 आशा, अवसर देता है और सार्वभौमिक भाईचारे, गरिमा, शांति जैसे मूल्यों की पुष्टि करता है. उन्होंने कहा कि दुनिया अब भारत की ओर देख रही है क्योंकि हम पीएम मोदी के मजबूत नेतृत्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरे हैं.

इस नई विश्व व्यवस्था में भारत कहां खड़ा है, इस पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 'मैं एक ऐसा भारत देखता हूं जो बहु-ध्रुवीय दुनिया में प्रभावी ढंग से नेविगेट करता है, एक ऐसा भारत जो वैश्विक दक्षिण की ओर जाता है, पड़ोसी पहले की नीति और एक्ट-ईस्ट नीति पर जोर देता है और जो संयुक्त राष्ट्र में सुधार करना चाहता है.'

भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है. देश 56 शहरों में लगभग 200 बैठकों की मेजबानी करेगा. दुनिया नई दिल्ली की कार्रवाइयों को ऐसे समय में देख रही होगी जब दुनिया यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की पृष्ठभूमि में विश्व व्यवस्था में अत्यधिक अशांति देख रही है.

भारत ने अब तक किसी का भी पक्ष लेने से इनकार कर दिया है. यूक्रेन पर युद्ध शुरू करने के लिए रूस की आलोचना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से ज्यादातर बार दूर रहा है. भारत रियायती रूसी ​​तेल के सबसे बड़े खरीदार के रूप में भी उभरा है, एक वह कदम जो पश्चिम के लिए एक बड़ी परेशानी बन गया है.

इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए पूर्व विदेश सचिव और पद्म भूषण से सम्मानित श्याम सरन ने कहा, 'हम इतिहास के एक मोड़ पर हैं जहां इस समय महत्वपूर्ण सत्ता परिवर्तन हो रहे हैं.' चीन-अमेरिका प्रतिद्वंद्विता के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 'जब एक बढ़ती शक्ति अर्थव्यवस्था, सैन्य, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगभग 80% विकास और क्षमताओं के स्तर तक पहुंचती है, तो यह अपरिहार्य हो जाता है कि शक्ति परिवर्तन होने वाला है.'

उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच संबंधों में जबरदस्त वृद्धि लोकतंत्रों के गठबंधन के रूप में बनाए जाने के बजाय रणनीतिक गठबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.

वैश्विक व्यवस्था पर चीन के समीकरण पर उन्होंने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि अमेरिका और चीन के बीच एक महान शक्ति प्रतिद्वंद्विता है लेकिन यह भी दोनों के बीच व्यापार संबंधों को प्रभावित नहीं कर सकता है और भारत-चीन के मामले में भी ऐसा ही रहा है. संबंध जो इसकी सबसे बड़ी कमी है. लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच व्यापार संबंध और इसकी मात्रा बहुत कुछ कहती है.

उन्होंने कहा कि 'भारत के लिए चीन की चुनौती यहां रहने वाली है और जितनी जल्दी हो सके हम इसे स्वीकार करने और इससे निपटने के लिए तैयार हैं, यह बेहतर है.' उन्होंने यह भी कहा कि चीन के उदय से निपटने वाला एकमात्र देश भारत है. उन्होंने कहा कि भारत के आकार, जनसंख्या, तकनीकी उन्नति के कारण यह भारत ही है जो चीन के बराबर या उससे आगे निकलने की क्षमता रखता है.

ऐसे समय में जब भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और जापान के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, विशेष रूप से रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में, विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पश्चिम के भीतर यह स्वीकार किया गया है कि चीन की धमकी के बीच भारत एशिया में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरेगा. सरन ने कहा कि 'पश्चिम जानता है कि एशिया में भारत ही एकमात्र देश है जो चीन से निपट सकता है.'

पढ़ें- India-China Dispute: भारत, चीन ने टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के प्रस्तावों पर की चर्चा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.