अलवर. प्याज की फसल इस बार किसानों को रुला रही है. वर्तमान में पूरे देश में गुजरात व महाराष्ट्र से प्याज सप्लाई हो रही है. डिमांड की तुलना में प्याज की पैदावार बीते सालों की तुलना में इस बार ज्यादा है. इसलिए प्याज के दाम लगातार गिर रहे हैं. हालात यह है कि गुजरात और महाराष्ट्र में किसान दो से तीन रुपए किलो में प्याज मंडी में बेचने को मजबूर है.
उसके बाद मंडी शुल्क व आढ़त जुड़कर वही प्याज अन्य राज्यों में सप्लाई हो रही है. वहीं, गुजरात राजस्थान का पड़ोसी राज्य है. ऐसे में राजस्थान के ज्यादातर क्षेत्रों में गुजरात से प्याज की सप्लाई होती है. इस समय गुजरात के भावनगर महुआ व तलजा से प्याज सप्लाई हो रही है. जबकि महाराष्ट्र के नासिक से प्याज की आवक है.
अलवर के मंडी में 6 से 7 रुपए किलो बिक रही प्याज - बात अगर अलवर मंडी की करें तो यहां पर 6 से 7 रुपए किलो के हिसाब से प्याज बिक रही है. ऐसे में किसान को लागत का पैसा भी नहीं मिल रहा है. अलवर मंडी देश में नासिक के बाद दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी है. अक्टूबर-नवंबर- दिसंबर व जनवरी तक अलवर की प्याज देशभर में सप्लाई होती है. जबकि जनवरी से अप्रैल माह तक गुजरात और जनवरी से सितंबर माह तक नासिक की मंडी की प्याज देश में सप्लाई होती है.
व्यापारियों ने बताया कि वर्तमान में गुजरात मंडी में 3 से 5 रुपए किलो तक प्याज बिक रही है. उसके बाद मंडी शुल्क व आढ़त का शुल्क जोड़कर वही प्याज देश की अलग-अलग मंडियों में जाती है. गुजरात से अलवर के माल भाड़े की बात करें तो करीब 3 किलो प्याज का भाड़ा व्यापारी को देना पड़ता है. इस हिसाब से अलवर में प्याज 7 रुपए किलो तक होलसेल में बिक रही है.
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एक बीघा में करीब 50 हजार का खर्च - व्यापारियों ने बताया कि गुजरात व नासिक के किसान परेशान हैं. क्योंकि एक बीघा प्याज की फसल में 40 से 50 हजार रुपए तक का खर्च आता है. गुजरात व नासिक में प्याज का बीज सस्ता मिलता है. पानी भी ज्यादा होने के कारण खर्च कम आता है. लेकिन उसके बाद भी किसान को लागत का आधा मूल्य भी नहीं मिल रहा है. इस संबंध में व्यापारियों ने कहा कि इस साल नासिक व गुजरात में प्याज की पैदावार बेहतर हुई है. प्याज की फसल में नुकसान नहीं होने के कारण प्रतिदिन बड़ी संख्या में प्याज बिकने के लिए मंडी में आ रही है.
अलवर में आता है ज्यादा खर्चा - अलवर जिले में पानी की कमी है. इसलिए अलवर में प्याज की पैदावार अन्य जगहों की तुलना में कम रहती है. साथ ही किसान का खर्चा भी ज्यादा आता है. अलवर जिले में प्याज की एक बीघा फसल की बुवाई में 70 हजार रुपए तक खर्च होते हैं. क्योंकि किसान पानी भी पैसे में खरीदा है. इसके अलावा यूरिया व प्याज का बीज भी किसान को महंगा मिलता है.
किसान आयोग के बाद भी फायदा नहीं - व्यापारियों ने कहा कि देश में किसान आयोग का तो गठन हो चुका है, लेकिन यह आयोग किसानों के लिए कोई फायदेमंद नहीं है. आज तक सरकार व आयोग यह निर्धारित नहीं कर पाए कि प्रत्येक राज्य में कितनी फल सब्जियों की आवश्यकता होती है. मौसम के अनुसार पैदावार ज्यादा होने के कारण सब्जी व फलों के भाव गिर जाते हैं, बीते 2 साल प्याज के भाव ज्यादा रहे. प्याज से किसान मालामाल हुए, इसलिए इस देश में अन्य किसान भी प्याज की खेती करने लगे. इस बार प्याज की पैदावार अन्य सालों की तुलना में ज्यादा हुई, जिसके कारण लगातार भाव गिर रहे हैं.
एक्साइज ड्यूटी ज्यादा होने से नहीं हो पाता एक्सपोर्ट - व्यापारियों ने कहा कि देश के बाहर पड़ोसी राज्यों में प्याज के भाव ज्यादा है व प्याज की डिमांड है. लेकिन देश में बेहतर नीति नहीं होने के कारण किसान परेशान हैं. किसान प्याज को एक्सपोर्ट करना चाहता है, लेकिन एक्साइज ड्यूटी ज्यादा होने के कारण देश की प्याज पाकिस्तान बांग्लादेश नेपाल व आसपास के पड़ोसी देशों में नहीं पहुंच पाती है. अगर किसान की प्याज पड़ोसी राज्यों में पहुंचे तो किसान को फायदा होगा.
कुछ दिनों में शुरू होगी राजस्थान के प्याज की आवक - व्यापारी व किसानों ने कहा कि कुछ ही दिनों में राजस्थान के कुचामन सिटी, जोधपुर व सीकर क्षेत्र की प्याज की आवक शुरू हो जाएगी. उसके बाद प्याज के दामों में और गिरावट हो सकती है.