ETV Bharat / bharat

आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां, अमरावती आंदोलन को हुआ एक साल

आंध्र प्रदेश में तीन राजधानी वाला फॉर्मूला बनाने को लेकर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार के कदम के खिलाफ अमरावती में विरोध प्रदर्शन के आज 365 दिन हो गए. इस आंदोलन में अब तक 118 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. पढ़ें विशेष रिपोर्ट...

Amaravati Movement
Amaravati Movement
author img

By

Published : Dec 17, 2020, 11:10 PM IST

अमरावती : आंध्र प्रदेश में तीन राजधानी वाला फॉर्मूला बनाने को लेकर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार के कदम के खिलाफ अमरावती में विरोध प्रदर्शन के आज 365 दिन हो गए. इस आंदोलन में अब तक 118 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. अमरावती के किसान और दैनिक वेतनभोगी राजधानी में प्रदर्शन कर रहे हैं, वही अन्य लोग अमरावती प्रोटेक्शन कमेटी के नाम से राजधानी के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन को आज एक साल हो चुका है.

सिंगापुर सरकार ने अमरावती के लिए मास्टर प्लान तैयार किया था, जिसके लिए आधारशिला अक्टूबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी.

अमरावती को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत से कृष्णा नदी के तट पर विकसित करने की योजना थी. किसानों ने 33,000 एकड़ भूमि राज्य की राजधानी के विकास के लिए लैंड पूलिंग योजना के तहत दी थी.

पिछले साल चुनावों में नायडू की तेदेपा के सत्ता से बेदखल होने के बाद जगनमोहन रेड्डी ने तेदेपा शासन के दौरान शुरू की गई सभी परियोजनाओं की समीक्षा करने की घोषणा की थी. अमरावती के विकास में इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप लगाते हुए, वाईएसआरसीपी सरकार ने अमरावती में सभी काम रोक दिए और एक जांच शुरू की.

पिछले साल दिसंबर में जगन सरकार ने राज्य की तीन राजधानियां बनाने का फैसला किया और राजधानी के कुछ काम संचालन कार्य अमरावती से विशाखापट्टनम और कुर्नूल में शिफ्ट करने का निर्णय लिया.

17 दिसंबर 2019 को आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी के तीन राजधानियों के प्रस्ताव के बाद से अमरावती और राजधानी से सटे गांवों टुल्लुरु, मंडादम, कृष्णयपलेम, येरबालम और अन्य गांवों में आंदोलन शुरू हो गया था. एक वर्ष के दौरान गांवों में हजारों पुलिसबल तैनात किए गए, धारा 144 लगाई गई और आंदोलन रोकने की कोशिश की गई, लेकिन प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए. विरोध कर रहे किसानों को कई बार पुलिस के लाठीचार्ज का सामना करना पड़ता है और गिरफ्तार भी किया जाता है. इसके बावजूद वे अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं.

पुलिस ने लोगों पर इतने प्रतिबंध लगा रखे थे कि गांव पार करने के लिए लोगों को अपना आईडी प्रूफ दिखाना पड़ता था. आंदोलनों का निरीक्षण करने के लिए ड्रोन कैमरों का उपयोग किया. इस आंदोलन के दौरान पुलिस ने एक महिला पर हमला किया था. इसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी.

यह भी पढ़ें- कृषि कानून गतिरोध : गृह मंत्री ने की बैठक, वकीलों के संपर्क में संयुक्त मोर्चा

किसानों ने कोरोना काल में आंदोलन जारी रखा और पीछे नहीं हटे. इस वर्ष 31 जुलाई को तीन राजधानियों और CRDA निरस्त बिलों को राज्यपाल द्वारा अनुमोदित किया गया था. उस दिन से किसान और अमरावती संरक्षण समिति उच्च न्यायालय में चुनौती देकर कानूनों का विरोध कर रही थी.

अमरावती : आंध्र प्रदेश में तीन राजधानी वाला फॉर्मूला बनाने को लेकर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार के कदम के खिलाफ अमरावती में विरोध प्रदर्शन के आज 365 दिन हो गए. इस आंदोलन में अब तक 118 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. अमरावती के किसान और दैनिक वेतनभोगी राजधानी में प्रदर्शन कर रहे हैं, वही अन्य लोग अमरावती प्रोटेक्शन कमेटी के नाम से राजधानी के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन को आज एक साल हो चुका है.

सिंगापुर सरकार ने अमरावती के लिए मास्टर प्लान तैयार किया था, जिसके लिए आधारशिला अक्टूबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी.

अमरावती को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत से कृष्णा नदी के तट पर विकसित करने की योजना थी. किसानों ने 33,000 एकड़ भूमि राज्य की राजधानी के विकास के लिए लैंड पूलिंग योजना के तहत दी थी.

पिछले साल चुनावों में नायडू की तेदेपा के सत्ता से बेदखल होने के बाद जगनमोहन रेड्डी ने तेदेपा शासन के दौरान शुरू की गई सभी परियोजनाओं की समीक्षा करने की घोषणा की थी. अमरावती के विकास में इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप लगाते हुए, वाईएसआरसीपी सरकार ने अमरावती में सभी काम रोक दिए और एक जांच शुरू की.

पिछले साल दिसंबर में जगन सरकार ने राज्य की तीन राजधानियां बनाने का फैसला किया और राजधानी के कुछ काम संचालन कार्य अमरावती से विशाखापट्टनम और कुर्नूल में शिफ्ट करने का निर्णय लिया.

17 दिसंबर 2019 को आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी के तीन राजधानियों के प्रस्ताव के बाद से अमरावती और राजधानी से सटे गांवों टुल्लुरु, मंडादम, कृष्णयपलेम, येरबालम और अन्य गांवों में आंदोलन शुरू हो गया था. एक वर्ष के दौरान गांवों में हजारों पुलिसबल तैनात किए गए, धारा 144 लगाई गई और आंदोलन रोकने की कोशिश की गई, लेकिन प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए. विरोध कर रहे किसानों को कई बार पुलिस के लाठीचार्ज का सामना करना पड़ता है और गिरफ्तार भी किया जाता है. इसके बावजूद वे अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं.

पुलिस ने लोगों पर इतने प्रतिबंध लगा रखे थे कि गांव पार करने के लिए लोगों को अपना आईडी प्रूफ दिखाना पड़ता था. आंदोलनों का निरीक्षण करने के लिए ड्रोन कैमरों का उपयोग किया. इस आंदोलन के दौरान पुलिस ने एक महिला पर हमला किया था. इसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी.

यह भी पढ़ें- कृषि कानून गतिरोध : गृह मंत्री ने की बैठक, वकीलों के संपर्क में संयुक्त मोर्चा

किसानों ने कोरोना काल में आंदोलन जारी रखा और पीछे नहीं हटे. इस वर्ष 31 जुलाई को तीन राजधानियों और CRDA निरस्त बिलों को राज्यपाल द्वारा अनुमोदित किया गया था. उस दिन से किसान और अमरावती संरक्षण समिति उच्च न्यायालय में चुनौती देकर कानूनों का विरोध कर रही थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.